पहले दफनाया शव, फिर लगा दिए गोभी के फूल, ऊपर से डाल दिया 100 किलो नमक… फिर भी छूट गए आरोपी!


भिलाई: 9 नवंबर 2015 की शाम, धनतेरस का दिन, बाजारों में रौनक, हर तरफ रोशनी और भीड़ थी. इसी भीड़भाड़ में एक लड़का अचानक गुम हो गया. नाम था अभिषेक मिश्रा, भिलाई के जाने-माने इंजीनियरिंग कॉलेज के चेयरमैन आईपी मिश्रा का इकलौता बेटा. धनतेरस के दिन अभिषेक की एक्स गर्लफ्रेंड किम्सी जैन अपने घर, चौहान टाउन, भिलाई बुलाया. वहां पहले से ही विकास जैन और अजीत सिंह मौजूद थे. किम्सी की शादी अब विकास जैन से हो चुकी थी.

शव के ऊपर उगाए गोभी के फूल
अभिषेक घर में दाखिल हुआ, इसके बाद पहले से चल रही किसी बात को लेकर बहस छिड़ गई. इस विवाद के बीच विकास और अजीत सिंह ने पीछे से अभिषेक के सिर पर लोहे की रॉड से वार किया, जिससे अभिषेक गिर पड़ा चेक करने पर पता चला कि अभिषेक की मौत हो गई है. किम्सी, विकास और अजीत घबरा गए. इसके बाद घटनास्थल से 3 किलोमीटर दूर अजीत के एक किराए के मकान में शव ले जाया गया. वहां पहले से ही एक 6 फीट गहरे गड्ढा खना हुआ था. मानो पहले से ही हत्या की प्लानिंग की गई हो. गड्ढे में शव को दफना दिया गया. शव से बदबू ना आए इसलिए उसके ऊपर 100 किलो नमक डाल दिया गया. इतना ही नहीं शव के छाती के ऊपर फूलगोभी की फसल उगाई गई.

बगीचे से मिली सड़ी-गली लाश
उधर अभिषेक के पिता परेशान हो रहे थे, अभिषेक जब घर नहीं आया तो पिता ने 10 नवंबर को दुर्ग जिले के जेवरा चौकी में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई. 22 दिसंबर को पुलिस ने शक के आधार पर विकास जैन और अजीत सिंह को हिरासत में लिया. पूछताछ के अगले दिन ही बगीचे से सड़ी-गली लाश मिली, लाश पूरी तरह से सड़ चुकी थी, पहचान अभिषेक के पहने कड़े, अंगूठी और लॉकेट से की गई. लेकिन हत्या का न कोई सबूत था, ना ही कोई वीडियो या तस्वीर.

करोड़ मोबाइल फोन की कॉल डिटेल्स खंगाला
इस हत्याकांड में पुलिस ने देशभर के एक करोड़ मोबाइल फोन की कॉल डिटेल्स खंगाला, लेकिन जब बात कोर्ट में सबूत पेश करने की आई, तो जांच की कमजोरियां एक-एक कर खुलती गईं. पुलिस के पास कॉल डिटेल्स के अलावा कोई ठोस सबूत नहीं था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी अभिषेक के शरीर पर किसी तरह की चोट के निशान नहीं मिले. सिर पर लोहे की रॉड से वार की बात तो कही गई, लेकिन शरीर पर कोई चोट का निशान नहीं मिला. किम्सी जैन, जो विकास की पत्नी है, पर भी हत्या की साजिश का आरोप लगा. लेकिन कोर्ट ने माना कि घटना से 28 दिन पहले ही उसका सिजेरियन ऑपरेशन हुआ था. उसके नवजात बेटे की तबीयत खराब थी और घटना से एक दिन पहले वह अस्पताल में थी. कोर्ट ने कहा, यह मानना मुश्किल है कि एक मां इतनी बड़ी वारदात का हिस्सा बन सकती है. नतीजा, किम्सी जैन को पहले ही बरी कर दिया गया.

कोर्ट ने कर दिया बरी
दुर्ग की जिला अदालत ने मई 2021 में विकास जैन और अजीत सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, लेकिन दोनों ने हाई कोर्ट में अपील की. इस बार कोर्ट ने पाया कि हत्या का मकसद ही साबित नहीं हो पाया. कॉल डिटेल्स के अलावा कोई भी ठोस फोरेंसिक या कानूनी सबूत नहीं है न ही कोई ऐसा गवाह मिला जिसने देखा हो कि हत्या कैसे हुई. हाई कोर्ट में यह मामला चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच में चला. दिलचस्प बात यह रही कि विकास जैन ने अपनी पैरवी खुद की. उनके साथ वकील अनिल तावड़कर और उमा भारती साहू ने भी बचाव पक्ष में मजबूत तर्क रखे. उनका कहना था कि पूरा केस सिर्फ ‘परिस्थितिजन्य साक्ष्यों’ पर टिका है, हत्या की कोई ठोस कड़ी नहीं जुड़ पाई. आरोपी विकास जैन ने मामले की पैरवी करते हुए बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कोई इंजरी नहीं है. रॉड से सिर पर वार की बात कही जा रही है, लेकिन कोई चोट नहीं है. हत्या का मकसद साबित नहीं हो सका. जिसके चलते आरोपियों को अदालत ने दोषमुक्त कर दिया.



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