मुक्तांजलि एंबुलेंस के नाम पर कागजों में दे रहे मौत, फर्जी बिलिंग से करोड़ों का घोटाला, ACB, EOW में शिकायत

आकाश शुक्ला

रायपुर. छत्तीसगढ़ में पिछ्ले कुछ सालों में मुक्तांजलि निशुल्क शव वाहन सेवा 1099 और 102 एंबुलेंस योजना के नाम पर सरकारी खजाने पर पलीता लगाया जा रहा था, जहां फर्जी बिलिंग से शवों को उनके घर पहुंचाने के नाम पर फर्जीवाड़ा हो रहा है. स्वास्थ्य विभाग में लगे इन बिलों की पड़ताल News18 ने किया, तो अधिकारियों और एंबुलेंस संचालन करने वाली कैंप एजेंसी के भ्रष्टाचार की परतें खुलने लगी और चौंकाने वाला खुलासा हुआ. News18 की पड़ताल में पता चला कि एंबुलेंस एजेंसी ने जो बिल लगाए उनमें बेहद गड़बड़ियां है.

बिलों में दर्ज नाम, पते और मोबाइल नंबर सब फर्जी है. बिल में किसी को कागजों में मौत दे दी गई, तो किसी को बिन ब्याहा पिता बनाकर उनके नवजात को मार दिया गया. हैरान करने वाली बात रही कि फर्जी मौत में पिता, भाई सब बदल गए।

कैसे जिंदा सबूत, जो उठा रहे झूठ से पर्दा

केस 1: 4 मार्च को संतराम नेताम (35) की मौत होने पर नरहरपुर CHC से घर छोड़ना बताया और दिनेश पटेल को परिवार का सदस्य बताए हुए बिलिंग करा दी गई. बिल की पड़ताल करने पर पता चला व्यक्ति का नाम वीरेंद्र है. उसने कहा कि वह न यहां रहता है और न ही उनके यहां किसी की मृत्यु हुई.

केस 2: केस ID 257049 के बिल में लिखा, रामबाई के एक दिन की नवजात की मृत्यु होने पर उसे अंबिकापुर से कोरिया छोड़ा गया. पिता का नाम दसरू लिखा है. बिल की पड़ताल में पता चला कि इनका नाम विजेंदर सिंह है और इनकी शादी ही नहीं हुई.

केस 3: ID 256831 से बिलिंग में लखन लाल लोहार (59) की मौत होने पर शव को अंबिकापुर से खरखरा छोड़ना बताया. इसमें परिवार के सदस्य का नाम रामधर लोहार दिया, जो साथ थे. जब इनसे संपर्क किया तो पता चला ये आशीष रघुवशी है. मृतक इनके पिता नहीं है.

केस 4: इसी तरह ID 256831 के बिल में दिए नंबर को खंगाला गया तो, युवक दशरथ नाम का व्यक्ति निकाला, उसने अपने पिता का नाम धरमसाय बताया, जो जीवित है. बिल में दी गई पूरी जानकारी गलत है. परेशान होकर दशरथ कहने लगा मेरे नंबर पर फोन आ रहे चुप रहने कहा जा रहा.

बात यहां तक ही नहीं रुक रही. स्वास्थ्य विभाग में लगे फर्जी बिल पोल खुलता देख. फर्जीवाड़ा करने वाले लोग पीड़ितों को कॉल भी जा रहे और सच्चाई न बोलने के लिए दबाव बना रहे. ये बात भी News18 के कैमरे में कैद हुई, जब बिल में दर्ज एक नाम ने इसका खुलासा किया.

क्या कहता है जिम्मेदार अधिकारी

इधर इस फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद जब योजना के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. कमलेश जैन से बात करनी चाही तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया और स्वास्थ्य संचालक से जवाब मांगने कहने लगे. स्वास्थ्य संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला से कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर जांच चलने की बात कही गई है.

ACB, EOW से शिकायत

इस मामले की परतें खुलने के बाद विश्व हिंदू परिषद, बजरंगदल जैसे संगठनों ने मुख्यमंत्री के अलावा ACB, EOW में लिखित शिकायत की है. करीब 100 करोड़ के फर्जीवाड़े का अंदेशा जताते हुए जांच की मांग की गई है. विहिप के जिला संयोजक विजेंद्र ने बताया जिसमें जांच अधिकारी और एंबुलेंस एजेंसी कैंप के खिलाफ जांच कर इन्हें बर्खास्त कर कठोर कार्रवाई की मांग की है. वहींं बीजेपी नेता अंकित द्विवेदी ने स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जयसवाल, रायपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. विवेक चौधरी से शिकायत करने हुए फर्जी बिलिंग कर भ्रष्टाचार मामले में जांच और कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग के संविदा सहायक प्राध्यापक संविदा भर्ती प्रक्रिया में नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए कार्रवाई की मांग की है.

जानें स्वास्थ्य मंत्री ने क्या कहा

बता दें इससे पहले भी मुक्तांजलि निशुल्क शव वाहन सेवा 1099 एंबुलेंस योजना में कैंप एजेंसी और स्वास्थ्य सेवाएं विभाग के अधिकारियों के फर्जीवाड़े की पोल खुली थी. इसमें स्वास्थ्य विभाग ने जांच के नाम पर फर्जीवाड़ा को ही क्लीनचिट दे दी.  जब अधिकारियों से पूछा गया तो गया तो जांच में क्लीनचिट पर कोई जवाब नहीं था.

एंबुलेंस फर्जीवाड़ा और जांच में क्लीनचिट के सवाल पर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जयसवाल ने News18 को बताया कि फर्जीवाड़े की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया जांच के निर्देश दिए हैं। जांच में क्लीनचिट दिया गया है, उसे फिर से जांच कराने कहा है. वहीं अब फिर घोटाले का मामला सामने आया उसकी भी जांच कराएंगे. दोषी है तो, योजना से जुड़े अधिकारियों समेत एंबुलेंस एजेंसी पर कार्रवाई की जाएगी.

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