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Best Paddy Variety: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के प्लांट ब्रीडिंग डिपार्टमेंट के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. सुनील कुमार नायर ने बताया कि ऐसी बाहरा जमीन के लिए विशेष किस्में विकसित की गई हैं. इनमें प्रमुख…और पढ़ें

फाइल फोटो
हाइलाइट्स
- ‘जलडूबी’ धान किस्म जलभराव वाली जमीन के लिए उपयुक्त है.
- ‘स्वर्णा सब-1’ किस्म प्रति हेक्टेयर 60 क्विंटल उपज देती है.
- बाहरा जमीन के लिए ‘जलडूबी’ और ‘स्वर्णा सब-1’ वरदान हैं.
रायपुर : छत्तीसगढ़ में धान को जीवन रेखा कहा जाता है. यहां की अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर है और विशेषकर धान की खेती ही उनके जीवन यापन का प्रमुख साधन है. जैसे-जैसे खरीफ सीजन नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे किसान खेतों की तैयारी में जुट गए हैं. इसी बीच, एक बड़ी और उपयोगी जानकारी सामने आई है जो खासकर उन किसानों के लिए राहत की खबर लेकर आई है, जिनकी जमीन ‘बाहरा’ श्रेणी में आती है.
छत्तीसगढ़ के कई हिस्सों में ऐसी जमीन पाई जाती है, जिनमें पानी की निकासी सही तरीके से नहीं हो पाती. ऐसी जमीनों को स्थानीय भाषा में ‘बाहरा’ कहा जाता है. आमतौर पर यह जमीनें उत्तर छत्तीसगढ़ के इलाकों में अधिक पाई जाती हैं, जहां वर्षा के बाद या नालों के किनारे जलभराव की स्थिति बनी रहती है. पारंपरिक धान की किस्में ऐसी भूमि में उपज नहीं दे पातीं, जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है.
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के प्लांट ब्रीडिंग डिपार्टमेंट के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. सुनील कुमार नायर ने बताया कि ऐसी बाहरा जमीन के लिए विशेष किस्में विकसित की गई हैं. इनमें प्रमुख है ‘जलडूबी’, जो विशेष रूप से ज्यादा पानी वाले खेतों के लिए तैयार की गई है. यह किस्म जलभराव की स्थिति में भी तेजी से वृद्धि करती है और अच्छी उपज देती है.
इसके साथ ही एक और किस्म ‘स्वर्णा सब-1’ भी किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. यह किस्म सेंट्रल इंडिया से रिलीज की गई है और इसमें विशेष जीन ट्रांसफर किए गए हैं जो इसे जलभराव सहनशील बनाते हैं. यह किस्म मूल रूप से ‘स्वर्णा’ धान का ही विकसित रूप है, जिसमें वैज्ञानिक तकनीक से सुधार किया गया है.
स्वर्णा सब-1 किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इससे किसान प्रति हेक्टेयर 60 क्विंटल या उससे अधिक धान उत्पादन ले सकते हैं. यह किस्म न केवल उत्पादन में आगे है, बल्कि जलभराव जैसी प्राकृतिक समस्याओं से भी निपटने में सक्षम है. इससे किसानों को न केवल नुकसान से बचाव मिलेगा, बल्कि आर्थिक मुनाफा भी बढ़ेगा.
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के प्लांट ब्रीडिंग डिपार्टमेंट के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. सुनील कुमार नायर ने आगे किसानों से अपील की है कि वे अपनी भूमि की प्रकृति के अनुसार धान की किस्म का चुनाव करें. यदि उनके खेतों में जलभराव की समस्या रहती है, तो ‘जलडूबी’ और ‘स्वर्णा सब-1’ जैसी किस्में उनके लिए सर्वश्रेष्ठ विकल्प हो सकती हैं.