Revealed in the study: एक नई रिसर्च के मुताबिक पिछले 20 सालों में दुनिया के 21 फीसदी से ज्यादा महासागर काफी गहरे रंग के या काले हो गए हैं. दुनिया के 21 फीसदी महासागर का मतलब 7.5 करोड़ वर्ग किलोमीटर से ज्यादा इलाका है. यह रिसर्च ‘ग्लोबल चेंज बायोलॉजी’ नाम की साइंस पत्रिका में छपी है. प्लायमाउथ यूनिवर्सिटी और प्लायमाउथ मरीन लेबोरेटरी के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में पाया कि समुद्र में रोशनी के गुणों में बदलाव आ रहा है. इसकी वजह से प्रकाशीय क्षेत्रों (Photic zones) की गहराई कम हो रही है. ये वो परतें हैं जहां सूरज की रोशनी पहुंचती है और समुद्र के 90 प्रतिशत जीव-जंतु इन्हीं परतों में रहते हैं.
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार इस स्टडी में 2003 से 2022 तक के सैटेलाइट डेटा और मॉडल्स का इस्तेमाल किया गया. इसमें सामने आया कि प्रकाशीय क्षेत्र, जहां सूरज की रोशनी और चांदनी की वजह से समुद्री जीवन चलता है. तटों और खुले समुद्र दोनों में बहुत बड़े हिस्से में उथले हो गए हैं. अफ्रीका के आकार के लगभग 9 फीसदी समुद्री हिस्से में प्रकाश क्षेत्र की गहराई 50 मीटर से भी ज्यादा कम हो गई है. वहीं, 2.6 फीसदी हिस्से में यह कमी 100 मीटर से ज्यादा देखी गई है.
ये भी पढ़ें- इस हिन्दू रानी का अंग्रेज भी मानते थे लोहा, पीएम मोदी ने जारी किया उनके नाम पर सिक्का
रोशनी पर निर्भर जीवों के लिए खतरा
हालांकि, समुद्र का करीब 10 फीसदी हिस्सा थोड़ा हल्का भी हुआ है. लेकिन कुल मिलाकर समुद्र के गहरे होने की प्रवृत्ति ज्यादा है. यह उन समुद्री जीवों के लिए चिंता की बात है जो जीने, बच्चे पैदा करने और भोजन के लिए रोशनी पर निर्भर करते हैं. प्लायमाउथ यूनिवर्सिटी में मरीन कंजर्वेशन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. थॉमस डेविस ने बताया, “हमारे नतीजों से पता चलता है कि इस बदलाव से बड़े पैमाने पर समुद्र गहरा हो रहा है. इससे उन जानवरों के लिए समुद्र का वॉल्यूम कम हो जाता है, जो अपने जीवन और प्रजनन के लिए सूरज और चांद पर निर्भर रहते हैं.”
ये भी पढ़ें- जोधा नहीं तो कौन थी अकबर की राजपूत पत्नी, जिस पर सवाल उठा रहे हैं राजस्थान के गवर्नर
क्या हैं कारण और असर
वैज्ञानिकों का मानना है कि तटीय इलाकों में समुद्र के गहरे होने की मुख्य वजह खेती और बारिश के पानी के साथ पोषक तत्वों और मिट्टी का समुद्र में बहकर जाना है. इससे प्लवक (छोटे समुद्री जीव) ज्यादा उगते हैं और रोशनी नीचे तक नहीं जा पाती. खुले समुद्र में शैवाल (Algae) के उगने के तरीके में बदलाव और समुद्र की सतह का तापमान बढ़ना इसकी वजह हो सकते हैं. इसके परिणाम बहुत दूर तक जाने वाले हैं. जैसे-जैसे प्रकाश वाले क्षेत्र छोटे होते जाएंगे, रोशनी पर निर्भर जीव सतह के करीब आते जाएंगे. जिससे भोजन और बाकी चीजों के लिए मुकाबला बढ़ जाएगा.
ये भी पढ़ें- Explainer: सीमा पर सेना की बजाए क्यों तैनात होते हैं अर्धसैनिक बल, क्या ज्यादातर देश करते हैं ऐसा
आ सकते हैं बड़े बदलाव
इससे समुद्री इकोसिस्टम में बड़े बदलाव आ सकते हैं. इसका असर ग्लोबल फिशरीज (मछली पकड़ने का काम), कार्बन साइकलिंग और जलवायु को नियंत्रित करने में समुद्र की भूमिका, सब पर पड़ सकता है. प्लायमाउथ मरीन लेबोरेटरी के प्रोफेसर टिम स्मिथ ने जोर देकर कहा, “अगर समुद्र के बड़े हिस्से में प्रकाश क्षेत्र लगभग 50 मीटर तक कम हो रहा है, तो जिन जानवरों को प्रकाश की जरूरत है, वे सतह के करीब आ जाएंगे. जहां उन्हें भोजन और अन्य जरूरी चीजों के लिए मुकाबला करना होगा. इससे पूरे समुद्री इकोसिस्टम में बड़े बदलाव आ सकते हैं.” ये नतीजे इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि समुद्र के गहरे होने के कारणों को समझना और उन्हें ठीक करना बहुत जरूरी है. ऐसा न करने पर समुद्री जैव विविधता और इंसानों के जीवन पर गंभीर असर पड़ सकता है.