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Basavaraju News: छत्तीसगढ़ पुलिस की गोलियों का शिकार हुआ नक्सल चीफ बसवराजू की मौत के मामले में सीपीआई (माओवादी) ने बयान जारी किया है. संगठन ने इस मामले में विश्वासघातियों को जिम्मेदार ठहराया है. जानें क्या कहा..

नक्सल चीफ बसवराजू (फाइल)
हाइलाइट्स
- बसवराजू की मौत के लिए विश्वासघातियों को दोषी ठहराया गया
- छत्तीसगढ़ पुलिस ने बसवराजू को जिंदा पकड़ने का दावा नकारा
- माओवादी संगठन ने 28 साथियों की मौत की पुष्टि की
Basavaraju News: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर एनकाउंटर में नक्सली चीफ बसवराजू की मौत के मामले में सीपीआई (माओवादी) ने बड़ा बयान जारी किया है. संगठन का मानना है कि बसवराजू की मौत के लिए माड़ क्षेत्र में एक्टिव उनके ‘कोर’ नक्सली ग्रुप के कुछ लोगों द्वारा विश्वासघात किया गया. इसमें पीएलजीए कंपनी नंबर 7 भी शामिल है. ये कंपनी बसवराजू की सुरक्षा में सबसे करीब रहती थी.
TOI की रिपोर्ट के अनुसार, दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) की ओर से जारी बयान में बसवराजू की मौत के लिए संगठन के अंदर के लोगों को जिम्मेदार ठहराया गया है. साथ ही सीपीआई (माओवादी) ने यह भी स्वीकार किया कि नारायणपुर ऑपरेशन में 27 नहीं बल्कि 28 ‘साथी’ मारे गए. पुलिस द्वारा मारे गए दो माओवादियों की पहचान में गलतियों की ओर भी इशारा किया गया.
पुलिस ने बसवराजू को जिंदा पकड़ने का दावा नकारा
छत्तीसगढ़ पुलिस ने नक्सली संगठन के उस दावे को नकार दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि बसवराजू को जिंदा पकड़ा गया था. वहीं दूसरी ओर, पुलिस बसवराजू के शव को आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में रहने वाले उसके परिजनों या परिचितों को सौंपने के लिए तैयार नहीं थी. पुलिस का मानना था कि बसवराजू निर्दोष नागरिकों और सुरक्षा कर्मियों का हत्यारा था. ऐसे में वहां उसका सार्वजनिक अंतिम संस्कार होता, जिससे उसका महिमामंडन होता. हालांकि, छत्तीसगढ़ पुलिस के जिला रिजर्व गार्ड विंग द्वारा 21 मई के ऑपरेशन में मारे गए शेष 19 माओवादियों के शव उनके परिवार के सदस्यों को सौंपा था.
‘शीर्ष कैडर के सरेंडर से पुलिस को फायदा’
25 मई को जारी डीकेएसजेडसी के बयान में माड़ में सक्रिय “विश्वासघाती” और “सरेंडरकरने वाले” नेताओं और कैडर को पिछले छह महीनों में छत्तीसगढ़ पुलिस और खुफिया एजेंसियों को बसवराजू की गतिविधियों के बारे में लगातार अपडेट देने के लिए दोषी ठहराया गया. कहा गया है, “माड़ क्षेत्र में बसवराजू तक पहुंचने के लिए जनवरी और मार्च में उनके लीक के आधार पर ऑपरेशन चलाए गए. पिछले डेढ़ महीने में छह और आत्मसमर्पण हुए, जिनमें बसवराजू की सुरक्षा में शामिल एक शीर्ष कैडर का आत्मसमर्पण भी शामिल है. इससे पुलिस का काम आसान हुआ.”
जानें आईजी पी. सुंदरराज क्या बोले..
सीपीआई (माओवादी) के बयान में इस बात की पुष्टि है कि कैसे डीआरजी कर्मियों ने बसवराजू की सुरक्षा टीम में सेंध लगाकर उसे बेअसर कर दिया, साथ ही कहा गया कि माओवादी महासचिव को जिंदा पकड़ा गया और फिर मार दिया गया. इस दावे को बस्तर आईजी पी सुंदरराज ने खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, “यह बात झूठ है. उनका ये बयान सचमुच हमारे सटीक और बिल्कुल सही समय पर किए गए हमले को प्रमाणित करता है, कि कैसे 35 माओवादियों में से 28 को मार दिया गया और कैसे माओवादियों ने ‘पहले राउंड की गोलीबारी’ में एक डीआरजी कर्मी को मार डाला और ऑपरेशन खत्म होने के बाद एक आईईडी विस्फोट में दूसरे को मार डाला.”