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सरगुजा जिले के कमलेश्वरपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 40 हजार आबादी के बावजूद एक भी MBBS डॉक्टर नहीं है. अस्पताल दो ग्रामीण चिकित्सा सहायक और एक दंत चिकित्सक के भरोसे चल रहा है. मरीजों को इलाज के लिए 20 किमी…और पढ़ें

पीड़ित मरीजों से बातचीत कि तस्वीर
हाइलाइट्स
- कमलेश्वरपुर PHC में एक भी MBBS डॉक्टर नहीं है.
- इलाज के लिए मरीजों को 20 किमी दूर जाना पड़ता है.
- स्वास्थ्य विभाग को डॉक्टरों की नियुक्ति की आवश्यकता है.
सरगुजा: जिले के आदिवासी बहुल इलाके कमलेश्वरपुर, जिसकी आबादी करीब 40 हजार है, वहां स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) गंभीर अव्यवस्था का शिकार है. यहां एक भी एमबीबीएस डॉक्टर नियुक्त नहीं है और पूरा अस्पताल सिर्फ दो ग्रामीण चिकित्सा सहायकों और एक दंत चिकित्सक के भरोसे संचालित हो रहा है. यह अस्पताल 27 से 28 गांवों के लिए एकमात्र इलाज का जरिया है, लेकिन डॉक्टरों के अभाव में यह अब “रेफरल सेंटर” बनकर रह गया है.
स्थानीय लोग इलाज के लिए रोज यहां पहुंचते हैं, लेकिन पर्याप्त सुविधाएं न होने के कारण उन्हें 20 किलोमीटर दूर नर्मदापुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जाना पड़ता है. वहां की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है. मौसम में बदलाव के कारण क्षेत्र में सर्दी, खांसी, उल्टी-दस्त जैसे जलजनित और मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है, लेकिन कमलेश्वरपुर PHC में मरीजों को दवाइयां और उचित देखभाल नहीं मिल पा रही.
लोकल 18 की टीम ने जब अस्पताल का निरीक्षण किया, तो वहां सिर्फ एक दंत चिकित्सक और स्टाफ नर्स ड्यूटी पर मौजूद थे. इसी दौरान असगांवा निवासी बलराम, जिन्हें बिल्ली ने घायल किया था, इलाज के लिए पहुंचे, लेकिन दवा न होने की वजह से उन्हें निजी मेडिकल से दवा खरीदने और नर्मदापुर जाने की सलाह दी गई. बलराम जैसे गरीब मरीजों के लिए यह बोझ उठाना मुश्किल है. आए दिन ऐसे ही मामले देखने को मिलते रहते हैं.
सरकार द्वारा PHC को सिविल अस्पताल का दर्जा तो दे दिया गया है, लेकिन डॉक्टरों और आवश्यक सुविधाओं की भारी कमी बनी हुई है. स्वास्थ्य विभाग को इस दिशा में शीघ्र सुधारात्मक कदम उठाने की जरूरत है.