Ground Report: सरकार बदली और बदल गया गौठान, पशुपालकों को नहीं मिल रहा लाभ, कैसा है हाल?

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Ground Report: पहले इस गौठान में पशुपालक पशुओं का गोबर बेचकर कमाई करते थे. जैविक खाद बनाने के लिए गौठान के भीतर शेड लगाया गया था लेकिन अब यह शेड पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है.

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ग्रामीण

ग्रामीण फिर से इस योजना को शुरू करने की मांग कर रहे हैं.

सरगुजा. छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती सरकार द्वारा एक योजना गोधन न्याय योजना की शुरुआत जुलाई 2020 में की गई थी. इसके तहत सरकार का लक्ष्य पशुपालकों को वित्तीय लाभ पहुंचाना था. इसके लिए सरकार ने छत्तीसगढ़ के तमाम ग्राम पंचायत में गौठान का निर्माण कराया, जिसमें पशुपालकों द्वारा गोबर की खरीद-बिक्री का व्यवसाय किया गया. इस योजना के तहत राज्य सरकार पशुपालक किसानों से दो रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गोबर खरीदती थी. योजना का मुख्य उद्देश्य पशुपालकों को गोबर बेचकर आय प्राप्त कराना और गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने की व्यवस्था करना है लेकिन अब गौठान में गोबर खरीद-बिक्री काम नहीं हो रहा है.

छत्तीसगढ़ में जैसे ही सरकार बदलती है, वैसे ही योजनाएं ठप हो जाती हैं. ऐसा हम नहीं कर रहे हैं बल्कि यह बदहाल गौठान की तस्वीर बता रही है कि सरकार बदलने से योजनाएं थम जाती हैं. पहले इस गौठान में पशुपालक मवेशियों का गोबर बेचकर कमाई करते थे. वर्मी कम्पोस्ट जैविक खाद बनाने के लिए गौठान के भीतर शेड निर्माण कराया गया था लेकिन यह शेड अब पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है. केवल आपको गोबर के अवशेष देखने को मिलेंगे. कई शेड गिर चुके हैं, तो कई बदहाल हैं. गोधन न्याय योजना के तहत बनाए गया गौठान अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है.

सभी जगह के गौठान बदहाल
लोकल 18 की टीम ने गौठान को लेकर ग्राउंड जीरो पर जाकर देखा, तो इलाके में सभी जगह गौठानों का हाल बदहाल है. अब यहां पशुपालक तो दूर मवेशी भी नहीं आते. यह गौठान सरगुजा जिले के कुदारीडीह का है, जहां न शेड का पता है, न ही हैंडपंप सही है, कुल मिलाकर योजना के साथ-साथ गौठान भी ध्वस्त हो चुका है.

राज्य सरकार को देना चाहिए ध्यान
पशुपालकों ने बताया कि पहले एक-दो महीने लाभ मिला. खरीद-बिक्री हुई लेकिन जैसे ही सरकार बदली योजना के साथ गौठान खंडहर बनने लगा. गौठान में कोई जाता नहीं है और अब धीरे-धीरे यह जर्जर हो रहा है. वर्तमान राज्य सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए, जिससे फिर से इस योजना का क्रियान्वयन हो सके. योजना ने ग्रामीण परिवेश में बेरोजगारों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया था. रोजगार मिल रहा था लेकिन अब रोजगार भी छिन चुका है और गौठान भी ध्वस्त होने की कगार पर है.

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