वॉशिंगटन. कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा है कि भारत एवं पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष के परिदृश्य में चीन एक ऐसा कारक है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. थरूर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलने की कवायद इस संघर्ष से पहले, पिछले कुछ महीनों में ‘‘अच्छी प्रगति करती प्रतीत हो रही थी.’’
थरूर ने कहा कि ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के तहत सबसे बड़ी एकल परियोजना चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा है और 81 प्रतिशत पाकिस्तानी रक्षा उपकरण चीन से आए हैं. उन्होंने कहा, ‘‘यहां रक्षा शायद गलत शब्द है. कई मायनों में आक्रमण करने के उपकरण (सही शब्द है)….’’ थरूर ने कहा, ‘‘पाकिस्तान के साथ हमारे संघर्ष की स्थिति में चीन को नजरअंदाज करना बिल्कुल असंभव कारक है.’’
थरूर ने कहा कि फिर पाकिस्तान के लिए व्यावहारिक समर्थन के मामले में, यहां तक कि सुरक्षा परिषद में भी, ‘‘हमने एक बहुत अलग चीन देखा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘पड़ोस के संदर्भ में हमारे सामने क्या चुनौतियां हैं, इसे लेकर हमें कोई भ्रम नहीं है लेकिन मैं आप सभी को याद दिलाना चाहता हूं कि भारत ने अपने विरोधियों के साथ भी संवाद के माध्यम खुले रखने का रास्ता हमेशा चुना है.’’
प्रेस वक्तव्य में कहा गया था, ‘‘सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने आतंकवाद के इस निंदनीय कृत्य के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों एवं प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया.’’ हालांकि, प्रेस वक्तव्य में हमले के लिए जिम्मेदार समूह के रूप में ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ का उल्लेख नहीं किया गया. पाकिस्तान चीन के समर्थन से इसका नाम हटाने में कामयाब हो गया.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पिछले साल नवंबर में रियो डी जेनेरियो में जी-20 शिखर सम्मेलन के इतर चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी और इस साल फरवरी में जोहनिसबर्ग में दोनों की फिर से मुलाकात हुई थी.
उन्होंने कहा कि जब भारत ने देखा कि पाकिस्तानी चीनी प्रौद्योगिकी का उपयोग करके क्या करने की कोशिश कर रहे हैं, उदाहरण के लिए तुरंत प्रतिक्रिया देने वाले एवं चीनी विशेषज्ञता वाले ‘किल चेन’ का इस्तेमाल जिसमें रडार, जीपीएस, विमान और मिसाइल सभी एक साथ जुड़े हुए हैं, इसे देखकर ‘‘हमने चीजों को बस अलग तरीके से किया. अन्यथा, हम 11 पाकिस्तानी वायु सेना अड्डों को निशाना नहीं बना पाते और हम चीन द्वारा मुहैया कराई गई हवाई सुरक्षा को भेद नहीं पाते.’’
थरूर ने कहा, ‘‘इसलिए यह स्पष्ट है कि लड़ाई के दौरान आकलन किए जा रहे थे और हम अपनी रणनीतियों को फिर से तैयार कर रहे थे ताकि हम यथासंभव प्रभावी कदम उठा सकें.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह सच्चाई है कि चीन का पाकिस्तान में बहुत बड़ा हित है, ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ पर सबसे बड़ी एकल परियोजना पाकिस्तान में है- वह है ‘चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा’, इसलिए हमें इस बात को लेकर कोई भ्रम नहीं है कि चीन पाकिस्तान के प्रति कितनी प्रतिबद्धता महसूस करता है.’’