98 प्रतिशत आंखों की रोशनी गई, पढ़ाई भी छूटी, लेकिन हौसला नहीं टूटा, अब नेशनल प्रतियोगिता में जीता मेडल

बीकानेर. यह है बीकानेर की यशु स्वामी, जो आंखों से देख नहीं सकती, लेकिन उसके सपने और जज्बे में कोई कमी नहीं है. करीब पांच साल पहले एक आंखों की बीमारी ने यशु की आंखें खराब करनी शुरू की. आज उसकी आंखें 98 प्रतिशत तक खराब हो चुकी हैं, लेकिन उसका सपना आज भी वह बंद आंखों से देख रही है. उसके इस सपने को पूरा करने में उसके माता-पिता और पूरा परिवार उसके साथ खड़ा है. यशु ने करीब दो साल पहले तैराकी की शुरुआत की थी. यशु के पिता सुरेन्द्र स्वामी एक किराना की दुकान चलाते हैं, जिससे उनका घर चलता है.

यशु के घर में उसके माता-पिता, एक भाई और एक बहन भी हैं. यशु ने बताया कि पापा मुझे रोजाना 10 किलोमीटर दूर तैराकी की प्रैक्टिस के लिए सुबह 5 बजे ले जाते हैं और करीब ढाई से तीन घंटे प्रैक्टिस करने के बाद मैं वापस आकर अपनी पढ़ाई करती हूं. अभी एमएससी कर रही हूं और यह पढ़ाई मैं सुनकर कर रही हूं. बीकानेर के राजकीय नेत्रहीन विद्यालय में जाकर मैंने ब्रेल लिपि के माध्यम से पढ़ना शुरू किया और फिर ऑडियो बुक्स का सहारा लिया.

डॉक्टरों ने बताया बीमारी का नहीं है कोई इलाज

यशु ने बताया कि डॉक्टरों से बात करने पर उन्होंने कहा कि अभी इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन भविष्य में इस पर रिसर्च चल रही है, जिससे इसका इलाज संभव हो सकता है. पहले जब पढ़ाई करती थी तो रेटीना पर प्रभाव पड़ने लगा, जिससे डॉक्टरों ने पढ़ाई करने से मना कर दिया. इससे आंखें और ज्यादा खराब होने लगी. इसके बाद किसी ने मुझे पैरा गेम्स के बारे में बताया और कहा कि आप पैरा गेम्स खेलो, वहां आप अच्छा कर सकती हो. करीब तीन साल पहले चूरू में एथलेटिक्स की प्रतियोगिता हुई थी. माता-पिता ने कहा कि इस प्रतियोगिता में खेलना मत, सिर्फ जाकर देखना कि तेरे से भी बुरी हालत में भी कई बच्चे हैं और वे खेलते हैं, तो तू क्यों नहीं खेल सकती.

बच्चों से मिलने के बाद बढ़ा हौसला

चूरू में बच्चों से मिलने के बाद मुझे लगा कि जब ये लोग कर सकते हैं तो मैं क्यों नहीं कर सकती. जब वापस बीकानेर आई तो पैरा एथलेटिक्स के बारे में जानकारी ली. कई लोगों से मिलने के बाद उन्होंने मुझे स्विमिंग यानी तैराकी का सुझाव दिया. स्विमिंग मेरे लिए भी बहुत अच्छा था.  बीकानेर में विजय शर्मा सर के सानिध्य में तैराकी शुरू की. विजय सर ने मुझे स्विमिंग की पूरी बारीकियां सिखाई और अच्छा मार्गदर्शन किया. अभी देवेंद्र और नरेंद्र सर प्रैक्टिस करवा रहे हैं और सपोर्ट भी कर रहे हैं. यशु ने बताया कि अगर आपको किसी भी तरह की कोई दिक्कत है तो एक बार रुकें, धैर्य रखें और समय को देखें. अपने ऊपर विश्वास रखें और समय बदलता जरूर है, कभी भी रुकता नहीं है. आप भी रुके मत और चलते रहिए और अंत में सफलता जरूर मिलेगी.

यशु अब तक जीत चुकी हैं कई मेडल

यशु ने बताया कि अब तक इंटर कॉलेज, स्टेट और नेशनल स्तर पर खेल चुकी हूं.  इंटर कॉलेज में एक गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीता है. स्टेट प्रतियोगिता में दो गोल्ड मेडल हासिल कर चुकी हूं. इसके अलावा पिछले साल नेशनल प्रतियोगिता में कांस्य पदक हासिल किया है. अभी वह लगातार दो से तीन घंटे तैराकी की प्रैक्टिस कर रहे हैं. सपना यही है कि एशियन गेम्स और ओलंपिक गेम्स में खेले और देश के लिए मेडल लाएं. यशु ने बताया कि उन्हें आंखों में रेटीना की समस्या है, जो जन्म से ही है. यह बीमारी समय के साथ बढ़ती जाती है. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, रेटीना खराब होना शुरू हो जाता है. पहले उन्हें किसी भी तरह की कोई समस्या महसूस नहीं होती थी, लेकिन जब वह कक्षा 10 में आईं तो उन्हें आंखों की रेटीना की समस्या शुरू हुई.

कक्षा 12 में आने के बाद यह समस्या ज्यादा होनी शुरू हो गई. इसके बाद अहमदाबाद और चेन्नई गई तो आंखों के रेटीना की इस बीमारी का पता चला. कॉलेज के दूसरे वर्ष में आंखों की समस्या बढ़ गई और कॉलेज के अंतिम वर्ष में आंखें पूरी तरह खराब हो गई. उसके बाद आंखों से दिखना बंद हो गया.

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *