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बॉलीवुड की दुनिया चमक-दमक से भरी होती है, लेकिन इसके पीछे असल कहानियां ऐसी भी हैं जो दिल दहला सकती हैं. एक्टर फर्श से अर्श पर आ जाते हैं. रातोंरात स्टार बन जाते हैं. लेकिन कुछ का करियर राजेश खन्ना की तरह तेजी स…और पढ़ें

गानों ने बना दिया था रातोंरात स्टार
हाइलाइट्स
- भगवान दादा ने इंडस्ट्री में राज किया.
- शराब और गलत आदतों ने करियर बर्बाद किया.
- आखिरी दिन चॉल में गुजारे.
नई दिल्ली. हिंदी सिनेमा का वो सितारा, जिसने अपने करियर में शशि कपूर से लेकर राज कपूर तक सभी के साथ काम किया. अपने हर किरदार से उन्होंने इतिहास रच दिया.लेकिन 1 गाने के बाद तो वह रातोंरात स्टार बन गए. न सिर्फ उनकी किस्मत चमकी बल्कि वह इंडिया के सबसे अमीर एक्टर भी बन गए. लेकिन शोहरत और गलत आदतों ने एक्टर का बना बनाया करियर बर्बाद कर दिया. आखिरी दिन इस एक्टर के चॉल में बीते थे.
शूटिंग सेट पर करवाई थी पैसों की बरसात
शानदार एक्टर का अनोखा था अंदाज
2 बंगले और सात कारों के थे मालिक
सास 1951 में आई फिल्म ‘अलबेला’ ने भगवान दादा को रातों-रात स्टार बना दिया था. गीताबाली के साथ उनकी जोड़ी और फिल्म के गाने जैसे ‘शोला जो भड़के’ और ‘भोली सूरत दिल के खोटे’ सुपरहिट हो गए. फिल्म की कामयाबी ने उन्हें इडंस्ट्री का सबसे अमीर एक्टर बना दिया था. लेकिन इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक बाद में उन्होंने खुद कहा था, मैं लाखपति बन गया था. मैंने एक स्टूडियो खरीदा, हर दिन के लिए एक विदेशी गाड़ी खरीदी, जिन्हें मैं सात दिन के लिए हर दिन 1 गाड़ी लेकर जाता ता. मेरे पास जुहू में 25 कमरों का बंगला था. लेकिन फिर सब कुछ लुट गया.मैं शराबी-कबाबी बन गया था. रेसकोर्स, जुआ, शराब और औरतें मेरी कमजोरी बन गईं. मैंने अपने परिवार को नज़रअंदाज़ किया. शायद ये भगवान की सज़ा थी.उन्होंने माना कि उन्होंने खुद ही अपना सब कुछ बर्बाद कर दिया.
बता दें कि अपनी बातचीत में उन्होंने इस बात का भी खुलासा किया था कि उन्हें गाड़ियों का बड़ा शौक था.लेकिन ये रॉयल ज़िंदगी ज़्यादा वक्त तक नहीं चल पाई.धीरे-धीरे उनकी फिल्में फ्लॉप होने लगीं. फिर उन्होंने फिल्म ‘हंसते रहना’ बनाने की ठानी, जिसमें उन्होंने किशोर कुमार को कास्ट किया. ये उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था. फिल्म के लिए उन्होंने अपना बंगला और गाड़ियां तक गिरवी रख दीं. लेकिन किशोर कुमार के लगातार नखरों की वजह से फिल्म कभी पूरी ही नहीं हो पाई.आखिरकार भगवान दादा को सब कुछ बेचना पड़ा और वो एक चाल में रहने लगे. यहीं उन्होंने अपने जीवन के अंतिम दिन गुजारे थे.