बस्तर की सांस्कृतिक विरासत को मिला सम्मान, पंडी राम मंडावी को राष्ट्रपति ने पद्मश्री से नवाजा

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Pandi Ram Mandavi Chhattisgarh: गोंड मुरिया जनजाति से ताल्लुक रखने वाले पंडी राम मंडावी (68) पारंपरिक वाद्ययंत्रों खासकर बस्तर बांसुरी जिसे स्थानीय भाषा में सुलुर कहा जाता है, उसे बनाने में माहिर हैं.

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पंडी राम मंडावी बस्तर बांसुरी बनाने में माहिर हैं.

रायपुर. छत्तीसगढ़ के बस्तर की पारंपरिक वाद्ययंत्र निर्माण कला और लकड़ी की शिल्पकला को राष्ट्रीय मंच पर प्रतिष्ठा दिलाने वाले नारायणपुर जिले के पंडी राम मंडावी को देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें यह सम्मान राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया. गोंड मुरिया जनजाति से ताल्लुक रखने वाले 68 वर्षीय पंडी राम मंडावी पारंपरिक वाद्ययंत्रों विशेषकर बस्तर बांसुरी जिसे स्थानीय भाषा में ‘सुलुर’ कहते हैं, उसके निर्माण में माहिर हैं.

पंडी राम मंडावी ने न केवल बांसुरी बल्कि लकड़ी पर की जाने वाली बारीक चित्रकारी, मूर्तिकला और विभिन्न शिल्पकृतियों के माध्यम से बस्तर की पारंपरिक कला को वैश्विक पहचान दिलाई है. पंडी राम ने यह कला 12 से 16 वर्ष की आयु के बीच अपने पूर्वजों से सीखी थी और तब से ही बस्तर की सांस्कृतिक परंपराओं को संजोने और आगे बढ़ाने के कार्य में लगे हैं. उनकी कलाकृतियां न केवल छत्तीसगढ़ में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रदर्शित की गई हैं और खूब सराही गई हैं.

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने दी बधाई
पद्मश्री सम्मान मिलने के बाद छत्तीसगढ़ में हर्ष का माहौल है. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पंडी राम मंडावी को बधाई देते हुए कहा कि यह पूरे राज्य के लिए गौरव का क्षण है. मंडावी जी ने बस्तर की सांस्कृतिक पहचान को देश-दुनिया में नई ऊंचाई दी है.

सांस्कृतिक विरासत का भी सम्मान
बताते चलें कि राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में इस साल गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर घोषित 139 पद्म पुरस्कारों में से पहले चरण में 71 व्यक्तियों को सम्मानित किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में यह समारोह संपन्न हुआ. पंडी राम मंडावी का यह सम्मान न केवल उनकी कला का गौरव है बल्कि यह बस्तर की जीवंत सांस्कृतिक विरासत का भी सम्मान है. उनकी सफलता आने वाली पीढ़ियों को भी पारंपरिक कलाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रेरित करेगी.

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‘सुलुर’ बनाने में माहिर हैं पंडी राम मंडावी, अब मिला पद्मश्री सम्मान

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