सैकड़ों कुंवारी लड़कियां, लेकिन शादी के लिए नहीं मिल रहे ‘दूल्हे’, अजीब है वजह, जानकर हैरान हो जाएंगे!

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अक्सर सुनने में आता है कि लड़कों को शादी के लिए लड़कियां नहीं मिलतीं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर सैकड़ों लड़कियां कुंवारी हैं, लेकिन शादी के लिए उन्हें कोई लड़का नहीं मिलत…और पढ़ें

आज के युग में शादी करना भी मुश्किल होता जा रहा है. कई लड़कों को शादी के लिए लड़कियां नहीं मिलतीं. लेकिन इसके बावजूद एक ऐसा गांव है जहां सैकड़ों कुंवारी लड़कियां हैं, लेकिन शादी के लिए एक भी लड़का उपलब्ध नहीं है! यानी इन लड़कियों को अपने लिए दूल्हा नहीं मिल रहा है. क्या आप ऐसी स्थिति की कल्पना कर सकते हैं? (सांकेतिक फोटो: एआई जनरेटेड)

आज के युग में शादी करना भी मुश्किल होता जा रहा है. कई लड़कों को शादी के लिए लड़कियां नहीं मिलतीं. लेकिन इसके बावजूद एक ऐसा गांव है जहां सैकड़ों कुंवारी लड़कियां हैं, लेकिन शादी के लिए एक भी लड़का उपलब्ध नहीं है! यानी इन लड़कियों को अपने लिए दूल्हा नहीं मिल रहा है. क्या आप ऐसी स्थिति की कल्पना कर सकते हैं? (सांकेतिक फोटो: एआई जनरेटेड)

हमारे देश या आस-पास के क्षेत्रों में, खासकर ग्रामीण इलाकों  अक्सर देखा जाता है कि खेती-किसानी में जुटे लड़के या गांव में रहने वाले बेरोजगार लड़के अपने लिए दुल्हन नहीं ढूंढ पाते हैं. पहले के जमाने में दुल्हन पक्ष दहेज की मांग की जाती थी, लेकिन कई मामलों में अब दूल्हे पक्ष शादी के लिए लड़की वालों से गिड़गिड़ाने लगे हैं, यह सोचकर कि काश दुल्हन मिल जाए! लेकिन आज हम आपको जिस गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, उस गांव में कहानी इसके उलट है. यहां सैकड़ों लड़कियां हैं, फिर भी उन्हें शादी के लिए पति नहीं मिल पाता. (सांकेतिक तस्वीर: एआई जनरेटेड)

हमारे देश या आस-पास के क्षेत्रों में, खासकर ग्रामीण इलाकों अक्सर देखा जाता है कि खेती-किसानी में जुटे लड़के या गांव में रहने वाले बेरोजगार लड़के अपने लिए दुल्हन नहीं ढूंढ पाते हैं. पहले के जमाने में दुल्हन पक्ष दहेज की मांग की जाती थी, लेकिन कई मामलों में अब दूल्हे पक्ष शादी के लिए लड़की वालों से गिड़गिड़ाने लगे हैं, यह सोचकर कि काश दुल्हन मिल जाए! लेकिन आज हम आपको जिस गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, उस गांव में कहानी इसके उलट है. यहां सैकड़ों लड़कियां हैं, फिर भी उन्हें शादी के लिए पति नहीं मिल पाता. (सांकेतिक तस्वीर: एआई जनरेटेड)

वायरल हो रही पोस्ट के मुताबिक, यहां करीब 600 कुंवारी लड़कियां हैं, जिनकी उम्र 20 से 35 साल के बीच है. लेकिन उनमें से किसी की भी अभी तक शादी नहीं हुई है. क्या आप जानते हैं कि इन लड़कियों को दूल्हे क्यों नहीं मिल रहे? (सांकेतिक तस्वीर: एआई जनरेटेड)

वायरल हो रही पोस्ट के मुताबिक, यहां करीब 600 कुंवारी लड़कियां हैं, जिनकी उम्र 20 से 35 साल के बीच है. लेकिन उनमें से किसी की भी अभी तक शादी नहीं हुई है. क्या आप जानते हैं कि इन लड़कियों को दूल्हे क्यों नहीं मिल रहे? (सांकेतिक तस्वीर: एआई जनरेटेड)

इसका एक कारण यह है कि इस गांव में ज्यादातर पुरुष या तो विवाहित हैं या लड़कियों के रिश्तेदार हैं. स्वाभाविक रूप से, रिश्तेदार विवाह नहीं कर सकते, जिसकी वजह से इन लड़कियों की शादी में रुकावट आ रही है. (प्रतिनिधि छवि: एआई जनरेटेड)

इसका एक कारण यह है कि इस गांव में ज्यादातर पुरुष या तो विवाहित हैं या लड़कियों के रिश्तेदार हैं. स्वाभाविक रूप से, रिश्तेदार विवाह नहीं कर सकते, जिसकी वजह से इन लड़कियों की शादी में रुकावट आ रही है. (प्रतिनिधि छवि: एआई जनरेटेड)

लेकिन समस्या यहीं खत्म नहीं होती. इसका कारण गहरा है और थोड़ा आश्चर्यजनक भी. वजह जानने के बाद आप भी हैरान हो जाएंगे और मामला समझ जाएंगे कि अच्छे घर-परिवेश से होने के बावजूद इस गांव में लड़कियों की शादी क्यों नहीं होती. (प्रतिनिधि छवि: एआई जनरेटेड)

