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World News in Hindi: चेक रिपब्लिक के क्रकोनोशे पर्वतों में दो हाइकर्स को खजाना मिला जिसमें 598 सोने के सिक्के, 10 कंगन, 17 सिगार केस आदि थे. उन्होंने इसे सरकार को सौंप दिया. यह खजाना दूसरे विश्व युद्ध के दौरान…और पढ़ें

खजाने की जांच की जा रही है. (Picture: Social Media)
नई दिल्ली. आप जंगल या पहाड़ी क्षेत्र में ट्रैकिंग कर रहे हो और तभी नजर किसी बड़े बक्से पर पड़े और अंदर खजाना भरा मिले, ऐसा कभी आपके साथ हुआ है? यूरोप के देश चेक रिब्लिक में ऐसा ही एक वाक्या सामने आया, जहां दो हाइकर्स यानी पैदल यात्रियों को देश के उत्तर-पूर्वी इलाके में स्थित क्रकोनोशे पर्वतों के जंगलों में खजाना मिला. खजाना मिलने के बाद भी ये लोग मालामाल नहीं हुए. इन्होंने ईमानदारी दिखाते हुए खजाने को सरकार को सौंप दिया है. यह खजाना दूसरे विश्व युद्ध के दौरान का बताया जा रहा है.
598 सोने के सिक्के, 10 सोने की कंगन, 17 सिगार केस…
सोने के सिक्कों का वजन 3.7 किलोग्राम
इस खजाने की उम्र सौ साल से ज्यादा नहीं हो सकती क्योंकि उसमें शामिल एक सिक्के की तारीख 1921 है. विशेषज्ञों के अनुसार यह संभवतः द्वितीय विश्व युद्ध से पहले की उथल-पुथल भरी अवधि से जुड़ा हो सकता है, जब चेक और यहूदी समुदाय सीमा क्षेत्रों से पलायन कर रहे थे. या 1945 के समय का हो सकता है जब जर्मन समुदाय उस क्षेत्र को छोड़ रहा था. इस खजाने की धातु मूल्यांकन के अनुसार, सिर्फ सोने के सिक्कों की धातु कीमत ही करीब 3.7 किलोग्राम यानी 8.16 पाउंड है, जिसकी कीमत लगभग 8 मिलियन चेक कोरुना (करीब $360,000) आंकी गई है.
1920 या 1930 के दशक के सिक्के
लोगों में सिक्कों का रहस्य जानने की उत्सुकता
इस खोज ने स्थानीय लोगों में भी हलचल मचा दी है. कई लोग अपने-अपने अनुमान और पारिवारिक कथाएं म्यूजियम को बता रहे हैं. कुछ लोगों का मानना है कि यह संपत्ति उस क्षेत्र के धनी स्वेर्ट्स-श्पोर्क परिवार की हो सकती है. वहीं एक अन्य सिद्धांत यह है कि यह खजाना चेकोस्लोवाक सैनिकों द्वारा युद्ध के दौरान लूटी गई संपत्ति हो सकती है. फिलहाल दो सिगार केस अभी भी बंद हैं और उन्हें नहीं खोला गया है. खजाने की पूरी ऐतिहासिक जांच जारी है, और विशेषज्ञ इसकी धातु संरचना और इतिहास को बेहतर समझने के लिए और अनुसंधान कर रहे हैं.

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और…और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और… और पढ़ें