Ramnami Tribe: रामनामी समाज के रोम-रोम में बसे राम, सिर से पांव तक मर्यादा पुरुषोत्तम का नाम

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Ramnami Tribe: रामनामी संप्रदाय की यह परंपरा 200 साल से चली आ रही है. उनके लिए राम नाम एक स्मरण और विचारधारा है. रामनामी कहने से पता चलता है कि वे लोग शुद्ध शाकाहारी हैं.

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रामनामी

रामनामी संप्रदाय की यह परंपरा 200 साल से चली आ रही है.

जांजगीर चांपा. छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले में ऐसे रामभक्त हैं, एक ऐसा संप्रदाय है, जिनके रोम रोम में भगवान राम बसे हुए हैं. इनके पूरे शरीर में गुदना से राम नाम लिखा हुआ होता है. साथ ही इनके कपड़े और घरों में भी राम नाम लिखा रहता है. इन्हें रामनामी नाम से जाना जाता है. दरअसल जांजगीर चांपा जिले में एक ऐसा संप्रदाय है, जिसे रामनामी संप्रदाय कहते हैं. इनके रोम-रोम में राम बसते हैं. इस संप्रदाय से जुड़े लोग अपने पूरे शरीर पर राम-राम का गुदना (न मिटने वाला टैटू) बनवाते हैं. शरीर के हर हिस्से पर भगवान राम का नाम रहता है, बदन पर रामनामी चादर, सिर पर मोर पंख की पगड़ी और पैरों में घुंघरू रामनामी लोगों की पहचान मानी जाती है. इसके साथ ही इनके घरों की दीवारों पर भी राम नाम लिखा रहता है. ये आपस में एक दूसरे का अभिवादन राम-राम कह कर करते हैं. यहां तक कि एक-दूसरे को राम-राम के नाम से ही पुकारते भी हैं.

रामनामी संप्रदाय के गुलाराम रामनामी ने लोकल 18 को बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की भक्ति ही हमारी जिंदगी का एकमात्र उद्देश्य है. उनकी यह परंपरा 200 साल पहले से चली आ रही है. राम नाम एक स्मरण है, विचारधारा है. रामनामी कहने से पता चलता है कि शुद्ध शाकाहारी हैं. रामनामी मन, कर्म और वचन से किसी को पीड़ा नहीं पहुंचाते हैं. हमारे पांच प्रमुख प्रतीक हैं. भजन खांब या जैतखांब, शरीर पर राम-राम का नाम गुदवाना, राम-राम लिखा हुआ सफेद चादर ओढ़ना, घुंघरू बजाते हुए भजन करना और मोरपंखों से बना मुकट पहनना. रामनामी ने बताया कि वे लोग मूर्ति पूजा नहीं करते हैं. उन्होंने अपने तन को ही मंदिर बना लिया और अब तन और मन से ही पूजा करते हैं.

शरीर पर गुदवाए राम नाम के गहने
रामनामी महिला सेतबाई ने कहा कि उनके पूरे शरीर पर राम नाम के साथ चेहरे पर भी राम नाम लिखे हुए लगभग 40 साल हो गए हैं. भजन-कीर्तन करने के लिए लिखाया हुआ है. उन्होंने पहले सोने-चांदी के गहने पहने हुए थे, जिसे निकालकर शरीर पर गुदना से ही गहने के रूप में कंगन, पायल , बिछिया और अंगूठी बनवा ली क्योंकि इस गुदना रूपी गहने को कोई लूट नहीं सकता और न ही उनसे कोई ले सकता है. ये गहने हमेशा उनके साथ रहेंगे और उनका निधन होने पर भी उनके साथ जाएंगे. वह कहती हैं कि रामभक्ति में इतनी शक्ति है कि जब वह गुदना से राम नाम लिखवा रही थीं, तब उन्हें दर्द का अहसास भी नहीं हुआ था.

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