बेगूसराय: 7-8 साल की उम्र में एक बच्चा क्या करता है? आपका जवाब होगा- खेलता है, पढ़ता है, लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि एक 8 साल का बच्चा सीरियल किलर भी हो सकता है? जी हां, सही पढ़ा आपने, हम बात कर रहे हैं बिहार के बेगूसराय जिले के उस लड़के की, जिसे दुनिया का सबसे कम उम्र का सीरियल किलर माना जाता है. इस लड़के को सुमित के नाम से पुकारा जाता था, जिसने महज 8 साल की उम्र में तीन मासूमों को मौत के घाट उतार दिया.
सुमित का जन्म साल 1998 में बेगूसराय के एक गरीब परिवार में हुआ था. परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल होता था. मां-बाप दोनों मजदूरी करते थे और घर में बच्चों की देखरेख की जिम्मेदारी अक्सर सुमित पर ही आ जाती थी. जब वह सात साल का था, तब उसकी एक छोटी बहन का जन्म हुआ. सुमित का दिन अधिकतर बाहर घूमते, पेड़ों पर चढ़ते या बच्चों के साथ खेलते हुए गुजरता था. लेकिन उसके भीतर कुछ और ही पल रहा था. एक ऐसी मानसिक विकृति, जिसने उसे आम बच्चों से बिल्कुल अलग बना दिया. यह कहानी साल 2007 में सामने आई, जब बेगूसराय के एक गांव में दो हत्याओं के बाद तीसरे कत्ल ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी. पुलिस जब इस तीसरे कत्ल की जांच में जुटी, तब एक ऐसे खुलासे से सामना हुआ, जिसने सबको हैरान कर दिया.
पहली हत्या
सुमित का पहला शिकार बना उसका चचेरा भाई. एक दिन सुमित की मां राशन लेने के लिए बाजार गई हुई थी. घर में सुमित, उसकी आठ महीने की बहन और चाचा का बच्चा अकेले थे. सुमित अक्सर दोनों बच्चों को पीटता और उनके रोने पर उसे मजा आता. लेकिन उस दिन उसने कुछ ज्यादा ही कर दिया. गुस्से में उसने अपने चचेरे भाई का गला दबा दिया. जब उसकी मौत हो गई, तो उसने शव को घास के नीचे छिपा दिया और ऐसे बर्ताव किया जैसे कुछ हुआ ही न हो. जब मां घर लौटी और बच्चे को गायब पाया, तो सुमित से पूछताछ की गई. उसने मां को सच बता दिया कि उसने क्या किया है. इस पर उसके पिता ने उसे पीटा, लेकिन मामला पुलिस तक नहीं पहुंचाया गया. परिवार ने एक झूठी कहानी बनाकर चाची को समझा दिया और बात को दबा दिया. इस घटना को ‘पारिवारिक मामला’ मानकर सबने चुप्पी साध ली.
दूसरी हत्या
पहली हत्या के कुछ महीनों बाद सुमित ने अपनी ही आठ महीने की बहन का गला घोंट दिया. यह हत्या तब हुई जब माता-पिता सो रहे थे. चाचा ने बताया कि परिवार को इस हत्या की जानकारी थी, लेकिन वे इसे भी ‘घर की बात’ समझकर चुप रह गए.
तीसरी हत्या से खुला राज
2007 में जब सुमित ने तीसरी हत्या की, तब जाकर मामला पुलिस तक पहुंचा. इस बार उसका शिकार बनी पड़ोस की छह महीने की बच्ची खुशबू. बच्ची की मां ने बताया कि वह गांव के स्कूल के पास खेल रही थी और वहीं से अचानक लापता हो गई. काफी तलाश के बाद भी वह नहीं मिली. जब पुलिस को सूचना दी गई, तो जांच में सुमित पर शक गया. कुछ घंटों बाद सुमित ने खुद मान लिया कि उसने बच्ची की गला दबाकर हत्या कर दी थी. यही नहीं, उसने यह भी बताया कि उसने शव को ईंट से कुचलकर मिट्टी में दबा दिया था. वह खुद पुलिस और ग्रामीणों को उस जगह पर लेकर गया, जहां उसने शव छिपाया था.
पुलिस के सामने किया कबूल
सुमित को हिरासत में लेकर जब पुलिस ने पूछताछ की, तो उसने हत्याओं को कबूल कर लिया. हैरानी की बात ये थी कि जब उससे सवाल पूछा गया तो उसने पहले बिस्किट मांगा और फिर पूरी कहानी सुनाई. उसने न सिर्फ खुशबू की हत्या की बात स्वीकारी, बल्कि यह भी बताया कि उसने तीन महीने पहले अपनी बहन और एक साल पहले अपने चचेरे भाई की भी जान ली थी.
मानसिक विकार का शिकार था सुमित
एक मनोवैज्ञानिक ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि सुमित एक मानसिक बीमारी से ग्रस्त था, जिसमें उसे दूसरों को चोट पहुंचाकर मजा आता था. इस मानसिक स्थिति को ‘कंडक्ट डिसऑर्डर’ या ‘साइकोपैथिक टेंडेंसी’ कहा जाता है. भारतीय कानून के अनुसार, किसी नाबालिग को सीधे जेल नहीं भेजा जा सकता. सुमित को भी बाल सुधार गृह में रखा गया था, जहां वह 18 साल की उम्र तक रहा. अब सुमित 24 साल का हो चुका है, लेकिन उसकी वर्तमान स्थिति या स्थान के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है. उसके बारे में कोई रिकॉर्ड नहीं है कि वह अब कहां है, क्या कर रहा है, या उसकी मानसिक स्थिति में कोई सुधार हुआ या नहीं, किसी को कुछ जानकारी नहीं है.