Dharohar: छत्तीसगढ़ में चमत्कारी मंदिर, जहां खुदाई करते ही मिलती हैं देवी-देवताओं की मूर्तियां; 1 है अड़भार में!

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Dharohar: छत्तीसगढ़ के अड़भार गांव में स्थित मां अष्टभुजी मंदिर एक प्राचीन शक्तिपीठ है. ग्रेनाइट से बनी यह दक्षिणमुखी देवी की मूर्ति भारत में दुर्लभ मानी जाती है. मंदिर को पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गय…और पढ़ें

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अष्टभुजी

अष्टभुजी मंदिर 

हाइलाइट्स

  • अड़भार में मां अष्टभुजी का प्राचीन मंदिर है.
  • मंदिर में खुदाई पर देवी-देवताओं की मूर्तियां मिलती हैं.
  • मां अष्टभुजी की दक्षिणमुखी प्रतिमा दुर्लभ है.

जांजगीर चांपा. छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध मातारानी में के बारे में बता रहे हैं. छत्तीसगढ़ में सर्व-सिद्ध शक्तिपीठ मां दक्षिणी काली अष्टभुजीमाता का मंदिर प्रसिद्ध है, जिससे हजारों भक्तों की आस्था जुडी हुई है. छत्तीसगढ़ के शक्ती जिले के अड़भार में ग्रेनाइट से बना आठ भुजाओं वाली अष्टभुजी माता का मंदिर है. यह बहुत ही प्राचीन धार्मिक स्थल है. इस मंदिर को पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है. साथ ही यह गांव में खुदाई पर पांचवीं-छठवीं शताब्दी के अवशेष मिलते हैं. यह छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण तीर्थों में से एक है.

अड़भार गांव लगभग 07 किलोमीटर की परिधि में बसा यह नगर अपने आप में अजीब है. क्योंकि आज भी यहां के गांव के लोगों द्वारा जब भी कोई कार्य के लिए 150 से 200 मीटर की खुदाई किया जाता है तब किसी न किसी देवी देवता की मूर्तियां खण्डित अवस्था मिल जाती हैं. साथ ही भवन, घर बनाते समय खुदाई करने पर प्राचीन खंडित मूर्तियां या पुराने समय के सोने चांदी के सिक्के प्राचीन धातु के सामान मिल ही जाते हैं. ग्राम के स्थानीय मनोज तिवारी ने बताया की प्राचीन इतिहास में गांव में 8 द्वार का उल्लेख अष्टद्वार के नाम से मिलता है.

अष्टभुजी माता का मंदिर और इस नगर के चारों ओर बने 8 विशाल दरवाजों की वजह से इसका प्राचीन नाम अष्ट द्वार और धीरे-धीरे अपभ्रंश होकर इस गांव का नाम अड़भार हो गया. आठ द्वारा के कारण ही अड़भार गांव का नाम पड़ा है.अरविंद तिवारी श्रद्धालु ने बताया की अड़भार में मां अष्टभुजी मंदिर में दक्षिणमुखी प्रतिमा विराजमान है, मंदिर को पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है, पांचवी छठवीं शताब्दी के अवशेष इस स्थान पर मिलते हैं, मां अष्टभुजी आठ भुजाओं वाली हैं, यह बात तो अधिकांश लोग जानते हैं, लेकिन देवी के दक्षिण मुखी होने की जानकारी कम लोगों को ही है.

मूर्ति के ठीक दाहिने और डेढ़ फीट की दूरी में देगुन गुरु की प्रतिमा योग मुद्रा में विराजे है, मां अष्टभुजी की प्रतिमा ग्रेनाइट पत्थर से बनी है, और बताया कि पूरे भारत में कोलकाता की दक्षिण मुखी काली माता और छत्तीसगढ़ में जांजगीर-चांपा से अलग हुए नवीन सक्ती जिले के मालखरौदा ब्लॉक अंतर्गत नगर पंचायत अड़भार की दक्षिणमुखी अष्टभुजी देवी के अलावा और कहीं भी देवी की प्रतिमा दक्षिणमुखी नहीं है, सिद्ध जगत जननी माता अष्टभुजी का मंदिर दो विशाल इमली पेड़ों के नीचे स्थित है.

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Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Producer for Local 18 at News18, bringing over one years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology.He has worked as…और पढ़ें

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छत्तीसगढ़ में चमत्कारी मंदिर, जहां खुदाई करते ही मिलती हैं मूर्तियां

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