JEE एडवांस्ड में 6000 रैंक लाकर मिताली साहू ने रोशन किया रायपुर का नाम, सोशल मीडिया से दूरी बनाकर की पढ़ाई

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JEE Advanced 2025: मिताली साहू ने सोशल मीडिया से दूरी बनाकर रखी. स्मार्टफोन के बजाय वह कीपैड वाला सामान्य फोन इस्तेमाल करती हैं, वो भी इमरजेंसी के लिए. IIT रुड़की या IIT बॉम्बे में दाखिला लेना मिताली की प्राथमि…और पढ़ें

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मिताली साहू ने सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखी.

रायपुर. सफलता की कहानियां अक्सर मेहनत, समर्पण और त्याग के अनसुने अध्यायों से लिखी जाती हैं. छत्तीसगढ़ के रायपुर की मिताली साहू ने अपने कठिन परिश्रम और दृढ़ निश्चय से JEE एडवांस्ड में 6000 रैंक हासिल कर न केवल अपने माता-पिता का बल्कि पूरे रायपुर का नाम रोशन किया है. यह सफलता उनके वर्षों की कड़ी मेहनत, सही रणनीति और तकनीकी संसाधनों के संयमित उपयोग का परिणाम है. मिताली साहू एक बिजनेसमैन परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उनके पिता संतोष साहू एक सफल बिजनेसमैन हैं जबकि माता तुलसी साहू गृहिणी हैं.

मिताली साहू ने 11वीं कक्षा से ही JEE की तैयारी की ठान ली थी. वह रायपुर स्थित एक प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान से पढ़ाई करती रहीं, जहां उन्हें अनुभवी शिक्षकों से मार्गदर्शन और हर कदम पर सहायता मिली. मिताली लोकल 18 को बताती हैं कि कोचिंग के शिक्षकों ने न केवल उन्हें विषयवस्तु में मार्गदर्शन दिया बल्कि समय-समय पर रणनीति बनाकर परीक्षा की तैयारी में भी मदद की. मिताली की दिनचर्या बेहद अनुशासित थी. वह रोजाना 8 से 9 घंटे की पढ़ाई करती थीं. इसके अलावा कोचिंग कक्षाओं में भाग लेने के साथ-साथ वहां दी जाने वाली सेल्फ स्टडी की सुविधाओं का भी भरपूर लाभ उठाया.

सोशल मीडिया से बनाई दूरी
पढ़ाई में किसी प्रकार की बाधा न आए, इसके लिए उन्होंने सोशल मीडिया से पूरी तरह दूरी बना ली. बीते दो वर्षों तक उनके पास स्मार्टफोन नहीं था, केवल आपात स्थिति के लिए कीपैड वाला मोबाइल फोन इस्तेमाल करती थीं. पढ़ाई के लिए उन्होंने लैपटॉप का इस्तेमाल किया, जिससे डिजिटल संसाधनों से पढ़ाई करना आसान हुआ. मिताली बताती हैं कि उन्हें फिजिक्स और केमिस्ट्री विषय काफी सरल लगे, जबकि गणित में शुरू में थोड़ा कठिन महसूस हुआ लेकिन नियमित अभ्यास और शिक्षकों के सहयोग से धीरे-धीरे वह भी सहज हो गया. वह कहती हैं कि कोचिंग संस्थान में डाउट क्लियर करने की सुविधा ने उन्हें कभी पढ़ाई में अटकने नहीं दिया.

IIT रुड़की या IIT बॉम्बे में दाखिला प्राथमिकता
उनका सपना है कि वे IIT से इंजीनियरिंग करें. विशेष रूप से IIT रुड़की या बॉम्बे में दाखिला लेना उनकी प्राथमिकता है . रिजल्ट आने के बाद घर में खुशी का माहौल है. उनकी माता तुलसी साहू ने परीक्षा की तैयारी के दौरान रात-रात भर जागकर बेटी का साथ दिया जबकि पिता संतोष साहू ने हर स्तर पर बेटी का मनोबल बढ़ाया. मिताली की यह सफलता उन सभी छात्रों के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों में भी बड़ी सोच रखते हैं. उनकी लगन, अनुशासन और सोशल मीडिया से दूरी बनाकर पढ़ाई में फोकस करना आज के युवाओं के लिए एक आदर्श बन गया है. रायपुर की यह बेटी निश्चय ही आने वाले समय में देश की प्रतिभाशाली इंजीनियरों में शुमार होगी.

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मिताली ने JEE एडवांस्ड में हासिल की 6000 रैंक, सोशल मीडिया से बना ली थी दूरी

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