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छत्तीसगढ़ के कोरबा में वन विभाग और छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा ऊदबिलाव के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल कर रहे हैं. ऊदबिलावों का मुख्य भोजन मछली है, इसलिए वे पानी में ही रहते हैं. मछुआरे इन्हें अक्सर अपना दुश्मन…और पढ़ें

कोरबा और छत्तीसगढ़ के पांच अन्य जिलों में चल रहे एक नवीनतम शोध से यह सामने आया है कि ऊदबिलावों और मछुआरों के बीच दोस्ती दोनों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है. यह चौंकाने वाली बात इसलिए है क्योंकि आमतौर पर मछुआरे ऊदबिलावों को अपना दुश्मन मानते हैं, जो उनके जालों को काटकर मछली चुरा लेते हैं. हालांकि विज्ञानविदों का यह शोध इस धारणा को बदल रहा है और एक नए सहजीवी संबंध की संभावना को उजागर कर रहा है.

ऊदबिलाव बेहद शर्मीले और छिपकर रहने वाले जीव हैं. IUCN की संकटग्रस्त प्रजातियों की रेड लिस्ट में संकटग्रस्त के रूप में शामिल हैं. अन्य जलीय स्तनधारियों के विपरीत इनके शरीर में चर्बी की परत नहीं होती है और ये गर्म रहने के लिए अपने घने फर में फंसी हवा पर निर्भर रहते हैं. मानवीय गतिविधियों और प्रदूषण का इनके व्यवहार और अस्तित्व पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. यही कारण है कि इनके संरक्षण की जरूरत है.

छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के सदस्य और ऊदबिलाव बचाव अभियान के फील्ड असिस्टेंट लोकेश राज चौहान ने बताया कि पहले चरण का काम पूरा हो चुका है और कोरबा के लगभग सभी जलीय स्थानों पर ऊदबिलावों की उपस्थिति के प्रमाण मिले हैं. ऊदबिलावों का मुख्य भोजन मछली है, इसलिए वे पानी में ही रहते हैं. मछुआरे इन्हें अक्सर अपना दुश्मन समझते हैं. मछुआरों को समझाया जा रहा है कि ऊदबिलाव का शिकार न करें, उन्हें अपना दोस्त समझें.

प्रोजेक्ट के वैज्ञानिक सलाहकार और जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक प्रत्यूष पी महापात्रा के अनुसार, प्रदूषण के कारण कोरबा में ऊदबिलावों के अस्तित्व पर ज्यादा खतरा देखा जा रहा है. कोरबा में संरक्षण के लिए काम कर रहीं निधि सिंह ने बताया कि यह शोध नॉन-इनवेसिव स्टडी है, जिसमें इंफ्रारेड कैमरों का उपयोग करके प्राणियों को बिना परेशान किए उनका अध्ययन किया जाता है. ऊदबिलाव जलीय पारिस्थितिकीय तंत्र के स्वास्थ्य के संकेतक हैं. उनकी उपस्थिति किसी भी जैव विविध क्षेत्र की स्थिरता और पारिस्थितिकीय संतुलन का प्रमाण मानी जाती है.

छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा कोरबा इकाई और वन विभाग के संयुक्त सहयोग से ऊदबिलावों के संरक्षण का यह अभियान विज्ञान सभा के अध्यक्ष विश्वास मेश्राम के नेतृत्व में चल रहा है. छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड का यह प्रोजेक्ट विज्ञान सभा द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है, जिससे ऊदबिलावों के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई है.

कोरबा वनमंडल अंतर्गत कोरबा के एसडीओ आशीष खेलवार ने मछुआरों से अपील की है कि वे जागरूक बनें और ऊदबिलावों के संरक्षण में मदद करें. उन्होंने कहा कि ऊदबिलाव संवेदनशील प्राणी होते हैं. इनका आवास सीमित क्षेत्र में होता है और ये बहुत ही शर्मीले होते हैं. अगर कभी उनके जाल में ऊदबिलाव फंस जाए, तो बिना देर किए उसे आजाद करें. ये प्राणी परिवार के साथ रहते हैं और एक की जिंदगी पूरे परिवार को प्रभावित करती है. उनके प्राकृतिक आवास को सुरक्षित बनाने में योगदान देना हम सभी की जिम्मेदारी है.

ऊदबिलाव वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 2022 के तहत अनुसूची एक में वर्गीकृत है और इन्हें पकड़ने या शिकार करने पर कठोर सजा का प्रावधान है. जलीय जीवों के संरक्षण के लिए प्राकृतिक जल स्रोतों और नदियों का संरक्षण बेहद जरूरी है. हाल ही में छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले स्थित उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में पहली बार कैमरा ट्रैप के माध्यम से यूरेशियन ऊदबिलाव को देखा गया. साथ ही मरवाही, कोरबा और केशकाल कांकेर से भी इनकी उपस्थिति के साक्ष्य मिले हैं, जो राज्य की जैव विविधता और वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है.