ऐसे पति और सास के लिए मौत की सजा भी कम है! बहू को 6 साल भूखा रखा…जब मौत हुई तो सिर्फ 21kg वजन था


2019 में केरल के कोल्लम जिले से आई एक ऐसी घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया था, जिसे सुनकर हर किसी की आंखें भर आईं. ये कहानी थी 28 साल की तुषारा की, जिसे उसके ही घरवालों ने भूखा रखकर मार डाला. सिर्फ इसलिए कि वह दहेज नहीं ला सकी थी. उसके पति और सास ने धीरे-धीरे उसके खाने-पीने पर रोक लगा दी, उसे समाज से काट दिया और फिर उसे ऐसे हाल में छोड़ दिया कि उसकी मौत भूख से हो गई.

शादी के बाद सब बदल गया, प्यार की जगह मिलती थी सजा
करुणागपल्ली की रहने वाली तुषारा की शादी 2013 में चंदुलाल नाम के युवक से हुई थी. शुरू में सब कुछ ठीक लग रहा था. लेकिन धीरे-धीरे तुषारा की ज़िंदगी में अंधेरा छा गया. पति और उसकी मां गीता लाली ने दहेज के लिए उसे परेशान करना शुरू कर दिया. ना ही उसे घर से बाहर निकलने दिया जाता था, और ना ही अपने मायके या पड़ोस में किसी से बात करने दी जाती थी. वो पूरी तरह अकेली पड़ गई थी.

6 साल तक तड़पती रही और फिर…
छह साल तक तुषारा ने ये ज़ुल्म झेला. लेकिन मार्च 2019 में उसकी हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि वह चलने फिरने लायक भी नहीं रही थी. जब उसकी मौत हुई तो उसका वजन सिर्फ 21 किलो रह गया था. सोचिए, ये वजन एक 7 साल की बच्ची से भी कम है. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सामने आया कि उसके पेट में एक दाना भी खाना नहीं था. इसका मतलब ये था कि उसने कई दिनों से कुछ भी नहीं खाया था.

न कोई गवाह, न कोई वीडियो, फिर कैसे खुला राज?
ये मामला इतना मुश्किल था कि इसमें न तो कोई चश्मदीद था और न ही कोई सीधा सबूत. सब कुछ घर के अंदर हो रहा था और बाहर वालों को कुछ पता नहीं था. लेकिन सरकारी वकील के.बी. महेंद्र और उनकी टीम ने हार नहीं मानी. उन्होंने अस्पताल की रिपोर्ट पेश की जिसमें लिखा था कि तुषारा को अस्पताल लाते समय ही उसकी मौत हो चुकी थी. यानी वह घर पर ही मर गई थी, और ये एक सामान्य मौत नहीं थी.

जब पड़ोसी ने देखा तुषारा के साथ अमानवीय व्यवहार
एक महिला पड़ोसी ने गवाही दी जो इस केस में बहुत अहम साबित हुई. उसने बताया कि एक दिन वह तुषारा के घर गई थी, तब उसने तुषारा को खाना खाते हुए देखा. तभी उसकी सास गीता आई और गुस्से में थाली को जमीन पर गिरा दिया. फिर उसने तुषारा से कहा, “अगर खाना है तो जमीन से उठा कर खा.” इस घटना से साफ हो गया कि तुषारा को जानबूझकर खाना नहीं दिया जा रहा था.

आशा वर्कर ने बताया सच्चाई का दूसरा चेहरा
एक और अहम गवाह थी एक आशा वर्कर. जब वह तुषारा की प्रेग्नेंसी के दौरान स्वास्थ्य जांच के लिए घर गई थी, तब उसने देखा कि तुषारा को बहुत ही बुरी हालत में रखा गया था. उसके शरीर में कमजोरी साफ झलक रही थी, लेकिन कोई ध्यान नहीं दे रहा था. ये बातें कोर्ट में बताई गईं और इससे सच्चाई को और मजबूती मिली.

ताकि कोई देख न पाए, बना दी थी 8 फीट ऊंची दीवार
तुषारा को दुनिया से पूरी तरह अलग रखने के लिए चंदुलाल और उसकी मां ने अपने घर के चारों ओर 8 फीट ऊंची टिन की दीवार खड़ी कर दी थी. ताकि कोई भी बाहर से अंदर न झांक सके. ये दीवार सिर्फ ईंट और टिन की नहीं थी, ये दीवार तुषारा की आज़ादी और ज़िंदगी के बीच खड़ी कर दी गई थी.

वकील बोले – ऐसा दर्दनाक केस पहले कभी नहीं देखा
सरकारी वकील के.बी. महेंद्र ने बताया, “मैंने बहुत केस लड़े हैं, लेकिन ऐसा केस कभी नहीं देखा जहां किसी महिला के पेट में बिल्कुल भी खाना नहीं था. तुषारा की मौत ने मुझे अंदर से झकझोर दिया.” उन्होंने बताया कि उन्होंने राज्य भर के दूसरे वकीलों से पूछा, लेकिन किसी ने ऐसा केस पहले कभी नहीं सुना था.

कोर्ट का फैसला – अब इंसाफ मिला तुषारा को
तुषारा की मौत के लगभग पांच साल बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. कोल्लम की अदालत ने चंदुलाल और उसकी मां गीता लाली को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई. अदालत ने साफ कहा कि ये एक सुनियोजित हत्या थी, जिसमें तुषारा को भूखा रख-रखकर मारा गया.



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