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Israel Embassy Hamla: वॉशिंगटन में यहूदी म्यूजियम के बाहर दो इजरायली राजनयिकों की हत्या ने आतंक की क्रूरता को उजागर किया है. इजरायल और भारत दशकों से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोगी रहे हैं. आइए इस खबर में पढ़…और पढ़ें

इजरायल और भारत दशकों से आतंकवाद के दंश को झेल रहे हैं और इस लड़ाई में एक-दूसरे के मजबूत सहयोगी रहे हैं. (फोटो AP)
हाइलाइट्स
- वॉशिंगटन में दो इजरायली राजनयिकों की हत्या.
- भारत और इजरायल दशकों से आतंकवाद के खिलाफ सहयोगी.
- दोनों देश आतंकवाद से निपटने के लिए कड़े कदम उठाते हैं.
Israel Embassy Hamla: वॉशिंगटन में यहूदी म्यूजियम के बाहर दो इजरायली राजनयिकों की निर्मम हत्या ने एक बार फिर आतंक की क्रूरता को सामने ला दिया है. ये घटना सिर्फ इजरायल या अमेरिका पर हमला नहीं बल्कि मानवता के खिलाफ एक जघन्य अपराध है. यह घटना भारत और इजरायल के बीच एक गहरी समानता को उजागर करती है. दोनों देश दशकों से आतंकवाद के दंश को झेल रहे हैं और इस लड़ाई में एक-दूसरे के मजबूत सहयोगी रहे हैं. हाल ही में 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोषों का नरसंहार हो या वॉशिंगटन में यारों और सारा जैसे युवा इजरायली राजनयिकों की हत्या. आतंक किसी की जिंदगी नहीं देखता बस बर्बादी फैलाता है.
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इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस हमले के बाद दुनिया भर में इजरायली दूतावासों और नागरिकों की सुरक्षा बढ़ाने का आदेश दिया है. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है, “खून का बदला खून.” यह हमला उस मानसिकता को दिखाता है जो हिंसा के माध्यम से अपने एजेंडे को आगे बढ़ाना चाहती है. जिस हमलावर ने यह वारदात अंजाम दी वह गोली मारने के बाद फिलिस्तीन की आजादी से जुड़े नारे लगा रहा था. जो इस हमले के पीछे की आतंकी विचारधारा को साफ करता है. अमेरिका ने भी इस घटना को आतंकी हमला करार दिया है. जो इसकी गंभीरता को दर्शाता है.
अमेरिका ने भी इस घटना को आतंकी हमला करार दिया है. (फोटो AP)
भारत और इजरायल: आतंक के साझा शिकार
भारत और इजरायल दोनों ही लंबे समय से आतंकवाद के निशाने पर रहे हैं. भौगोलिक रूप से अलग होने के बावजूद दोनों देशों ने समान रूप से आतंकवाद की चुनौतियों का सामना किया है. इजरायल को जहां फिलिस्तीनी चरमपंथी समूहों से लगातार खतरा बना रहता है. वहीं भारत सीमा पार आतंकवाद और धार्मिक कट्टरता से जूझ रहा है. मुंबई में 26/11 का आतंकी हमला हो या जम्मू-कश्मीर में लगातार होने वाले हमले. भारत ने भी असंख्य बार निर्दोष नागरिकों की जान जाते देखी है. इसी तरह इजरायल में भी आतंकी हमलों में सैकड़ों लोगों की जान गई है.
दोनों देशों ने समान रूप से आतंकवाद की चुनौतियों का सामना किया है. (फोटो AP)
आपसी सहयोग और समर्थन की मिसाल
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत और इजरायल हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़े रहे हैं. जब भी किसी एक देश पर आतंकी हमला हुआ है दूसरे ने तुरंत अपना समर्थन व्यक्त किया है. इसका एक बड़ा उदाहरण हाल ही में 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम के पास हुए आतंकी हमले के बाद देखने को मिला था. हमले के बाद इजरायल ने भारत के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की थी और आतंक के खिलाफ लड़ाई में पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया था. इजरायल ने भारत की जरूरतों को समझते हुए आतंकवाद विरोधी अभियानों में विशेषज्ञता और तकनीक साझा करने की पेशकश भी की है. यह दर्शाता है कि दोनों देश किस तरह एक-दूसरे के दर्द को समझते हैं और मुश्किल समय में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहते हैं.
वहीं इजरायली दूतावास के 2 कर्मचारियों की गोली मारकर हत्या मामले में भी भारत ने बयान दिया है.भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी अमेरिका में इजरायली दूतावास के कर्मचारियों की हत्या की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने X पर अपने पोस्ट में लिखा, “वाशिंगटन डीसी में इजरायली राजनयिकों की हत्या की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं. हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं उनके परिवारों और सहकर्मियों के साथ हैं. अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए.”
आतंक के खिलाफ एक जैसी लड़ाई
भारत और इजरायल दोनों ही आतंकवाद से निपटने के लिए कड़े कदम उठाते रहे हैं. दोनों देशों ने अपनी सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को मजबूत किया है ताकि आतंकी हमलों को रोका जा सके और दोषियों को सजा मिल सके. इजरायल की काउंटर-टेररिज्म रणनीति दुनिया भर में जानी जाती है. दोनों देश आतंकवाद के फंड को रोकने, कट्टरपंथ को कम करने और साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करते हैं. ये सहयोग सिर्फ सरकारी स्तर पर ही नहीं बल्कि लोगों के बीच भी पनप रहा है, जहां वे एक-दूसरे के दर्द को समझते हैं और समर्थन करते हैं.
इजरायल की काउंटर-टेररिज्म रणनीति दुनिया भर में जानी जाती है. (फोटो AP)
एक-दूसरे का दर्द क्यों समझते हैं?
भारत और इजरायल के लोगों ने आतंक के गहरे जख्मों को महसूस किया है. उन्होंने अपने लोगों को खोया है हजारों जिंदगी को बदलते देखा है. यही कारण है कि वे एक-दूसरे का दर्द समझते हैं. वॉशिंगटन में हुई घटना ने एक बार फिर इस सच्चाई को पुख्ता किया है कि आतंकवाद की कोई सीमा नहीं होती कोई धर्म नहीं होता. यह मानवता का दुश्मन है. इस घटना ने यह भी साफ कर दिया है कि फिलिस्तीन की आजादी के नाम पर की गई हिंसा किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है. आजादी के लिए लड़ने का मतलब निर्दोषों की हत्या करना तो कतई नहीं है.
Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master’s degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, …और पढ़ें
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