बिहार की बेटी बनी भारत की पहली महिला फ्रेंच बॉक्सर, 98 साल बाद देश को दिलाया था पदक

मुजफ्फरपुर: हाल ही में अंतरराष्ट्रीय सवात् महासंघ (FISav) ने अपनी वैश्विक टॉप 10 रैंकिंग की खिलाड़ियों के नाम की सूची जारी की है, जिसमें भारत की उपासना आनंद ने चौथे स्थान पर जगह बनाकर देश और राज्य दोनों का नाम रौशन किया है. बता दें कि उपासना की पढ़ाई मुजफ्फरपुर से ही हुई है. इसके साथ ही उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई अकाउंट हॉनर्स से की हुई हैं.

98 सालों में दिलाया था भारत को पदक

उपासना बताती हैं कि वह इससे पहले भी साल 2022 में बांग्लादेश में आयोजित एशियन सवात् चैंपियनशिप में भारत को 98 सालों के इतिहास में पहला कांस्य पदक दिलाकर ऐतिहासिक जीत दिलाई थी. उपासना बताती हैं कि उस समय कोरोना काफी तेज हो गया था. उस समय घर से भी कोई बाहर खेलने के लिए नहीं भेज रहा था, लेकिन 98 साल बाद यह मौका मिला था, जिसे गंवाना भी नहीं चाहती थी.

बचपन में गेम खेलने के लिए नहीं थे पैसे

वहां घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी. बाहर गेम खेलने जाने के लिए भी पैसे नहीं थे, लेकिन कोच और स्पोंसर का सहयोग मिला और गेम खेलने गई. गेम खेलने के समय कोरोना पॉजिटिव हो गई थी, लेकिन फिर भी हार नहीं मानी. वह प्रैक्टिस जारी रखी और रिंग में खेलने उतरी. तब उनका मेहनत सफल हुआ और उन्होंने देश को 98 सालों के बाद मेडल दिलाई. वह समय उनके लिए सबसे बेहतरीन पल था. मेडल लाने के बाद परिवार को विश्वास हुआ और फिर उसके बाद परिवार का भी गेम में सपोर्ट मिलने लगा.

इसके साथ ही उपासना हाल ही में हुए दिल्ली में आयोजित एशियन सवात् चैंपियनशिप 2025 में भी स्वर्ण पदक जितकर बिहार की पहली सवात् ऐशियन गोल्ड मेडलिस्ट का भी खिताब अपने नाम किया था. इंटरनेशनल खिलाड़ियों की सूची में  टॉप 4 रैंकिंग में आने के बाद अब उपासना को भी अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमिटी द्वारा आयोजित वर्ल्ड कॉम्बैट गेम्स का टिकट मिल सकता है.

जानें उपासना ने किसे दिया सफलता का श्रेय

उपासना इस सफलता का श्रेय अपने गुरुजन और अपने माता पिता को देती हैं. साथ ही उपासना अन्य खिलाड़ियों को यह सलाह भी देती है कि आप अपने लक्ष्य के प्रति केंद्रित रहें परेशानी सबके जीवन में होती है, लेकिन जो मेहनत करता है. सफलता उसे ही मिलती है. इसलिए अपने काम में लगन और मेहनत सबसे ज्यादा जरूरी है.

CA बनने की थी इच्छा

वहीं, उपासना की पढ़ाई लिखाई मुजफ्फरपुर से ही हुई है. उपासना ग्रेजुएशन की पढ़ाई अकाउंट हॉनर्स से की हुई है. बचपन से उपासना को CA बनने की इच्छा थी, लेकिन 2 प्रयास CA कि इंट्रेस एग्जाम दी, लेकिन नहीं निकल पाया. शुरू से ही गेम भी खेलती थी और गेम में अच्छा परफॉर्मेस रहता था. फिर उन्होंने यह निर्णय लिया कि खेल के क्षेत्र में ही कुछ आगे तक किया जाए. तब उन्होंने बीपीएड को कोर्स किया. इस वर्ष उपासना की बीपीएड की फाइनल ईयर है. उपासना की माता गृहणी हैं और पिता मंदिर में महंत हैं. उपासना 2 बहन की बड़ी पहन प्राइवेट स्कूल में टीचर है और उपासना सबसे छोटी हैं.

जानें उपासना के कोच ने क्या कहा

वहीं, कोच शिल्पी सोनम और ग्राउंड लेवल की सूरज पंडित बताते हैं कि शिल्पी बहुत मेहनती हैं. उन्होंने दिन रात मेहनत करके यह सफलता हासिल की है. इस बार उपासना ने टॉप 10 अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों की सूची में चौथा स्थान लाई हैं, लेकिन हम सब चाहते हैं कि उपासना पहला स्थान लाएं. उन्होंने बताया कि एक कोच के लिए बहुत बड़ी बात होती है कि उनके खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय मंच पर जगह बनाए हुए हैं. साथ ही देश के लिए पदक जीत चुके हैं. इससे बड़ी गर्व की बात क्या हो सकती है. आज के युवाओं को उपसना से प्रेरणा लेनी चाहिए.

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