आतंकी हमले में हुए थे शहीद, अब बना स्मारक स्थल, नाम रखा ‘शहीद बलराम तिग्गा चौक’

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Shaheed Balram Tigga Chowk: शहीद बलराम तिग्गा को अब सम्मान मिला. उनका स्मारक स्थल बनकर तैयार हो गया है. स्मारक स्थल को शहीद बलराम तिग्गा चौक नाम दिया गया है.

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शहीद बलराम तिग्गा चौक नाम रखा गया है.

अम्बिकापुर. साल 2010 जब सैनिक बलराम तिग्गा जम्मू-कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित जिला बारामूला में पदस्थ थे, तो ड्यूटी के दौरान बारामूला के पठान मार्केट एरिया में आतंकवादियों ने हमला कर दिया था, जिसमें बलराम तिग्गा अपने एक साथी समेत बुरी तरह घायल हो गए थे. हमले में गंभीर रूप से घायल सैनिक बलराम तिग्गा ने इलाज के दौरान अंतिम सांस ली. इससे उनका परिवार सदमे में आ गया. उनके परिवार में पत्नी और चार बच्चे हैं. पत्नी ने किसी तरह परिवार को संभाला. उनके एक बेटे और बेटी की शादी हो चुकी है. साल 2025 में शहीद बलराम तिग्गा को सम्मान मिला. उनको समर्पित स्मारक स्थल अब बनकर तैयार हो गया है. स्मारक स्थल का नाम शहीद बलराम तिग्गा चौक रखा गया है. इस दौरान उनका परिवार वहां मौजूद रहा. उनकी पत्नी की आंखें खुशी से नम हो गईं. बेटा अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहा है कि पिता के वीरगति को प्राप्त होने के बाद भी उनका नाम गूंज रहा है. उनके पिता की हूबहू प्रतिमा तैयार की गई है, जिससे वह काफी खुश हैं. परिवार के लिए यह दिन बहुत खुशी का दिन है.

शहीद बलराम तिग्गा का परिवार सरगुजा के ग्रामीण इलाके कतकालो का रहने वाला है. वह भारतीय सेना में कार्यरत थे. आतंकी हमले में शहीद होने के बाद उनका पार्थिव शरीर गृहग्राम कतकालो लाया गया, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया. बीते साल देश के लिए शहीद होने पर सीतापुर विधानसभा के सभी सैनिकों की स्मृति में पूर्व सैनिक और विधायक ने स्मारक बनाने की घोषणा की थी. जिसका अब छत्तीसगढ़ के शिमला कहे जाने वाले मैनपाट के रोपाखार चौक में अनावरण हुआ, जिसका नामकरण भी किया गया. अब लोग इस स्थल को शहीद बलराम तिग्गा चौक के नाम से जानेंगे.

पत्नी को नहीं बताते थे बॉर्डर के किस्से
शहीद बलराम तिग्गा की पत्नी ने लोकल 18 से कहा कि उनके पति 25 साल जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना में कार्यरत रहे. आतंकवादियों से लड़ने के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए. जब भी वह घर आते थे, तो उन्हें बॉर्डर की कोई बात नहीं बताते थे. वह उनसे पूछती थीं, तो भी वह कुछ नहीं बताते थे. उन्हें लगता था कि वह डर जाएंगी, इसलिए कुछ नहीं बताते थे. उनके जाने पर दुख बहुत हुआ लेकिन अब खुशी हो रही है कि पूरा परिवार उनके स्मारक को देखने आया है. बेटे ने कहा कि स्मारक देख बहुत खुशी हो रही है. पिता के बारे में उतना नहीं जानते हैं लेकिन सुना है कि सर्च ऑपरेशन के दौरान आतंकवादियों से मुठभेड़ हुई थी, जिसमें वह शहीद हो गए. वह अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.

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छत्तीसगढ़ के शहीद के स्मारक का अनावरण, नाम रखा ‘शहीद बलराम तिग्गा चौक’

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