जावेद अख्तर ने बॉलीवुड की चुप्पी पर सवाल उठाए, बोले- लोग अपोलिटिकल होते हैं.


नई दिल्ली. मशहूर गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं. राष्ट्रीय मुद्दों पर अक्सर खरी-खरी कहने वाले जावेद अख्तर ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद बॉलीवुड हस्तियों की चुप्पी पर बात की है. जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान को भारत ने आईना दिखाया. भारतीयों ने जहां सरकार के इस कदम की प्रशंसा की. वही, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद बॉलीवुड हस्तियों की चुप्पी साधी रखी. हाल ही में जावेद साहब ने इस बारे में बात की.

‘द लल्लनटॉप’ के साथ एक इंटरव्यू जावेद अख्तर से इस बारे में बात की गई. जब उनसे पूछा गया कि कई नामी एक्टर और फिल्म निर्माता इस ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर टिप्पणी करने या सार्वजनिक रूप से सरकार के कोशिशों की सराहना करने से क्यों बच रहे हैं? हालांकि, जावेद अख्तर वो शख्स हैं, जिन्होंने खुद अक्सर आतंकवाद के खिलाफ सरकार के कड़े रुख की प्रशंसा कर चुके हैं. उन्होंने बॉलीवुड सेलेब्स की चुप्पी को दो टूक जवाब दिया.

‘लोग अपोलिटिकल भी होते हैं’

उन्होंने कहा, ‘मैंने इसके बारे में बात की, मैं चुप नहीं रहा. कभी-कभी लोग मेरी बात पसंद नहीं करते, कभी-कभी करते हैं. लेकिन मैं वही कहता हूं जो मुझे सच लगता है. अब कौन नहीं बोलता, मुझे कैसे पता चलेगा? कई लोग अपोलिटिकल भी होते हैं.’

जब मैं यंग था…

जावेद अख्तर ने अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए आगे कहा, ‘देखिए, जब मैं यंग था, भले ही मैं एक राजनीतिक रूप से जागरूक और बहुत मुखर परिवार से आया था. लेकिन जब मेरी फिल्में एक के बाद एक हिट हो रही थीं, मुझे राजनीति में क्या चल रहा था, इसका कोई अंदाजा नहीं था. शायद मैंने अखबार भी नहीं पढ़ा.

कुछ लोग पैसा कमाने में बिजी होते हैं

गीतकार ने आगे कहा कि तो ऐसा होता है.  कुछ लोग बस अपने काम में बिजी होते हैं… अगर वे नहीं बोल रहे हैं, तो ठीक है. इसमें क्या बड़ी बात है? कुछ लोग बोल रहे हैं. कुछ अलग-अलग लक्ष्यों का पीछा कर रहे हैं… वे ज्यादा पैसा या प्रसिद्धि कमाना चाहते हैं. उन्हें करने दें. यह जरूरी नहीं है कि हर कोई बोले, या हम पूछें कि उन्होंने क्यों नहीं बोला.’

जब जावेद ने बिजनेसमैन को दिया जवाब

जावेद ने फिर एक हालिया घटना शेयर की जिसमें एक नामी बिजनेमैन ने उनसे इस विषय पर बात की. बिजनेमैन ने कहा- ‘आपके बॉलीवुड वाले जो हैं, राष्ट्रवादी फिल्में तो बहुत बनाते हैं… पर इस मामले पर सब चुप हैं’. जावेद ने कहा मैंने जवाब दिया, ‘सबसे पहले, ‘बॉलीवुड’ शब्द ही एक राष्ट्रविरोधी नाम है. आप भारतीय फिल्म उद्योग को ‘बॉलीवुड’ कहते हैं? दुनिया में, अगर कोई उद्योग हॉलीवुड से मुकाबला कर सकता है, तो वह भारतीय फिल्म उद्योग है. इसने लगभग यूरोपीय सिनेमा को मिटा दिया है. हमारी फिल्में औसतन 136-137 देशों में रिलीज होती हैं और आप इसे बॉलीवुड कहते हैं?’

सरकारी नीति या किसी नियम के खिलाफ आप बोल पाए हैं?

जावेद ने कलाकारों से हमेशा स्टैंड लेने की उम्मीद करने की पाखंडिता को उजागर किया, जबकि अन्य खुद ऐसा करने से कतराते हैं. ‘और अगर आप कहते हैं कि एक व्यक्ति को हर मुद्दे पर बोलना चाहिए… तो खड़े हो जाइए और मुझे बताइए, पिछले 15 सालों में, आप एक बिजनेसमैन हैं, क्या आपने कभी किसी सरकारी नीति, कराधान, या किसी नियम के खिलाफ बोला है जो आपको पसंद नहीं आया? फिर आप क्यों कह रहे हैं कि अन्य लोग नहीं बोलते? क्या आप बोलते हैं? जैसे ही आपको थोड़ा भी डर लगता है, आप चुप हो जाते हैं. किसी से तभी बोलने की उम्मीद करनी चाहिए जब वे खुद बोलते हैं. जब बोलना सुविधाजनक हो तो बोलना आसान है… जोखिम होने पर बोलने की कोशिश करें.’



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