घर जाकर देते सर्विस, टेस्ट कर बताते लड़का है या लड़की,15000 रुपयों में लेते मासूमों की जान, पहुंची पुलिस तो…


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अहमदाबाद में महिला भ्रूण हत्या का मामला सामने आया है, जिसमें हेमलता दर्जी और हर्षद आचार्य ने 25 भ्रूण टेस्ट किए और 8 महिला भ्रूणों का गर्भपात किया. पुलिस ने गिरोह का भंडाफोड़ किया है.

घर जाकर देते सर्विस, टेस्ट कर बताते लड़का है या लड़की,15000 रुपयों में...

अहमदाबाद में अवैध गर्भपात रैकेट का भंडाफोड़ (image credit-canva)

हाइलाइट्स

  • अहमदाबाद में अवैध गर्भपात रैकेट का भंडाफोड़
  • घर जाकर करते थे अबॉर्शन
  • कोड वर्ड में होता था भ्रूण का इशारा

अहमदाबाद: बेटी बचाओ के नारों और कानूनों के बावजूद, गुजरात में महिला भ्रूण हत्या का एक ऐसा घिनौना मामला सामने आया है जिसने सबको हैरान कर दिया है. पुलिस ने अहमदाबाद जिले के बावला कस्बे में एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो चुपचाप और पूरी प्लानिंग के साथ पहले तो महिला भ्रूण की पहचान करता और फिर गर्भपात कराता था और वो भी मरीजों के घर जाकर.

इस पूरे रैकेट की कमान संभाले हुए थे दो आरोपी हेमलता दर्जी नाम की एक नर्स और हर्षद आचार्य नाम का एक रेडियोलॉजिस्ट. दोनों अहमदाबाद, आणंद और वडोदरा में एक्टिव थे. पुलिस ने बताया कि इन्होंने अब तक कम से कम 25 भ्रूण टेस्ट किए हैं, जिनमें से आठ भ्रूण महिला हैं. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से पांच गर्भपात सीधे मरीजों के घरों में कराए गए.

अहमदाबाद ग्रामीण पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, यह ऑपरेशन बेहद गोपनीय तरीके से किया जा रहा था. मरीज को क्लिनिक जाने की भी जरूरत नहीं पड़ती थी. टीम खुद उनके घर जाती, खून के सैंपल लेती और उसी जगह गर्भपात कर दिया जाता. अगर किसी महिला को गर्भपात के दौरान ज्यादा खून बहता, तो हेमलता दर्जी वही दवाइयां इस्तेमाल करती थी जो उसने अपने पुराने प्राइवेट अस्पताल से चुराई थीं. वहीं हर्षद इस बात की पहचान करता की भ्रूण मेल है या फीमेल.

पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस रैकेट में बेहद सावधानीपूर्वक कोडवर्ड्स का इस्तेमाल होता था. अगर आचार्य मुस्कराकर ‘आशीर्वाद’ कहता था, तो मतलब भ्रूण पुरुष है. लेकिन अगर वह गंभीर होकर ‘ठीक थई जैशे’ (सब ठीक हो जाएगा) कहे, तो उसका मतलब होता था भ्रूण महिला है.

पुलिस ने यह भी खुलासा किया कि यह गिरोह हर किसी को ये ‘सेवा’ नहीं देता था. केवल भरोसेमंद जान-पहचान वालों को ही संपर्क में लिया जाता था. पूरे ऑपरेशन के दौरान हर केस में ₹15,000 लिए जाते थे, जिसमें से ₹7,000 हेमलता दर्जी को मिलते थे और बाकी आचार्य रखता था. आचार्य ने यह गोरखधंधा करीब डेढ़ साल पहले शुरू किया था. पूछताछ में दोनों आरोपियों ने यह दावा किया कि उन्हें उन महिलाओं के नाम याद नहीं जिनका गर्भपात उन्होंने कराया. ‘लेकिन उन्हें वह मकान जरूर याद हैं जहां ये सब हुआ.’ पुलिस अब उन महिलाओं की भी तलाश कर रही है जिन्हें यह सेवा दी गई थी.

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