World Environment Day Special: एक पौधा जो बना वरदान! कैंसर और सांप के जहर का रामबाण इलाज, बचाने में लगा ‘नायक’

Last Updated:

World Environment Day 2025 Special: कोरबा के दिनेश कुमार दुर्लभ औषधीय पौधों के संरक्षण में जुटे हैं. उन्होंने 200 से अधिक प्रजातियों को सहेजा है, जिनमें कैंसर रोधी दहीमन प्रमुख है.

X

Image 

Image 

हाइलाइट्स

  • दिनेश कुमार ने 200 से अधिक औषधीय पौधों को संरक्षित किया.
  • दहीमन पौधे की छाल में कैंसर और सर्प विष के इलाज के गुण हैं.
  • दिनेश कुमार बच्चों को औषधीय पौधों के महत्व के बारे में जागरूक करते हैं.

कोरबा. विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर, कोरबा जिले में एक अनोखी पहल देखने को मिली है. यहां एक स्थानीय नर्सरी संचालक दिनेश कुमार ने जंगलों में खत्म हो रहे दुर्लभ औषधीय पौधों को बचाने का संकल्प लिया है. उन्होंने अब तक 200 से अधिक प्रजातियों के औषधीय पौधों को संरक्षित किया है और उनके गुणों के बारे में जागरूकता फैला रहे हैं.

दिनेश कुमार, जो अमादाढ़-कोरकोमा रोड पर अपनी नर्सरी चलाते हैं, व्यवसाय के साथ-साथ दुर्लभ पौधों को सहेजने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं.वे छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा और पहल जैसी संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं, जो उन्हें इस नेक काम में मदद करती हैं.

दिनेश कुमार ने बताया कि कोरबा में दुर्लभ और औषधीय पौधों की प्रचुरता है, लेकिन जागरूकता की कमी और अंधाधुंध कटाई के कारण वे तेजी से विलुप्त हो रहे हैं. उन्होंने अब तक तेजराज, भोजराज, नागरकेला, वनराज, कामराज, दहीमन जैसे कई दुर्लभ पौधों को संरक्षित किया है.यहां तक कि वैद्य भी औषधि के लिए उनसे दुर्लभ प्रजाति के पौधे प्राप्त करते हैं.

दिनेश कुमार का कहना है कि वे इन पौधों का प्रदर्शन कर बच्चों को इनके गुणों के बारे में जागरूक करते हैं.उनका मानना है कि अगली पीढ़ी को इन पौधों के महत्व को समझना होगा ताकि वे भविष्य में इन्हें संरक्षित करने के लिए प्रेरित हों.

इस वर्ष, दिनेश कुमार ने कोरबा जिले में पाए जाने वाले दुर्लभ औषधीय पौधे दहीमन के 200 पौधे तैयार कर लोगों को बांटने और उसके प्रति जागरूकता फैलाने का लक्ष्य रखा है. छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा ने 6 साल पहले एक खोज यात्रा में इस औषधीय पौधे की खोज की थी, जिसमें पाया गया कि इसकी छाल में कैंसर से लड़ने के गुण हैं.

इस खोज यात्रा में शामिल विज्ञान विशेषज्ञों की टीम ने पाया कि दहीमन के पौधे की छाल से मिलने वाले ईथेनालिक एक्सट्रैक्ट में एंटीफंगल, एंटीमाइक्रोबियल और एंटी कैंसर तत्व पाए जाते हैं. इतना ही नहीं, यह भी बताया जा रहा है कि इस पौधे की छाल में मौजूद ईथेनालिक एक्सट्रैक्ट में कोबरा प्रजाति के सर्पों के विष के लिए एंटी वेनम बनाने की क्षमता पर भी शोध कार्य चल रहा है.

दिनेश कुमार का यह प्रयास निश्चित रूप से सराहनीय है और यह अन्य लोगों को भी पर्यावरण संरक्षण और दुर्लभ औषधीय पौधों को बचाने के लिए प्रेरित करेगा.

authorimg

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Producer for Local 18 at News18, bringing over one years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology.He has worked as…और पढ़ें

Anuj Singh serves as a Content Producer for Local 18 at News18, bringing over one years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology.He has worked as… और पढ़ें

homelifestyle

एक पौधा जो बना वरदान! कैंसर और सांप के जहर का रामबाण इलाज, बचाने में लगा ‘नायक

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *