Bihan Yojana changed the lives of women. Grafted farming became the basis of economic empowerment. Women set an example of self-reliance. Know more

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Ladli Behna Yojana: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के रोपाखार में बिहान योजना के तहत उन्नति स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने मिर्च की जैविक खेती शुरू की है. इस खेती से लागत के मुकाबले चार गुना मुनाफे की संभावना है.

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बिहान

बिहान योजना कि महिलाओं का कमाल 

हाइलाइट्स

  • महिलाओं ने मिर्च की जैविक खेती से चार गुना मुनाफा कमाया.
  • जीवा अमृत खाद का उपयोग कर मिर्च की खेती में सफलता पाई.
  • बिहान योजना ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया.

बिहान योजना. बिहान योजना बना महिलाओं के लिए आर्थिक सशक्तिकरण का आधार, जीवा अमृत खाद्य का महिलाएं कर रहीं स्वयं निर्माण. दो एकड़ प्लांट पर लगाया किया मिर्च की फसल ग्राफ्टेड तकनीक से किया गया खेती जैविक खाद का महिलाएं कर रहीं इस्तेमाल. समुह कि 10 महिलाओं ने आत्मनिर्भरता का पेश किया मिशाल. लागत से चार गुना ज्यादा मुनाफा होने कि संभावना, दरअसल, छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के रोपाखार में उन्नति स्वयं सहायता समूह कि महिलाएं इन दिनों मिर्च कि खेती किए हुए हैं, जिसमें जैविक खाद का उपयोग कर रहीं हैं और समय-समय पर खेत में जाकर सभी महिलाएं अपने फसल पर कार्य भी कर रहीं हैं, जिससे अब इन महिलाओं के द्वारा लगाए गए फसल पर फुल आना शुरू हो चुका है. तकरीबन 20000 हजार रुपए लागत लगाकर सभी 10 महिलाएं मिर्चा का खेती बड़े पैमाने पर किए हुए हैं, और किटनाशक के रूप में स्वयं से घर पर जीवा अमृत खाद्य का निर्माण कर रहे हैं आइए जानते हैं.

उन्नति स्वयं सहायता समूह रोपाखार कि महिलाएं मिर्चा का खेती दो एकड़ भूमि पर किए हुए हैं, जिसमें जीवा अमृत खाद्य का उपयोग करते हैं, साथ ही गोबर खाद जैविक खाद का उपयोग करते हैं जीवा अमृत खाद्य बनाने में गौ मूत्र,बेसन,चुना गोबर करंज का पत्तियां, बेशर्म का पत्तियां, गुड़ सारे रा मटेरियल मिला करके एक मिट्टी के मटके में रख देते हैं. वहीं खाद्य बनने में तकरीबन एक महिने का समम लगता है। जब तैयार हो जाता है, मटके के मुंह को ढक कर रख लेते हैं, और किटनाशक दवाई के रूप में अपने मिर्च कि खेती में छिड़काव करते हैं, दुकान व मेडिकल से बचत होता है. समय का भी बचत होता है, साथ ही अपने फ़सल पर हम समय निकालकर देख रेख भी कर सकते हैं.

समुह कि सदस्य किरण ने कहा कि पहले दवाई में ही 5000 हजार खर्च हो जाता था, लेकिन अब मेहनत से ही दवाई बन जाता है. दवाई बनने में 25 से 30 दिन का समय लगता है. मिर्चा कि खेती में छिड़काव किए हैं, जिससे अभी फुल आना शुरू हो गया है. वहीं समुह कि महिलाओं का मानना है कि लागत से अधिक मुनाफा होगा क्योंकि समय समय पर बारिश हो रही है यही वजह है कि महिलाओं के चेहरों पर मुस्कान है.

वहीं समुह कि महिला शतरूपा बतातीं है कि, उन्नति स्वयं सहायता समूह जो बिहान योजना के अन्तर्गत है, इसके तहत् मिर्चा कि खेती ग्राफ्टेड किए हुए हैं जिसमें जैविक खाद का उपयोग करते हैं, फसल में अभी फुल आना शुरू हो गया है और लागत 20000 हजार रुपए, लेकिन फसल देखकर यह लगता है कि इसबार लागत से चाल गुना ज्यादा मुनाफा होगा. अनुमानित दीदियों के मुताबिक चार लाख तक का मुनाफा हो सकता है. पहले महिलाएं घर में घरेलू काम करतीं थीं, लेकिन स्वयं सहायता समूह ने महिलाओं के आंख खोल दिए और महिलाएं अब आत्मनिर्भर होकर खुद फसल लगाना शुरू कर दिया है.

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Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked …और पढ़ें

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जीवा अमृत खाद से मिर्च की फसल में आया कमाल, इन महिलाओं ने पेश की मिशाल

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