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रोनाल्ड रीगन का भाषण वायरल हो रहा है जिसमें वे अमेरिका की आत्मा और आदर्शों की बात करते हैं. ट्रंप के दौर में इमिग्रेंट्स को खतरे की तरह देखा जा रहा है. भारत-अमेरिका संबंधों पर भी इसका असर है.

ट्रंप जो कर रहे हैं, वह ठीक रोनाल्ड रीगन की सोच के उलट है.
हाइलाइट्स
- रीगन का भाषण अमेरिका की आत्मा और आदर्शों पर जोर देता है.
- ट्रंप के दौर में इमिग्रेंट्स को खतरे की तरह देखा जा रहा है.
- भारत-अमेरिका संबंधों पर ट्रंप की नीतियों का असर पड़ा है.
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन का एक पुराना भाषण सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. इसमें रोनाल्ड रीगन कह रहे, ‘अमेरिका की शक्ति उसकी आत्मा में है, उसके आदर्शों में है. अमेरिका खून, नस्ल या सीमाओं से नहीं, बल्कि एक विचार से बना है.’ ये विचार दुनिया भर से आने वालों को अपनाने का था, न कि उन्हें रोकने का. लेकिन आज, जब डोनाल्ड ट्रंप फिर से अमेरिका की राजनीति में अपना वर्चस्व जमाने की कोशिश कर रहे हैं, तब यही सवाल उठता है कि क्या ट्रंप ने उस आत्मा की आवाज सुननी बंद कर दी है? क्योंकि वे दोस्तों को ही दुश्मन समझने लगे हैं. यूरोपीय देशों पर ताबड़तोड़ टैरिफ लगा रहे हैं, इजरायल से दूरी बना रहे हैं तो भारत जैसे मुल्कों से उन्हें परेशानी होने लगी है.
रीगन ने कहा था कि अमेरिका की पहचान खून या सरहदों से नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा राष्ट्र है जो दुनिया भर से आने वाले हर व्यक्ति को अपनाता है. लेकिन ट्रंप के दौर में ‘इमिग्रेंट’ शब्द हथियार बन गया. अमेरिका के दरवाजे जो कभी सपनों की तलाश में आने वालों के लिए खुले थे, अब दीवारों से घिरे नजर आते हैं. रीगन अमेरिका को एक ऐसे देश के रूप में देखते थे, जिसमें विविधता थी, साझेदारी थी और सबको साथ लेकर चलने, वक्त पर मदद करने की बात थी. लेकिन आज, ट्रंप के दौर में जब ‘इमिग्रेंट’ एक खतरे की तरह प्रस्तुत किया जाता है, तो सवाल है कि क्या यह वही अमेरिका है?