Chhattisgarh Monuments: ये हैं छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक स्मारक, जानें आपके जिले में क्या है खास?


रायपुर. छत्तीसगढ़ न सिर्फ प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है बल्कि यह राज्य अपनी ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए भी विशेष महत्व रखता है. राज्य के विभिन्न जिलों में स्थित प्रमुख स्मारक न केवल पर्यटन को बढ़ावा देते हैं बल्कि छत्तीसगढ़ की प्राचीन सभ्यता, स्थापत्य कला और धार्मिक आस्थाओं को भी उजागर करते हैं. छत्तीसगढ़ संस्कृति विभाग द्वारा सूचीबद्ध ये 21 प्रमुख स्मारक न केवल राज्य की पहचान हैं बल्कि देश की धरोहर भी हैं.

कोरिया जिले के सीतामढ़ी और घाघरा जैसे स्थल प्राचीन धार्मिक महत्व के केंद्र हैं. बलरामपुर का बेलसर शिव मंदिर पुरातात्विक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसी प्रकार बिलासपुर का ताल स्थित रूद्र शिव मंदिर स्थापत्य कला का सुंदर उदाहरण है. कोरबा जिले का पाली शिव मंदिर और सरगुजा का देवी मंदिर देवटिकरा धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक है.

मुंगेली जिले में धूमनाथ मंदिर, सरगांव स्थित है, जो प्राचीनता और धार्मिक मान्यता का मेल है. रायगढ़ के पुजारीपाली में केन्टविन मंदिर और कबीरधाम के भोरमदेव मंदिर को ‘छत्तीसगढ़ का खजुराहो’ कहा जाता है, जो बेहद प्रसिद्ध है. जांजगीर-चांपा के खरौद में लक्ष्मणेश्वर मंदिर स्थापत्य की दृष्टि से अनूठा है.

बेमेतरा का सहसपुर स्थित बजरंगबली मंदिर और बलौदाबाजार का डमरू स्थित प्राचीन शिव मंदिर स्थानीय आस्था के केंद्र हैं. राजनांदगांव के गंडई स्थित शिव मंदिर भी ऐतिहासिक महत्त्व रखता है. दुर्ग के धमधा स्थित शिव मंदिर और रायपुर का गिरौद शिव मंदिर धार्मिक यात्राओं का प्रमुख हिस्सा है.

महासमुंद जिले के सीरपुर का लक्ष्मण मंदिर गुप्तकालीन वास्तुशिल्प का अद्वितीय उदाहरण है, जिसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित किया गया है. बालोद के पलारी, धमतरी के सिहावा और गरियाबंद के फिंगेश्वर में स्थित मंदिर पुरातात्विक और धार्मिक दृष्टि से विशिष्ट स्थान रखते हैं.

कोंडागांव के भोंगापाल स्थित बौद्ध चैत्यगृह और बस्तर के गुमरपाल स्थित शिव मंदिर, आदिवासी संस्कृति से जुड़े हैं. दंतेवाड़ा के बारसूर में स्थित गणेश प्रतिमा अपनी विशालता और अद्वितीय शिल्प के लिए प्रसिद्ध है.

इन सभी स्मारकों की विशेषता यह है कि ये छत्तीसगढ़ की विविध सांस्कृतिक परंपराओं, स्थापत्य शैलियों और धार्मिक मान्यताओं के जीवंत प्रतीक हैं. कुछ स्मारक गुप्तकालीन हैं, तो कुछ मध्यकालीन हैं. मंदिरों की शिल्पकला, मूर्तिकला और निर्माण शैली भारतीय सांस्कृतिक विरासत की गहराई को दर्शाती है.  छत्तीसगढ़ के ये स्मारक न केवल प्राचीन भारत की गौरवगाथा को जीवित रखते हैं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा और पहचान का स्रोत भी हैं. अगर आप कभी छत्तीसगढ़ भ्रमण पर आएं, तो इन ऐतिहासिक स्मारकों का जरूर दीदार करें.



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