लेकिन समस्या यहीं खत्म नहीं होती. इसका कारण गहरा है और थोड़ा आश्चर्यजनक भी. वजह जानने के बाद आप भी हैरान हो जाएंगे और मामला समझ जाएंगे कि अच्छे घर-परिवेश से होने के बावजूद इस गांव में लड़कियों की शादी क्यों नहीं होती. (प्रतिनिधि छवि: एआई जनरेटेड)

दरअसल, इस गांव की लड़कियां शादी के बाद ससुराल नहीं जाना चाहतीं! हां, आपने सही पढ़ा है. वे चाहती हैं कि दूल्हा उनके घर आकर रहे तथा उनके गांव के नियमों का पालन करे. (प्रतिनिधि छवि: एआई जनरेटेड)

दरअसल, इस गांव की लड़कियां शादी के बाद ससुराल नहीं जाना चाहतीं! हां, आपने सही पढ़ा है. वे चाहती हैं कि दूल्हा उनके घर आकर रहे तथा उनके गांव के नियमों का पालन करे. (प्रतिनिधि छवि: एआई जनरेटेड)

1995 में इस गांव की महिलाओं ने खुद अपने लिए अनोखे नियम बनाएं, जिसमें पुरुषों द्वारा बनाई गई सामाजिक व्यवस्था नहीं थी. इन नियमों को इस गांव में रहने वाले हर शख्स को मानना जरूरी है. (सांकेतिक तस्वीर: एआई जनरेटेड)

1995 में इस गांव की महिलाओं ने खुद अपने लिए अनोखे नियम बनाएं, जिसमें पुरुषों द्वारा बनाई गई सामाजिक व्यवस्था नहीं थी. इन नियमों को इस गांव में रहने वाले हर शख्स को मानना जरूरी है. (सांकेतिक तस्वीर: एआई जनरेटेड)

इस गांव की महिलाएं खुद को आत्मनिर्भर बना चुकी हैं. ऐसे में शादी के लिए बाहर से आने वाले लड़के उन नियमों के अनुकूल खुद को ढाल नहीं पाते हैं. इसके तहत सबसे पहला नियम यह है कि यहां की लड़कियां चाहती हैं कि उनका दूल्हा उनके साथ रहे और उनके नियमों का पालन करे, जिसके कारण कई लड़के उनसे दूर भागते हैं और उनकी शादियां नहीं हो पातीं. यह गांव ब्राजील में है, जिसका नाम नोवा डो कोर्डेइरो है. (सांकेतिक तस्वीर: एआई जनरेटेड)

इस गांव की महिलाएं खुद को आत्मनिर्भर बना चुकी हैं. ऐसे में शादी के लिए बाहर से आने वाले लड़के उन नियमों के अनुकूल खुद को ढाल नहीं पाते हैं. इसके तहत सबसे पहला नियम यह है कि यहां की लड़कियां चाहती हैं कि उनका दूल्हा उनके साथ रहे और उनके नियमों का पालन करे, जिसके कारण कई लड़के उनसे दूर भागते हैं और उनकी शादियां नहीं हो पातीं. यह गांव ब्राजील में है, जिसका नाम नोवा डो कोर्डेइरो है. (सांकेतिक तस्वीर: एआई जनरेटेड)

नोवा डो कोर्डेइरो (Nova do Cordeiro) एक महिला-प्रधान समाज है, जहां स्वतंत्रता पहली शर्त है और पुरुषों के लिए उस शर्त को स्वीकार करना आसान नहीं है. हालांकि, सोशल मीडिया पर भले ही यह दावा किया जाता रहा हो कि यहां के लड़कियों को दूल्हे नहीं मिल पाते हैं, लेकिन असल में ऐसा नहीं है. कई फैक्ट चेकिंग वेबसाइट इसे फर्जी करार दे चुकी हैं. नोइवा डो कॉर्डेइरो में पुरुषों की कमी की खबर सबसे पहले 2014 में कई समाचार एजेंसियों द्वारा दी गई थी, जिसके हवाले से यह खबर आज भी वायरल हो जाती है. लेकिन BBC ब्राज़ील से बात करते हुए, नोइवा डो कॉर्डेइरो के निवासियों ने इन दावों को निराधार बताया. इसलिए यह दावा झूठा है. (सांकेतिक तस्वीर: एआई जनरेटेड)

नोवा डो कोर्डेइरो (Nova do Cordeiro) एक महिला-प्रधान समाज है, जहां स्वतंत्रता पहली शर्त है और पुरुषों के लिए उस शर्त को स्वीकार करना आसान नहीं है. हालांकि, सोशल मीडिया पर भले ही यह दावा किया जाता रहा हो कि यहां के लड़कियों को दूल्हे नहीं मिल पाते हैं, लेकिन असल में ऐसा नहीं है. कई फैक्ट चेकिंग वेबसाइट इसे फर्जी करार दे चुकी हैं. नोइवा डो कॉर्डेइरो में पुरुषों की कमी की खबर सबसे पहले 2014 में कई समाचार एजेंसियों द्वारा दी गई थी, जिसके हवाले से यह खबर आज भी वायरल हो जाती है. लेकिन BBC ब्राज़ील से बात करते हुए, नोइवा डो कॉर्डेइरो के निवासियों ने इन दावों को निराधार बताया. इसलिए यह दावा झूठा है. (सांकेतिक तस्वीर: एआई जनरेटेड)

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