अंडे बेचे, टॉयलेट साफ किए…छाप दी 800 करोड़ की ब्लॉकबस्टर फिल्म, कौन है वो डायरेक्टर? – vicky kaushal rashmika mandanna chhaava movie director laxman utekar used to sell eggs vada pav reveals struggles untold story


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Laxman Utekar Life Story : यह कहानी ऐसे डायरेक्टर की जिसने अपनी जिंदगी में बहुत संघर्ष किया. महज छह साल की उम्र में अंडे बेचे. वड़ा पाव का ठेला भी लगाया. ऑफिस में चपरासी का काम मिला तो टॉयलेट तक धोए. फिर कुछ ऐस…और पढ़ें

एक फैसले से बदली किस्मत, छाप दी 800 करोड़ की ब्लॉकबस्टर फिल्म, कौन है वो?

‘छावा’ फिल्म के डायरेक्टर लक्ष्मण उतेकर के संघर्ष की कहानी बेहद मोटिवेशनल है….

हाइलाइट्स

  • लक्ष्मण उतेकर ने संघर्षपूर्ण जीवन जीते हुए 800 करोड़ की फिल्म बनाई.
  • उतेकर ने अंडे बेचे, वड़ा पाव का ठेला लगाया और टॉयलेट साफ किए.
  • उतेकर ने बिना फॉर्मल ट्रेनिंग के ‘छावा’ जैसी हिट फिल्में बनाई.

मुंबई. छावा फिल्म के डायरेक्टर लक्ष्मण उतेकर चर्चा में हैं. फिल्म मेकर-डायरेक्टर अनुराग कश्यप के उस बयान पर भी पलटवार किया जिसमें उन्होंने बॉलीवुड को टॉक्सिक बताया था. ‘छावा’ फिल्म ने 800 करोड़ से ज्यादा की रिकॉर्ड तोड़ कमाई की. फिल्म के डायरेक्टर लक्ष्मण उतेकर को रातोंरात फेम दिया. ‘छावा’ उनके करियर की सबसे बड़ी हिट फिल्म है. उतेकर ने अपनी जिंदगी में बहुत संघर्ष किए. अंडे बेचे, वड़ा पाव का ठेला लगाया. महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के एक छोटे से जन्मे उतेकर बचपन में ही अपने मामा के घर मुंबई आ गए थे. उन्होंने यूट्यूब चैनल ‘मामाज काउच’ पर पॉडकास्ट में अपनी लाइफ स्टोरी साझा की.

लक्ष्मण उतेकर ने बताया कि जब वह महज 6 साल के थे, तब उन्होंने वह मुंबई में एक बार के बाहर उबले अंडे बेचते थे. उन्होंने वड़ा पाव का ठेला भी लगाया. शिवाजी पार्क में बीएमसी ने ठेले को जब्त कर लिया. गणेश चतुर्थी के दौरान लक्ष्मण उतेकर और उनके दोस्त अमीर लोगों के गणपति विसर्जन करवाते थे. मूर्ति लेकर पानी तक नहीं जाते थे और विसर्जन कर देते. इसके बदले 5 रुपये मिलते थे.

स्टूडियो में लगाते थे झाड़ू-पोछा

फिल्मों में आने की कहानी भी दिलचस्प है. लक्ष्मण उतेकर ने बताया कि अखबार में एक फिल्म स्टूडियो में सफाईकर्मी की नौकरी का विज्ञापन देखा. वे वहां झाड़ू-पोछा लगाने लगे. टॉयलेट तक साफ करते थे. वह अपना काम पूरी ईमानदारी से करते थे. काम से खुश होकर बॉस ने सबके सामने उनकी तारीफ की. स्टूडियो में चाय भी पहुंचाते थे. वहीं पर पहली बार साउंड और एडिटिंग का काम देखा. धीरे-धीरे काम सीखने में रुचि हुई.

कई बड़ी फिल्मों की शूटिंग की

खर्च चलाने के लिए लक्ष्मण उतेकर ने कार धोई. अखबार और पॉपकॉर्न तक बेचे. एक दिन उन्हें सहारा कंपनी की ओर नया स्टूडियो बनाए जाने की खबर मिली. वे करीब तीन माह तक उसी जगह पर जाते रहे. दिनभर स्टूडियो के पास खड़े रहते थे. तीन महीने बाद एक दिन राजेंद्र सिंह चौहान नाम के एक आदमी ने उन्हें टोका. लक्ष्मण ने उनसे काम मांगा. उसी दिन उन्हें काम भी मिल गया. फिर उन्होंने सिनेमैटोग्राफर बिनोद प्रधान के साथ असिस्टेंट के तौर पर काम शुरू किया. फिर उन्हें काम मिलता रहा और कई बड़ी फिल्मों की शूटिंग की. ‘हिंदी मीडियम’, ‘डियर जिंदगी’, ‘102 नॉट आउट जैसी फिल्मों का हिस्सा रहे.

नहीं ली फिल्म निर्माण से जुड़ी कोई फॉर्मल ट्रेनिंग 

‘छावा’ के अलावा लक्ष्मण उतेकर ने ‘लुका छुपी’, ‘मिमी’ और ‘जरा हटके जरा बचके’ जैसी फिल्में को डायरेक्ट किया है. लक्ष्मण बताते हैं कि उन्होंने फिल्म निर्माण से जुड़ी कोई फॉर्मल ट्रेनिंग नहीं ली. ‘छावा’ फिल्म की कहानी, उसकी सफलता पर वो कहते हैं, ‘इसकी एक वजह यह है कि रायगढ़ के पास ही मेरा गांव है. जिस मिट्टी में मैं पैदा हुआ हूं, उसमें छत्रपति शिवाजी और छत्रपति संभाजी महाराज के पैर लगे हैं. छत्रपति शिवाजी महाराज इंसान नहीं, भगवान ही हैं. छत्रपति संभाजी महाराज के बारे में कई जगह पर गलत लिखा हुआ था. जब मैंने पढ़ा था. जो इंसान 22 साल की उम्र में पहली लड़ाई करता है, 127 लड़ाइयां लड़ता है और 32 साल की उम्र में अपने प्राण स्वराज के लिए न्योछावर कर दिए. 44 दिन तक उस इंसान को टॉर्चर किया जाता है, ऐसा इंसान गलत कैसे हो सकता है?’

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Chaturesh Tiwari

An accomplished digital content creator and Planner. Creating enhanced news content for online and social media. Having more than 10 years experience in the field of Journalism. Done Master of Journalism from M…और पढ़ें

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