पत्रकारों पर बंदूक तानने वाले बाउंसरों को 6 जून तक जेल, मेकाहारा में गुंडागर्दी, अगली सुनवाई कल

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छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े अस्पताल मेकाहारा की सुरक्षा में तैनात रहे चार बाउंसरों को पत्रकारों पर बंदूक तानने और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया है. मुख्य आरोपी वसीम अकरम सह…और पढ़ें

पत्रकारों पर बंदूक तानने वाले बाउंसरों को 6 जून तक जेल, अगली सुनवाई कल

रायपुर में पत्रकारों पर हमला करने वालों को जेल भेजा गया है.

हाइलाइट्स

  • चार बाउंसरों को 6 जून तक जेल भेजा गया.
  • पत्रकारों पर बंदूक तानने का आरोप.
  • मेकाहारा अस्पताल में हुई घटना.

रायपुर: राजधानी रायपुर में पत्रकारों के साथ खुलेआम बदसलूकी और जान से मारने की धमकी देने के सनसनीखेज मामले में गिरफ्तार किए गए चार आरोपियों को आज न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया है. इन आरोपियों में मुख्य आरोपी वसीम अकरम भी शामिल है, जिसने कथित तौर पर पत्रकारों पर बंदूक तानी थी. ये सभी आरोपी प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल मेकाहारा की सुरक्षा में बाउंसर के रूप में तैनात थे. कोर्ट में आज सुनवाई नहीं हो सकी, जिसका कारण एक सीनियर वकील का निधन बताया जा रहा है. अब इन सभी आरोपियों को 6 जून तक न्यायिक हिरासत में रहना होगा.

यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल मेकाहारा में चाकूबाजी की एक घटना हुई. पत्रकार इस घटना के पीड़ित और उनके परिवार से जानकारी लेने के लिए अस्पताल पहुंचे थे. मीडिया रिपोर्ट्स और पत्रकारों के बयानों के अनुसार, इसी दौरान अस्पताल की सुरक्षा में तैनात बाउंसरों ने पत्रकारों को कवरेज करने से रोका और उनके साथ बदसलूकी शुरू कर दी. आरोप है कि बाउंसर वसीम अकरम और उसके तीन साथियों ने पत्रकारों के साथ गाली-गलौज और धक्का-मुक्की की. बात यहीं खत्म नहीं हुई, बल्कि आरोपियों ने पत्रकारों को बंदूक दिखाकर जान से मारने की धमकी भी दी, जिससे मौके पर हड़कंप मच गया और पत्रकारों में दहशत फैल गई. यह घटना सीधे तौर पर प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला थी, जिसने पूरे पत्रकार समुदाय को एकजुट कर दिया.

पत्रकारों को बैठना पड़ा धरने पर, प्रशासन हरकत में आया
पत्रकारों को मिली जान से मारने की धमकी और बदसलूकी के बाद राजधानी के पत्रकार एकजुट हुए. उन्होंने इस घटना को गंभीरता से लिया और तत्काल पुलिस और जिला प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की. जब उनकी मांग पर तुरंत कार्रवाई नहीं हुई, तो सभी पत्रकार अस्पताल परिसर में ही धरने पर बैठ गए. इस प्रदर्शन ने जिला और पुलिस प्रशासन के साथ-साथ राज्य सरकार का भी ध्यान आकर्षित किया. मामले की गंभीरता को समझते हुए, वरिष्ठ अधिकारियों ने हस्तक्षेप किया और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया.

पुलिस ने निकाला जुलूस, दिया सख्त संदेश
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस तत्काल हरकत में आई. मामला चूंकि सीधे तौर पर पत्रकारों से जुड़ा था और इसमें जान से मारने की धमकी जैसी गंभीर धाराएं शामिल थीं, इसलिए पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की. पुलिस ने घटनास्थल के आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले और पत्रकारों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर आरोपियों की पहचान की. पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद, उनका मूंडन करा कर दो किलोमीटर तक जुलूस भी निकाला. पुलिस का यह कदम अपराधियों को सख्त संदेश देने और जनता में विश्वास बहाल करने के उद्देश्य से था कि ऐसे कृत्यों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. पुलिस अधीक्षक (Raipur SP) ने उस समय स्पष्ट किया था कि किसी भी व्यक्ति को कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी, खासकर मीडियाकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार को लेकर पुलिस पूरी सख्ती बरतेगी.

कल होगी सुनवाई, लाइसेंसविहीन बंदूक पर भी जांच
गिरफ्तारी के बाद, सभी आरोपियों को आज कोर्ट में पेश किया गया. हालांकि, एक सीनियर वकील के निधन के कारण कोर्ट में आज की सुनवाई स्थगित कर दी गई. अब उन्हें 6 जून तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. मामले की अगली सुनवाई कल (27 मई, 2025) होने की उम्मीद है. पत्रकारों की ओर से सीनियर अधिवक्ता बृजेश पांडे, हितेंद्र तिवारी और वकील किशोर ताम्रकार ने आरोपियों की जमानत का विरोध करने के लिए कोर्ट में खड़े होने की सहमति दी है. वहीं, रायपुर वकील संघ ने भी पत्रकारों के साथ हुई इस बदसलूकी की कड़ी निंदा की है, जो इस मामले की गंभीरता को और बढ़ा देता है. पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि जिस बाउंसर ने पत्रकारों पर बंदूक तानी थी, उसका लाइसेंस अभी तक पुलिस को प्राप्त नहीं हुआ है. यह एक गंभीर उल्लंघन है, जिस पर पुलिस भारतीय न्याय संहिता (BNS) की संबंधित धाराओं के तहत कार्रवाई कर रही है.

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