छत्तीसगढ़ में कैसा ‘युक्तियुक्तकरण’, 45 हजार शिक्षकों का क्‍या होगा? विपक्ष के एक्‍शन से हड़कंप

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छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था के ‘युक्तियुक्तकरण’ पर विवाद गरमाया है. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार इस ‘युक्तियुक्तकरण’ को शिक्षा व्यवस्था में सुधार और संसाधनों के बेहतर उपयोग के रू…और पढ़ें

छत्तीसगढ़ में कैसा 'युक्तियुक्तकरण'? विपक्ष के एक्‍शन से हड़कंप

युक्तियुक्तकरण को लेकर छत्‍तीसगढ़ में धरना प्रदर्शन हो रहे हैं.

हाइलाइट्स

  • छत्तीसगढ़ में 10,463 स्कूल मर्ज किए जा रहे हैं.
  • 45,000 शिक्षकों का पुनर्गठन किया जाएगा.
  • कांग्रेस ने इसे ‘शिक्षा विरोधी’ करार दिया.

रायपुर. छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था में ‘युक्तियुक्तकरण’ (Rationalization) का मुद्दा इस समय गरमाया हुआ है, जिसने विपक्ष को सरकार पर हमला करने का मौका दे दिया है. सरकार 10,463 स्कूलों को मर्ज कर लगभग 45,000 शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण कर रही है, जिस पर शिक्षकों और विपक्ष दोनों की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. ‘युक्तियुक्तकरण’ का अर्थ है शिक्षकों का तर्कसंगत समायोजन या पुनर्गठन, खासकर उन स्कूलों में जहाँ शिक्षकों की संख्या आवश्यकता से अधिक है या जहाँ छात्र-शिक्षक अनुपात असंतुलित है. इस प्रक्रिया के तहत, जिन स्कूलों में छात्रों की संख्या बहुत कम है या जहाँ एक ही परिसर में प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के अलग-अलग स्कूल चल रहे हैं, उन्हें आपस में मर्ज किया जा रहा है. इसके बाद, इन स्कूलों के अतिरिक्त शिक्षकों को उन स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा जहाँ शिक्षकों की कमी है.

विवाद का मुख्य कारण यह है कि शिक्षकों को सुदूर और दुर्गम क्षेत्रों में स्थानांतरित किया जा रहा है, जिससे उन्हें और उनके परिवारों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. विपक्ष का आरोप है कि यह कदम शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार इस ‘युक्तियुक्तकरण’ को शिक्षा व्यवस्था में सुधार और संसाधनों के बेहतर उपयोग के रूप में देख रही है.

सरकार गिना रही फायदे, शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा
सरकार की रणनीति के पीछे कई प्रमुख कारण गिनाए जा रहे हैं. सरकार का मानना है कि कई स्कूलों में छात्र संख्या कम होने के बावजूद कई शिक्षक तैनात हैं, जिससे संसाधनों का सही उपयोग नहीं हो पा रहा है. शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण से उन्हें उन स्कूलों में भेजा जाएगा जहाँ उनकी वास्तव में आवश्यकता है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा. यह कदम उन स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात को बेहतर बनाने में मदद करेगा जहाँ शिक्षकों की कमी है, जिससे छात्रों को बेहतर शिक्षण मिल पाएगा. छोटे और अप्रभावी स्कूलों को मर्ज करने से सरकार एक ही स्थान पर बेहतर बुनियादी ढांचा (जैसे भवन, प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय) प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित कर सकती है. सरकार का कहना है कि अनावश्यक स्कूलों के संचालन और अतिरिक्त शिक्षकों की तैनाती से होने वाले खर्च को कम करके सरकार शिक्षा बजट का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकती है. सरकार का तर्क है कि शिक्षकों के तर्कसंगत वितरण से प्रत्येक स्कूल में योग्य शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी, जिससे अंततः शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार होगा.

छत्तीसगढ़ में ‘युक्तियुक्तकरण’ पर कांग्रेस का तीखा हमला: ‘शिक्षा न्याय आंदोलन’ का ऐलान
छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था के ‘युक्तियुक्तकरण’ को लेकर कांग्रेस ने विष्णुदेव साय सरकार पर तीखा हमला बोला है. कांग्रेस इसे ‘शिक्षा विरोधी और रोजगार विरोधी नीति’ करार दे रही है.कांग्रेस का आरोप है कि सरकार 10,463 स्कूलों को मर्ज करके या बंद करके शिक्षा के निजीकरण की साजिश रच रही है, जिससे 45,000 शिक्षकों सहित अन्य कर्मचारियों के रोजगार छिन जाएंगे. उनका दावा है कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित होगी और बुनियादी ढांचा चरमरा जाएगा. इस मुद्दे पर कांग्रेस ने ‘शिक्षा न्याय आंदोलन’ की शुरुआत की है. पहले चरण में जिला मुख्यालयों पर पत्रकार वार्ताएं हो रही हैं, जिसके बाद ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालयों का घेराव, पदयात्राएं और बंद स्कूलों के सामने धरना-प्रदर्शन भी शामिल है. कांग्रेस शिक्षक संगठनों के विरोध को भी अपना समर्थन दे रही है. पार्टी का लक्ष्य इस मुद्दे को एक बड़े राजनीतिक हथियार के रूप में उपयोग कर ग्रामीण और शिक्षक वर्ग के असंतोष को भाजपा सरकार के खिलाफ भुनाना है.

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