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दिल्ली के शाहदरा जिले के दिलशाद गार्डन इलाके में एक बंद कमरे से उठती तेज बदबू ने पूरे मोहल्ले की रूह कंपा दी. कमरे के दो कोनों में दो शव फंदे से लटके हुए थे. दोनों की हालत देखकर साफ था कि मौत को कई दिन बीत चुके…और पढ़ें

शाहदरा जिले के दिलशाद गार्डन इलाके में एक बंद कमरे में लटका मिला भाई बहन का सड़ा हुआ शव (image credit-canva)
हाइलाइट्स
- फ्लैट से आ रही था भयंकर बदबू
- कमरे में लटका मिला भाई बहन का शव
- तीन दिन से कमरे में बंद थे, बाहर पड़ा था अखबार
नई दिल्ली: दिल्ली का दिलशाद गार्डन, इलाके की एक शांत सी गली, गली का वो बंद घर और गुरुवार का दिन. बंद दरवाजे के अंदर से कुछ गंदी दुर्गंध आ रही थी, जिससे आस-पास के लोग परेशान हो गए थे. परेशान होकर जब पड़ोसियों ने फ्लैट का दरवाजा तोड़ा तो अंदर जो नजारा था, उसने हर किसी को सन्न कर दिया. एक ही कमरे में दो लाशें फंदे से झूल रही थीं.
दरअसल, घटना सीमापुरी थाना क्षेत्र के डी-409 फ्लैट की है, जहां 32 साल के वीरेश कुमार तोमर और 30 साल की उनकी बहन प्रीति उर्फ चिंकी पिछले पांच साल से रह रहे थे. दोनों ना किसी से ज्यादा मतलब रखते और न ही किसी से ज्यादा बात करते. बस घर का सामान लेने जाते और सामान लेकर घर आ जाते. लेकिन ऐसा क्या हुआ कि दोनों भाई बहनों की लाश एक साथ एक फंदे में झूलती मिली? चलिए जानते हैं.
पांच सालों से रह रहे थे फ्लैट में
वीरेश और प्रीति उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के रहने वाले थे. दोनों पिछले पांच सालों से दिलशाद गार्डन के इसी फ्लैट में रह रहे थे. इससे पहले वह झिलमिल इलाके में किराए पर रहते थे. वीरेश एक प्राइवेट आईटी कंपनी में काम करता था और प्रीति एमबीए की पढ़ाई कर रही थी. दोनों के माता-पिता का पहले ही निधन हो गया था. मां की मौत के बाद, दोनों ने दिल्ली में बसने का फैसला किया था.
दरवाजा हमेशा रहता था बंद
पड़ोसी आकाश बताते हैं कि ‘इन दोनों भाई-बहन से शायद ही किसी ने बातचीत की हो. उनका दरवाजा हमेशा बंद रहता था. न आवाज, न कोई चहल-पहल. ऐसा लगता था जैसे वो दुनिया से कटे हुए हों.’ अशोक सिंह, जो ऊपर वाले फ्लोर पर रहते हैं, ने बताया कि उन्होंने पिछले पांच साल में केवल दो या तीन बार ही प्रीति को खिड़की से झांकते या खाना बनाते देखा था. बाकी समय दोनों घर के अंदर ही रहते थे. अधिकतर खाना और जरूरत का सामान ऑनलाइन मंगवाते थे.
न कोई सुसाइड नोट, न कोई चोट
DCP प्रशांत गौतम ने बताया कि, जब पुलिस मौके पर पहुंची तो फ्लैट अंदर से बंद था. बदबू इतनी थी जिसे सहना नामुमकिन हो गया था. फायर ब्रिगेड की मदद से दरवाजा तोड़कर अंदर घुसा गया. अंदर दो शव सड़ी-गली हालत में फंदे से लटकते मिले. कमरे में तीन दिन पुराना अखबार पड़ा मिला, जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि मौतें तीन दिन पहले हो चुकी थीं. अंदर कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है. शवों पर किसी तरह की चोट के निशान भी नहीं पाए गए हैं. इसलिए अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह आत्महत्या है के पीछे क्या वजह है. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, जो मौत की असली वजह बताएगी.
जब पुलिस ने बागपत में रहने वाले रिश्तेदारों से संपर्क किया, तो कुछ करीबी सीमापुरी थाने पहुंचे. रिश्तेदार विकास तोमर ने बताया कि दोनों का परिवार से भी कोई नियमित संपर्क नहीं था. विकास ने बताया कि ‘वीरेश और प्रीति करीब 10-12 साल से किसी पारिवारिक कार्यक्रम में नहीं आए. हम लोगों ने कई बार संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई कोई जवाब नहीं मिलता था.’ परिवार वालों ने प्रीति की शादी की भी बात की थी, लेकिन उसने मना कर दिया था, यह कहकर कि वह अभी पढ़ाई करना चाहती है.