500 साल पुराना है छत्तीसगढ़ का जगन्नाथ मंदिर, पुरी की तरह निकलती रथयात्रा, जानें भोग में क्या होता खास?

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Chhattisgarh Jagannath Temple: जगन्नाथ मंदिर करीब 500 साल पुराना है. इस लिहाज से यह मंदिर छत्तीसगढ़ की प्राचीन धार्मिक धरोहरों में से एक है. पुरी की तर्ज पर यहां भी रथयात्रा निकाली जाती है. इस साल यह यात्रा 27 …और पढ़ें

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छत्तीसगढ़ में भी जगन्नाथ मंदिर है.

रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित ऐतिहासिक जगन्नाथ मंदिर इन दिनों श्रद्धा और उत्सव के माहौल में सराबोर है. हर साल की तरह इस वर्ष भी भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की रथ यात्रा भव्य रूप से मनाई जाएगी. इस वर्ष आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि 27 जून दिन मंगलवार को रथयात्रा निकाली जाएगी. इस अवसर पर भगवान स्वयं भक्तों को दर्शन देने नगर भ्रमण पर निकलते हैं. उनके दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. इस पावन अवसर से पहले राजधानी स्थिति 500 वर्ष पुरानी मंदिर की ऐतिहासिकता और महत्व को लेकर श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह देखने को मिल रहा है.

जगन्नाथ मंदिर के पुजारी तिलक दास महाराज ने लोकल 18 को बताया कि यह मंदिर लगभग 500 साल पुराना है. मंदिर द्वारा प्रकाशित ‘स्मृति गंध’ पुस्तक में मंदिर की उम्र 400 साल से अधिक बताई गई थी और अब इसके 500 वर्ष पूरे होने को हैं. इस दृष्टि से यह मंदिर छत्तीसगढ़ की प्राचीन धार्मिक धरोहरों में से एक है. यह मंदिर न केवल स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण है बल्कि एक सिद्धपीठ भी माना जाता है. वह बताते हैं कि यहां आने वाले भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और जब उनकी इच्छाएं पूर्ण होती हैं, तो वे प्रसाद चढ़ाने और भगवान को भोग लगाने विशेष रूप से पुनः दर्शन करने आते हैं. यह आस्था की वह डोर है, जिसने इस मंदिर को पूरे छत्तीसगढ़ में विशेष स्थान दिलाया है.

पुरी की तर्ज पर रथयात्रा का आयोजन
पुरी, ओडिशा के जगन्नाथ धाम की तर्ज पर यहां भी रथयात्रा का आयोजन पूरी विधि-विधान और सेवा भाव से किया जाता है. आरती, हवन, नगर भ्रमण, महाप्रसाद सब कुछ उसी परंपरा के अनुसार होता है. रथयात्रा की संपूर्ण व्यवस्था प्रमुख महामंडलेश्वर महंत डॉ रामसुंदर दास के निर्देशन में की जाती है, जो आयोजन को एक भव्य और अनुशासित रूप प्रदान करते हैं.

अंकुरित मूंग और चने का भोग
रथयात्रा के दिन विशेष रूप से गजा मूंग चना यानी अंकुरित मूंग और चना का भोग भगवान को अर्पित किया जाता है, जिसे बाद में भक्तों में प्रसाद स्वरूप वितरित किया जाता है. दोपहर में विशेष हवन और आरती के उपरांत राजभोग अर्पित किया जाता है, जिसमें महा प्रसाद, सब्जियां, दाल और मिठाइयां होती हैं. ऐसे आयोजनों के माध्यम से छत्तीसगढ़ की धार्मिक परंपराएं और सांस्कृतिक विरासत न केवल सजीव रहती हैं बल्कि पीढ़ी दर पीढ़ी श्रद्धा के साथ आगे बढ़ती हैं. रायपुर के इस जगन्नाथ मंदिर में रथ यात्रा के बहाने दर्शन करने आ सकते हैं.

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500 साल का इतिहास समेटे छत्तीसगढ़ का जगन्नाथ मंदिर, यहां भी निकलती ‘रथयात्रा’

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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