MP की ‘3 इडियट्स’ रियल स्टोरी: दोस्त की ST पहचान चुराकर बन गया डॉक्टर, ICU में मरीज की मौत से फूटा फ्रॉड


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मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक चौंकाने वाला मेडिकल फर्जीवाड़ा सामने आया है. सतेंद्र कुमार नामक युवक ने अपने आदिवासी दोस्त बृजराज सिंह उइके की पहचान चुराकर नेताजी सुभाष चंद्र मेडिकल कॉलेज में ST कोटे से दाखिला लिय…और पढ़ें

'3 इडियट्स' रियल स्टोरी: दोस्त की पहचान चुराकर बना डॉक्टर, मौत से फूटा फ्रॉड

जबलपुर से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है.

हाइलाइट्स

  • सतेंद्र ने दोस्त की पहचान चुराकर डॉक्टर की पढ़ाई की.
  • फर्जीवाड़े का खुलासा मरीज की मौत के बाद हुआ.
  • पुलिस ने सतेंद्र के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया.

नारायण गुप्‍ता
जबलपुर/कटनी .
मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने चिकित्सा शिक्षा प्रणाली की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. सतेंद्र कुमार नामक एक युवक ने अपने आदिवासी मित्र बृजराज सिंह उइके की पहचान चुराकर एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की और पूरे सात वर्षों तक डॉक्टर बनकर प्रैक्टिस करता रहा. हैरानी की बात यह है कि असली बृजराज पेशे से एक दीवार चित्रकार है और उसे इस धोखाधड़ी की भनक तक नहीं थी.  यह मामला 2009 की फिल्म ‘3 इडियट्स’ की उस कहानी की याद दिलाता है जहां एक किरदार दोस्त की पहचान का इस्तेमाल कर इंजीनियर बनता है लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि यह कहानी रियल है और बेहद खतरनाक भी.

इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश सितंबर 2024 में उस वक्त हुआ जब मनोज कुमार महावर नामक व्यक्ति ने अपनी मां की मौत के लिए चिकित्सकीय लापरवाही को जिम्मेदार ठहराते हुए थाने में शिकायत दर्ज कराई. उनकी मां को 1 सितंबर की रात जबलपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां अगले ही दिन उनकी मौत हो गई. जब पुलिस ने इलाज से जुड़े रिकॉर्ड खंगाले, तो सामने आया कि उस रात ICU में ड्यूटी पर ‘डॉ. बृजराज सिंह उइके’ नाम का व्यक्ति तैनात था. परिवार को शक हुआ और पुलिस ने इस नाम की बायोग्राफी खंगालनी शुरू की. तब खुलासा हुआ कि असली बृजराज सिंह उइके तो एक गरीब चित्रकार है, जो दीवारों पर पेंटिंग कर अपनी जीविका चलाता है.

पुलिस ने जब बृजराज को सारी जानकारी दी और उसे जब आरोपी डॉक्टर की तस्वीर दिखाई गई तो उसने तुरंत कहा, “ये तो मेरा दोस्त सतेंद्र है!” पुलिस जांच में यह साफ हो गया कि सतेंद्र ने बृजराज की जातीय पहचान का दुरुपयोग करते हुए नेताजी सुभाष चंद्र मेडिकल कॉलेज में ST कोटे के तहत दाखिला लिया था. साल 2018 में उसने एमबीबीएस डिग्री हासिल की और इसके बाद एक निजी अस्पताल में बतौर डॉक्टर सेवा देना शुरू कर दिया. पूरे सात वर्षों तक सतेंद्र ने न सिर्फ डॉक्टर का चोला पहना बल्कि दर्जनों मरीजों का इलाज भी किया. बगैर असली हकदार और बिना अपनी असल पहचान उजागर किए. इस दौरान बृजराज को अंदाजा तक नहीं था कि उसके नाम पर कोई उसकी ज़िंदगी की पहचान जी रहा है.

अब पुलिस ने सतेंद्र के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं में धोखाधड़ी, जालसाजी और साजिश का मामला दर्ज किया है और उसकी गिरफ्तारी के लिए टीमें गठित कर दी गई हैं. साथ ही यह सवाल भी जोर पकड़ रहा है कि क्या मेडिकल कॉलेजों में दाखिले और डॉक्टरी लाइसेंस के दौरान कोई वैरिफिकेशन नहीं होता?

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