बिलासपुर. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के ग्राम धमनी से ग्राम तेलसारा तक जाने वाली कच्ची सड़क ग्रामीणों के लिए मुसीबत बन चुकी है. यह सड़क अब आवागमन का माध्यम कम और समस्या का कारण ज्यादा बन गई है. सड़क की हालत इतनी खराब है कि आम दिनों में भी चलना मुश्किल होता है, जबकि गर्मी में उड़ती धूल और बारिश में भरा पानी लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा दोनों के लिए खतरा बन जाता है. अब ग्रामीणों ने इस सड़क के डामरीकरण की मांग को लेकर सुशासन तिहार में आवेदन प्रस्तुत किया है और पक्की सड़क की मांग तेज कर दी है.
धमनी मोड़ से तेलसारा की ओर जाने वाली सड़क पूरी तरह कच्ची है. सड़क पर समतलीकरण नहीं किया गया है, जिससे जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं. गर्मी के मौसम में इन गड्ढों से उड़ती धूल लोगों को श्वास और त्वचा से जुड़ी बीमारियों की चपेट में ला रही है. वहीं बरसात के दिनों में यह सड़क कीचड़ और जलभराव में तब्दील हो जाती है, जिससे स्कूली बच्चे और ग्रामीण फिसलकर गिर जाते हैं.
सड़क पर स्ट्रीट लाइट तक नहीं
इस सड़क पर अभी तक स्ट्रीट लाइट की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. अंधेरे में राहगीरों को काफी परेशानी होती है, जिससे दुर्घटनाओं की आशंका और अधिक बढ़ जाती है. स्थानीय लोगों के अनुसार, यह मार्ग ग्रामीणों की जीवनरेखा है लेकिन इसे लेकर न ही किसी जनप्रतिनिधि ने गंभीरता दिखाई और न ही प्रशासन ने कोई ठोस कदम उठाया.
एयरपोर्ट ने बंद किया पुराना रास्ता
पहले ग्राम तेलसारा का मुख्य मार्ग चकरभाठा एयरपोर्ट के अंतिम छोर से होकर गुजरता था, जिसे एयरपोर्ट अथॉरिटी ने अधिग्रहित कर बंद कर दिया. इसके बाद ग्राम धमनी के अंतिम छोर से कड़ार जाने वाली यह कच्ची और घुमावदार सड़क ही गांव को जोड़ने का एकमात्र रास्ता बचा. यह मार्ग लंबा और असुविधाजनक होने के बावजूद, ग्रामीणों को स्कूल, अस्पताल, बाजार और अन्य जरूरी कामों के लिए इसी रास्ते से गुजरना पड़ता है.
सरपंच अश्वनी कुर्रे ने जताई चिंता
ग्राम पंचायत तेलसारा के नवनिर्वाचित सरपंच अश्वनी कुर्रे ने सड़क की स्थिति को लेकर चिंता जताई. उन्होंने लोकल 18 से कहा, ‘यह सड़क बहुत ही जर्जर हो चुकी है. स्कूली बच्चों के कपड़े कीचड़ से गंदे हो जाते हैं और कई लोग चोटिल हो चुके हैं. मैंने स्वयं और ग्रामीणों ने मिलकर सुशासन तिहाड़ में आवेदन दिया है. मेरा प्रयास रहेगा कि जल्द से जल्द इस सड़क का डामरीकरण करवाया जाए.’
‘अब कच्ची नहीं पक्की सड़क चाहिए’
ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों से इस सड़क की मरम्मत नहीं हुई है और हर मौसम में इस पर चलना खतरे से खाली नहीं होता. अब उन्होंने ठान लिया है कि जब तक सड़क का पक्का निर्माण नहीं होगा, वे लगातार आवाज उठाते रहेंगे. अब कच्ची नहीं पक्की सड़क चाहिए.
गौरतलब है कि एक तरफ जहां सरकार ‘सड़क सबका अधिकार’ जैसे नारे देती है, वहीं दूसरी ओर बिलासपुर के इन गांवों में एक पक्की सड़क के लिए लोग आज भी दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. अब देखना होगा कि प्रशासन कब इस बुनियादी मांग पर संज्ञान लेता है.