Last Updated:
Sports News: नागौर के मेड़ता सिटी निवासी और पेरा शूटर शिवराज सांखला एक बार फिर इतिहास दोहराने जा रहे हैं. दरअसल, शिवराज का चयन साउथ कोरिया के चांगवॉन शहर में 27 मई से 6 जून तक होने वाली पेरा शूटिंग वर्ल्ड कप प्…और पढ़ें

पेरा शूटर शिवराज सांखला
हाइलाइट्स
- शिवराज सांखला का चयन पेरा शूटिंग वर्ल्ड कप के लिए हुआ.
- शिवराज ने 50 मीटर पिस्टल शूटिंग में स्वर्ण पदक जीता.
- शिवराज ने मेड़ता सिटी में शूटिंग अकादमी शुरू की.
नागौर. राजस्थान के नागौर जिले के मेड़ता सिटी के निवासी और पेरा शूटर शिवराज सांखला एक बार फिर शहर और देश का नाम रोशन करने जा रहे हैं. शिवराज का चयन साउथ कोरिया के चांगवॉन शहर में 27 मई से 6 जून तक होने वाली पेरा शूटिंग वर्ल्ड कप प्रतियोगिता के लिए भारतीय टीम में हुआ है. शिवराज इस प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. हाल ही में दिल्ली में आयोजित वर्ल्ड कप ट्रायल प्रतियोगिता में शिवराज ने 50 मीटर पिस्टल शूटिंग में प्रथम स्थान प्राप्त कर स्वर्ण पदक अपने नाम किया.
शिवराज ने बताया कि यह मुकाम दिलाने में कोच पीएन प्रकाश की अहम भूमिका रही है, जो खुद ओलंपिक पदक विजेता और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित कोच हैं. उनके मार्गदर्शन में शूटिंग की बारीकियों को सीखकर लगातार निखरता जा रहा हूं. खास बात यह है कि शिवराज ने मेड़ता सिटी में अपनी एक शूटिंग अकादमी भी शुरू की है, जहां वे युवाओं को निशानेबाजी का प्रशिक्षण दे रहे हैं. उनकी इस पहल से ग्रामीण क्षेत्रों के प्रतिभावान युवा भी इस खेल की ओर आकर्षित हो रहे हैं. शिवराज सांखला ने बताया कि उनका सपना है कि वे इससे भी आगे बढ़े और देश का नाम रोशन करे. वे लगातार प्रतियोगिताओं के लिए प्रयासरत है.
2016 में शुरू हुआ था सफर
शिवराज का शूटिंग करियर 14 अगस्त 2016 को जयपुर के जगतपुरा शूटिंग रेंज में सिल्वर मेडल जीतने से शुरू हुआ. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने यह साबित कर दिया कि यदि हौंसले बुलंद हों तो कोई भी मंजिल दूर नहीं. वर्तमान में शिवराज सांखला आयकर विभाग में टैक्स असिस्टेंट के पद पर भोपाल में कार्यरत हैं. उन्होंने बताया कि खेल कोटे से सरकारी नौकरी प्राप्त करने के कई अवसर होते हैं, विशेष रूप से शूटिंग जैसे खेल में नौकरियां मिल जाती है.
ये भी पढ़ें: गर्मी हो फिर सर्दी… रेगिस्तान की ये भैंसे बाल्टी भर-भर कर देती है दूध, एक ब्यात में मिलेगा 2000 लीटर दूध
कम संसाधनों में गढ़ी सफलता की कहानी
शिवराज दोनों पैरों से 80 प्रतिशत तक असक्षम हैं, लेकिन कभी खुद को कमजोर नहीं माना. शुरूआत में आर्थिक तंगी के चलते उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. शूटिंग जैसे महंगे खेल में कदम रखना आसान नहीं था, लेकिन शिवराज ने हार नहीं मानी. साधनों के अभाव में भी उन्होंने रोजाना 5 घंटे अभ्यास जारी रखा और खुद को साबित किया.