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DELHI NEWS: दिल्ली पुलिस ने हाल ही में चार ऐसे रिसीवरों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने चोरों से 1-2 नहीं बल्कि 21 लग्जरी कारें बरामद की हैं, इन कारों पर नकली नंबर प्लेट्स और फर्जी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट लगे हुए…और पढ़ें

पुलिस ने की 21 लग्जरी कारें बरामद (प्रतिकात्मक तस्वीर- Canva)
हाइलाइट्स
- दिन में बेचते थे सब्जी, रात को करते थे चोरी
- जेल में बने दोस्त, बाहर आकर बना लिया गिरोह
- पुलिस ने की 21 लग्जरी कारें बरामद
दिल्ली पुलिस ने हाल ही में चार ऐसे रिसीवरों को गिरफ्तार किया है, जो दिल्ली और आसपास के इलाकों से चुराई गई लग्जरी कारों को पंजाब के शहरों अमृतसर, लुधियाना, और तरनतारन में बेचने का धंधा करते थे. पुलिस ने इनसे 1-2 नहीं बल्कि 21 लग्जरी कारें बरामद की हैं, इन कारों पर नकली नंबर प्लेट्स और फर्जी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट लगे हुए थे.
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को लगातार मिल रही शिकायतों और CCTV फुटेज से एक खास पैटर्न मिला चोर अधिकतर रात के अंधेरे में वारदात को अंजाम देते थे. उनके टारगेट होते थे हाई-एंड SUV मॉडल, हुंडई क्रेटा, टोयोटा फॉर्च्यूनर, और किया जैसी कारें. चोर इतने प्रोफेशनल थे कि चोरी के महज कुछ घंटों के भीतर गाड़ियों के इंजन और चेसिस नंबर को बदल देते, और फिर उन्हें असली कागजात के साथ बेच देते.
7 मई की शाम जाल में फंसे आरोपी
7 मई 2025 की शाम, दिल्ली पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी जब उन्हें खबर मिली कि चोरी की एक कार DND फ्लाईओवर से होते हुए पंजाब की तरफ रवाना हो रही है. पुलिस ने फौरन DND के पास जाल बिछाया और शाम 6:30 बजे उस कार को रोक लिया. कार से पकड़े गए दो आरोपियों की पहचान अवतार सिंह उर्फ सनी अरोड़ा और हरप्रीत सिंह उर्फ हनी के रूप में की गई है.
जेल में हुई मुलाकात, बन गया क्राइम का प्लान
पूछताछ में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई दोनों आरोपी पहले जेल में मिले थे. अवतार सिंह कभी प्रॉपर्टी डीलिंग करता था और फिलहाल अमृतसर की सब्जी मंडी में सब्जी बेचता है. वहीं हरप्रीत सिंह, जो BCA कर चुका है, साइप्रस में 5 साल पिग फार्मिंग कर चुका है. दोनों की मुलाकात के बाद चोरी की गाड़ियों का ‘बिजनेस मॉडल’ तैयार हुआ.
अमृतसर-लुधियाना तक फैला नेटवर्क
दिल्ली पुलिस की टीम ने इन दोनों की निशानदेही पर अमृतसर और तरनतारन में छापेमारी की, जहां से दो और आरोपी परमदीप और मनप्रीत सिंह को गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने इस पूरे नेटवर्क से 21 लग्जरी गाड़ियां बरामद कीं. जांच में यह भी सामने आया कि ये लोग चोरी की गाड़ियां दिल्ली और हरियाणा के चोरों दशरथ और राजकुमार से खरीदते थे. फिर उन्हीं गाड़ियों के इंजन और चेसिस नंबर बदल कर फर्जी रजिस्ट्रेशन बनाते थे और लाखों में बेच देते थे.
महज 4-5 लाख में खरीद, 10-12 लाख में बिक्री
गैंग चोरी की गाड़ियों को 4-5 लाख रुपए में खरीदता था, फिर थोड़ा ‘मेकओवर’ कर उन्हें 10 से 12 लाख रुपए तक में बेच देता. जिस आम आदमी के लिए लग्जरी SUV एक सपना होती है, उनके लिए ये गाड़ियां ‘सस्ते में अच्छी डील’ बनकर पेश की जाती थीं बिना उन्हें पता चले कि उनकी चमचमाती गाड़ी दरअसल चोरी की है.