Donald Trump Excludes Pakistan From Travel Ban : डोनाल्ड ट्रंप की पाकिस्तान नीति: भारत के लिए दोहरा मापदंड.

आपको याद होगा कि डोनाल्ड ट्रंप जब पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे, तो भारत को लेकर उनकी नीतियां काफी अलग थीं. अमेरिका में भारतीय समुदाय के साथ वे घुले-मिले हुए दिखते थे, जबकि पीएम मोदी के साथ भी उनका ‘दोस्ताना’ चर्चा में रहता था. इस बार जब उन्होंने साल 2024 में सत्ता संभाली तो उनका ये याराना पड़ोसी देश के साथ ज्यादा दिख रहा है. वे शहबाज की यारी में ये भी भूल गए हैं कि वे उसी पाकिस्तान के पीएम हैं, जहां 9/11 हमले का मास्टरमाइंड सालों तक मज़े काटता रहा था.

डोनाल्ड ट्रंप इस बार जब से सत्ता में आए हैं, तब से उनकी पॉलिसी ने पूरी दुनिया को हैरान-परेशान कर रखा है. खासतौर पर भारत को दोस्त बताने वाले ट्रंप उसके सबसे बड़े दुश्मन पाकिस्तान को जिस तरह से संरक्षण दे रहे हैं, वो उनकी डबल स्टैंडर्ड वाली नीति को दिखाता है. आतंकवाद को लेकर ज़ीरो टॉलरेंस की बातें करने वाले डोनाल्ड ट्रंप को पाकिस्तान में बैठे आतंकी मानो साधु-संत लग रहे हैं, तभी तो वे आतंकियों को पोसने वाले पाकिस्तान को हर मंच पर पीड़ित घोषित करने में जुटे रहते हैं.

12 देशों पर बैन, पर ‘आतंकिस्तान’ को छोड़ दिया

इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा में डोनाल्ड ट्रंप का नया फैसला है, जिसके तहत उन्होंने दुनिया के 12 ऐसे देशों पर ट्रैवल बैन का ऑर्डर पास किया है. इस लिस्ट में ज्यादातर उन देशों के नाम हैं, जहां मुस्लिम बहुत आबादी है और आतंकवाद की जड़ें मजबूत हैं. लिस्ट में अफगानिस्तान, म्यांमार, चाड, कांगो, इक्वेटोरियल गिनी, इरिट्रिया, हैती, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन के तो नाम हैं, लेकिन पाकिस्तान का नाम शामिल नहीं है. अगर ट्रंप को इन देशों में फैले आतंकवाद से खतरा महसूस हो रहा है, तो भला पाकिस्तान से क्यों नहीं?

पहलगाम छोड़िए, 9/11 भी भूले ट्रंप

22 अप्रैल, 2025 में जिस तरह कश्मीर के पहलगाम में घुसकर आतंकवादियों ने भारतीय नागरिकों को निशाना बनाया, उससे डोनाल्ड ट्रंप भी अनजान नहीं होंगे. धार्मिक आतंकवाद की भेंट चढ़े मासूम लोगों की हत्या ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था. अमेरिका ने भी उस वक्त आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस वाले राग को दोहराया था, लेकिन जब भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर जैसी कार्रवाई की तो ट्रंप भारत के पक्ष में एक बार भी नहीं बोले. वे आए भी तो सीज़फायर की झूठी कहानी और पाकिस्तान से सौदे का शिगूफा लेकर. भारत ने जब आतंकवादियों के ठिकानों को तबाह किया, तो ट्रंप को ऐबटाबाद में हुआ अलकायदा चीफ ओसामा बिन लादेन को मारने का ऑपरेशन याद नहीं आया. न ही उन्हें अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की निर्मम हत्या ही याद रही, जिसके अपराधी को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में मार गिराया.

शहबाज ने ट्रंप को कहा ‘शांति का मसीहा’

उधर अमेरिका की आज़ादी की 249वीं सालगिरह पर US Embassy में हुए एक इवेंट शहबाज शरीफ शामिल हुए. उन्होंने अमेरिका के फाउंडिंग फादर्स को तो श्रद्धांजलि दी ही, ट्रंप की शान में कसीदे पढ़ते रहे. उन्होंने ट्रंप को शांति का मसीहा बता दिया और कहा कि वे लड़ाई के विरोधी और शांति- व्यापार के समर्थक हैं. इसके बदले में डोनाल्ड ट्रंप ने भी पाकिस्तान को ट्रैवल बैन की लिस्टम में शामिल नहीं करके एक तरह से इस बात की क्लिन चिट दे दी है कि वो आतंकवाद का पोषक नहीं बल्कि पीड़ित है.

डोनाल्ड ट्रंप की दोहरी चाल

ऐसा पहली बार नहीं है कि डोनाल्ड ट्रंप ऐसी दोहरी नीति अपना रहे हों. उन्होंने पाकिस्तान को लेकर पहले भी ऐसा किया है. जहां एक तरफ वे अमेरिका की सुरक्षा और किसी भी हाल में आतंकवाद को खत्म करने की कस्में खाते हैं, वहीं दूसरी तरफ वे पाकिस्तान जैसे देश के साथ व्यापारिक रिश्ते रखना चाहते हैं. कुछ ऐसा ही उन्होंने अरब दौरे के वक्त किया था, जब अलकायदा के पूर्व आतंकी रह चुके सीरियन राष्ट्रपति अहमद अल-शरा से किसी दोस्त की तरह हाथ मिलाया. कभी अल-शरा पर अमेरिका ने 10 मिलियन डॉलर का इनाम रखा हुआ था और ट्रंप ने अब उसे शानदार और मजबूत हस्ती करार दे दिया. ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप से भारत आतंकवाद हटाने के मंच पर साझेदारी की उम्मीद भी कैसे कर सकता है!

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