बेटियों ने बदली समाज की सोच! मां की अर्थी को दिया कंधा, रीति-रिवाज से किया अंतिम संस्कार

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Janjgir Champa News: चारों बेटियां माता-पिता का संबल थीं. आज ये बहनें पूरे समाज के लिए मिसाल बन गई हैं. इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि बेटियां केवल लक्ष्मी ही नहीं बल्कि शक्ति का भी रूप हैं.

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बेटियों ने मां का अंतिम संस्कार किया.

जांजगीर-चांपा. छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के केरा गांव की चार बेटियों ने समाज को एक नई दिशा दिखाते हुए अपनी दिवंगत मां की अंतिम यात्रा की सभी रस्में पूरी कीं. पारंपरिक मान्यताओं को पीछे छोड़ते हुए इन बेटियों ने न केवल अपनी मां की अर्थी को कंधा दिया बल्कि हर मान्यता को मानते हुए अंतिम संस्कार की सभी विधियां भी निभाईं. बेटियों ने मां को फूलों से सजी एंबुलेंस में तुलसी से केरा गांव तक विदाई दी और फिर महानदी किनारे स्थित मुक्तिधाम में चिता सजाकर मुखाग्नि दी. यह दृश्य न सिर्फ भावुक करने वाला था बल्कि समाज को यह संदेश देने वाला भी था कि बेटियां भी हर कर्तव्य को पूरी श्रद्धा से निभा सकती हैं.

चारों बेटियां माता-पिता का संबल थीं और आज वे पूरे समाज के लिए एक मिसाल बन गई हैं. इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि बेटियां केवल ‘लक्ष्मी’ नहीं बल्कि ‘शक्ति’ भी हैं. मृतका की बेटी ने कहा कि उनकी मां का नाम जमनाबाई मनहर है. वह दो माह पहले लकवाग्रस्त हो गई थीं और उनका अचानक देहांत हो गया. वो चार बहनें हैं और उनका कोई भाई नहीं है. हम चारों बहनों ने कभी भी अपने माता-पिता को बेटे की कमी महसूस नहीं होने दी.

एंबुलेंस को फूलों से सजाया
उन्होंने आगे कहा कि उनके पिता का तीन साल पहले निधन हो गया था. मां के देहांत के बाद हम चारों बहनें एंबुलेंस को फूलों से सजाकर उनके पार्थिव शरीर को घर लाईं और विधि-विधान से सभी रीति-रिवाजों को करते हुए मां का अंतिम संस्कार किया. चारों बेटियों ने समाज को प्रेरणा दी कि बेटियों को भी माता-पिता के बुढ़ापे में साथ देना चाहिए. आज के समय में जो काम बेटे कर सकते हैं, वही काम बेटियां भी कर सकती हैं. सभी माता-पिता को भी अपने बेटे और बेटियों को बराबर समझना चाहिए.

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