कमल की तरह खिलीं बस्तर की बेटी, पारंपरिक वेश में मंच पर पहुंचीं डॉ. जयमति कश्यप, पीएम मोदी ने किया सम्मानित

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Jaymati Kashyap tribal artist: बस्तर की जनजातीय कलाकार डॉ. जयमति कश्यप को पीएम मोदी ने देवी अहिल्याबाई राष्ट्रीय सम्मान 2024 से सम्मानित किया. जानिए उनकी प्रेरणादायक कहानी.

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जयमति

जयमति कश्यप देवी अहिल्याबाई सम्मान

हाइलाइट्स

  • डॉ. जयमति कश्यप को देवी अहिल्याबाई सम्मान मिला.
  • पीएम मोदी ने भोपाल में किया सम्मानित.
  • बस्तर की बेटी ने जनजातीय संस्कृति को राष्ट्रीय मंच पर पहुंचाया.

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ की धरती ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि यहां की बेटियां सिर्फ संस्कृति की रक्षक नहीं, बल्कि प्रेरणा की मिसाल हैं. बस्तर अंचल की प्रख्यात जनजातीय कलाकार डॉ. जयमति कश्यप को ‘राष्ट्रीय देवी अहिल्याबाई सम्मान 2024’ से सम्मानित किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में आयोजित महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन में उन्हें यह सम्मान प्रदान किया.

परंपरा और पहचान को मंच तक ले गईं डॉ. कश्यप
डॉ. जयमति कश्यप ने जब पारंपरिक बस्तरिय वेशभूषा में मंच पर प्रवेश किया, तो वह दृश्य भारत की विविधता और आत्मा का जीवंत प्रतीक बन गया. उनकी उपस्थिति ने न केवल जनजातीय संस्कृति को राष्ट्रीय मंच पर सम्मान दिलाया, बल्कि यह भी दर्शाया कि परंपरा से जुड़कर भी आधुनिक उपलब्धि पाई जा सकती है.

कौन हैं डॉ. जयमति कश्यप?
डॉ. कश्यप कोंडागांव जिले की रहने वाली हैं और वह गोंडी भाषा, साहित्य, चित्रकला, कीटोकाट गायन, और जनजातीय परंपराओं की संरक्षिका रही हैं. उनके काम ने बस्तर की लोककला को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंचाया. वे शिक्षाविद्, सामाजिक कार्यकर्ता और कलाकार के रूप में बहुआयामी योगदान दे रही हैं.

देवी अहिल्याबाई सम्मान क्या है?
‘राष्ट्रीय देवी अहिल्याबाई सम्मान’ की शुरुआत 1996-97 में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा की गई थी. यह पुरस्कार उन महिलाओं को दिया जाता है जिन्होंने समाज, संस्कृति, शिक्षा, साहित्य और महिला सशक्तिकरण में उत्कृष्ट योगदान दिया हो. सम्मान में ₹5 लाख की राशि और प्रशस्ति पत्र शामिल होता है.

राज्य को मिला गर्व, देश ने सराहा
सम्मान के बाद छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने ट्वीट कर डॉ. कश्यप को बधाई दी और कहा कि बस्तर की बेटी को यह सम्मान मिलना पूरे प्रदेश के लिए गौरव की बात है.

संस्कृति और सशक्तिकरण का संगम
डॉ. जयमति कश्यप की यह उपलब्धि केवल एक सम्मान नहीं, बल्कि पूरे बस्तर और देश की जनजातीय महिलाओं की सामूहिक जीत है. यह उन सभी बेटियों के लिए प्रेरणा है जो अपनी जड़ों से जुड़कर बदलाव की कहानी लिखना चाहती हैं.

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