Jheeram Valley Attack 10 Years On Singhdeos Statement Rekindles Political Storm-झीरम हमला: सिंहदेव के बयान से गरमाई सियासत, बीजेपी ने कहा– ‘गुरु-चेला मास्टरमाइंड’

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Chhattisgarh Politics : झीरम घाटी हमला अब सिर्फ इतिहास का पन्ना नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बार फिर से ‘चुनावी हथियार’ बनता दिख रहा है. टीएस सिंहदेव के बयान ने न सिर्फ कांग्रेस को असहज किया है, बल्क…और पढ़ें

झीरम हमला: सिंहदेव के बयान से गरमाई सियासत, BJP बोली– ‘गुरु-चेला मास्टरमाइंड’

छत्‍तीसगढ़ के पूर्व डिप्‍टी सीएम टीएस सिंहदेव के बयान से सियासी हलचल बढ़ गई है.

हाइलाइट्स

  • सिंहदेव के बयान से झीरम हमला फिर चर्चा में आया.
  • बीजेपी ने कांग्रेस पर झीरम हमले का आरोप लगाया.
  • झीरम घाटी हमला चुनावी मुद्दा बन सकता है.

रायपुर.  छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है. साल 2013 के झीरम घाटी नक्सली हमले को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच बयानबाज़ी तेज़ हो गई है. पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के हालिया बयान ने इस दर्दनाक हमले को एक बार फिर सियासी बहस के केंद्र में ला खड़ा किया है. टीएस सिंहदेव ने कहा कि “NIA ने झीरम घाटी कांड की जांच की, लेकिन मुझसे कभी बयान तक नहीं लिया गया, जबकि मैं परिवर्तन यात्रा का प्रभारी था.” उन्होंने यहां तक कह दिया कि “ये कोई आम नक्सली हमला नहीं था, बल्कि कांग्रेस के बड़े नेताओं को निशाना बनाकर की गई साजिश थी.”

इस पर बीजेपी ने तीखा पलटवार करते हुए कहा कि “झीरम का असली मास्टरमाइंड कांग्रेस के ही गुरु और चेला हैं.” प्रदेश प्रवक्ता संजय पांडे ने सीधे-सीधे इशारा करते हुए कहा कि “2013 में किसकी सरकार थी और किसे गाड़ी की चाबी सौंपी गई थी, यह सबको याद है.” 25 मई 2013 को बस्तर के झीरम घाटी में नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के काफिले पर बड़ा हमला किया था. इस हमले में तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, वरिष्ठ नेता महेंद्र कर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्या चरण शुक्ल सहित कुल 29 लोगों की जान चली गई थी. इसे छत्तीसगढ़ के राजनीतिक इतिहास का सबसे दर्दनाक और रहस्यमय अध्याय माना जाता है.

क्या NIA की जांच अधूरी रही?
टीएस सिंहदेव का यह बयान कि “मुझसे कभी पूछताछ नहीं की गई,” जांच की दिशा और निष्पक्षता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है. अगर परिवर्तन यात्रा के प्रभारी नेता से ही NIA ने बयान नहीं लिया, तो क्या वाकई जांच हर पहलू को छू पाई? अब यह सवाल न सिर्फ विपक्ष के निशाने पर है, बल्कि जनता में भी चर्चा का विषय बन गया है.

कांग्रेस में साजिश की गूंज?
सिंहदेव का बयान — “2013 का चुनाव कांग्रेस न जीते, ऐसा चाहने वालों की ये साजिश थी” — एक स्पष्ट संकेत है कि पार्टी के भीतर भी कुछ लोग शक के घेरे में हैं. यह बयान कांग्रेस में गुटबाज़ी और नेतृत्व पर सवाल उठाने वालों को नया आधार दे सकता है.

बीजेपी की ‘गुरु-चेला’ रणनीति
बीजेपी ने सिंहदेव के बयान को तुरंत लपकते हुए कांग्रेस नेतृत्व पर सीधा हमला बोला. ‘गुरु और चेला’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर पार्टी ने संकेत दे दिया है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में वह झीरम घाटी को एक नैरेटिव की तरह इस्तेमाल करेगी — जिसमें कांग्रेस को खुद अपने लोगों की हत्या का दोषी ठहराया जा सके.

राजनीतिक असर क्या होगा?
झीरम घाटी जैसे गंभीर और भावनात्मक मुद्दे पर बयानबाज़ी से जनता में गहरी नाराज़गी पैदा हो सकती है. पीड़ित परिवारों के लिए यह बयान और बहस उनके घावों को फिर कुरेदने जैसा है. वहीं, कांग्रेस को इस बयान से नुकसान हो सकता है — पार्टी के अंदर सवाल उठने शुरू हो सकते हैं कि आखिर इतने सालों तक इस मुद्दे को दबाकर क्यों रखा गया? दूसरी ओर, बीजेपी के लिए यह एक मौका बन सकता है — वह इसे एक ‘राजनीतिक साजिश का पर्दाफाश’ बताकर चुनाव में भुना सकती है.

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