Delhi Crime News: दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) के सामने यह मामला 11 जनवरी 2017 को आया. ईओडब्ल्यू को आईसीआईसीआई बैंक ने शिकायत देकर बताया कि उनके 18 खाताधारकों ने 467 फर्जी फॉरेन इनवर्ड रेमिटेंस सर्टिफिकेट (एफआईआरसी) जमा कराए गए हैं. ये एफआईआरसी 26 सितंबर 2013 से 21 अक्टूबर, 2015 के बीच के थे.
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
जांच में पता चला कि विदेश व्यापार नीति के तहत निर्यातकों को दो तरह के लाभ मिलते हैं. पहला ड्यूटी ड्रॉबैक और दूसरा स्क्रिप एण्ड लाइसेंस. ड्यूटी ड्रॉबैक सीधे निर्यातक के खाते में आता है, जबकि दूसरा लाभ डीजीएफटी द्वारा ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप (डीसीएस) के रूप में दिया जाता है.
उन्होंने फर्जी एफआईआरसी बनाकर 30.47 करोड़ रुपये की ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप्स हासिल कीं और इन्हें खुले बाजार में बेच दिया. इन फर्मों ने कॉर्पोरेशन बैंक में डिस्पैच दिखाया, लेकिन वास्तव में कोई पैसा उनके खातों में नहीं आया.
ईओडब्ल्यू की जांच में पता चला कि अंगद ने अपने परिवार और दोस्तों की मदद से कई फर्में बनाईं और आईसीआईसीआई बैंक में खाते खोले. बैंक कर्मचारियों के साथ मिलीभगत कर फर्जी दस्तावेजों को प्रोसेस किया गया. जब यह मामला सामने आया, तो अंगद और उसके सहयोगी देश छोड़कर भाग गए.
अंगद को हाल ही में अमेरिका से प्रत्यर्पित किया गया था, जहां उसे सीबीआई ने एक अन्य धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया था. अब इस मामले में ईओडब्ल्यू ने आरोपी अंगद पाल सिंह उर्फ अंगद सिंह चंधोक को गिरफ्तार कर लिया है.
अंगद पाल सिंह ने दिल्ली में 12वीं तक पढ़ाई की है. उनके पिता सुरिंदर सिंह ऑटो स्पेयर पार्ट्स के निर्यातक थे और उनकी फर्म नेशनल ट्रेडर के जरिए काम करते थे. अंगद ने अपने पिता के साथ काम शुरू किया और आयात-निर्यात का ज्ञान हासिल किया. उसने परिवार और दोस्तों की फर्मों को जोड़ा और ऊंचे मुनाफे का लालच देकर यह जालसाजी की.
तीन आरोपी पहले हो चुके हैं अरेस्ट
ईओडब्ल्यू के उपायुक्त विक्रम के. पोरवाल ने बताया कि इस मामले में पहले तीन अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी है. यह एक जटिल मामला है, अंगद की गिरफ्तारी के बाद जांच को नई रफ्तार मिल गई है.