5 हजार साल पहले कैसे रहते थे आदिमानव? देखना है तो छत्तीसगढ़ के इस गुफा में चले जाइए

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Femous kerakachar Cave: छत्तीसगढ़ में दुर्लभ गुफाओं का भंडार है. ऐसा ही एक केराकछार है, जहां आदिमानव के रहने का साक्ष्य मिला है.

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हाइलाइट्स

  • छत्तीसगढ़ के कोरबा में 5000 साल पुरानी केराकछार गुफा मिली.
  • गुफा में आदिमानवों के निवास के प्रमाण मिले हैं.
  • गुफा की खोज 2007 में हुई, पुरातत्व विभाग कर रहा है अध्ययन.

Korba News : छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के घने जंगल आज भी कई रहस्यों को अपने अंदर समेटे हुए हैं. पुरातत्व विभाग इन अंछुए जंगलों में लगातार खोज कर रहा है और इसी खोज के दौरान एक महत्वपूर्ण सफलता मिली है. रजगामार के पीछे, पवना अखरा पहाड़ा के नीचे, पत्रापाली गांव के पास केराकछार नामक एक ऐसी गुफा है, जो लगभग 5000 साल पुरानी बताई जाती है. माना जाता है कि इस गुफा में कभी आदिमानव निवास करते थे.

पुरातत्व विभाग के मार्गदर्शक हरि सिंह क्षत्रिय ने इस खोज के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस प्राचीन गुफा की खोज वर्ष 2007 में की गई थी.बाद में, स्थानीय ग्रामीणों ने इस गुफा में मूर्तियां स्थापित कर पूजा-पाठ करना शुरू कर दिया.

यह गुफा मध्य पाषाण काल से लेकर नव पाषाण काल तक के आदिमानवों के निवास का प्रमाण प्रस्तुत करती है. क्षत्रिय के अनुसार, इस गुफा का इतिहास लगभग 5000 साल पुराना है, जो इसे एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल बनाता है.

5 हजार साल पहले कैसे रहते थे आदिमानव? देखना है तो छत्तीसगढ़ के इस गुफा में चले जाइए

केराकछार गुफा कोरबा जिले के प्राचीन इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. पुरातत्व विभाग का मानना है कि इस गुफा की विस्तृत जांच से आदिमानवों के जीवनशैली, संस्कृति और तत्कालीन वातावरण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है. गुफा में मिले अवशेषों और कलाकृतियों का अध्ययन करके उस समय के मानव समाज की संरचना और विकास को बेहतर ढंग से समझा जा सकेगा.

पुरातत्व विभाग स्थानीय लोगों के साथ मिलकर इस समस्या का समाधान निकालने का प्रयास कर रहा है, ताकि गुफा की ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्ता को संरक्षित किया जा सके.

ऐसे और भी कई गुफाओं की खोज कोरबा के जंगलों में की गई है.इन गुफाओ की खोज से कोरबा जिले के पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेग. यदि इस स्थल को संरक्षित और विकसित किया जाता है, तो यह पर्यटकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बन सकता है, जिससे स्थानीय ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा.पुरातत्व विभाग की टीम फिलहाल गुफा और उसके आसपास के क्षेत्र में आगे की खोज और अनुसंधान कार्य में जुटी हुई है.

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