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Korba News: कोरबा में आयुर्वेद की प्राचीन पद्धति स्वर्ण बिन्दु प्राशन से नौ वर्षीय शिवांश के व्यवहार और स्मरण शक्ति में चमत्कारी सुधार देखने को मिला. लायंस क्लब और पतंजलि चिकित्सालय की इस पहल से सैकड़ों बच्चे ल…और पढ़ें

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हाइलाइट्स
- शिवांश स्वर्ण बिन्दु प्राशन से कक्षा में अव्वल आया.
- स्वर्ण बिन्दु प्राशन से बच्चों की स्मरण शक्ति बढ़ती है.
- आयुर्वेदिक स्वर्ण बिन्दु प्राशन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
कोरबा: आधुनिक जीवनशैली और खानपान में बदलाव के कारण बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता घटती जा रही है.ऐसे में आयुर्वेद की प्राचीन पद्धति ‘स्वर्ण बिन्दु प्राशन’ एक चमत्कार के रूप में सामने आई है. कोरबा में इस पद्धति के सेवन से एक नौ वर्षीय बच्चे, शिवांश सिंह, में अद्भुत परिवर्तन देखने को मिला है.जिद्दी स्वभाव का शिवांश न केवल शांत हुए बल्कि अपनी कक्षा में भी अव्वल आए.
शिवांश के पिता, दीपका निवासी शिवशंकर सिंह ने इस बदलाव के लिए नाड़ी वैद्य डॉ. नागेन्द्र नारायण शर्मा और पतंजलि चिकित्सालय, श्री शिव औषधालय के प्रति आभार व्यक्त किया.उन्होंने कहा कि उन्हें स्वर्ण बिन्दु प्राशन के लाभों को देखकर बहुत खुशी हुई और सभी माता-पिता को अपने बच्चों को यह अवश्य कराना चाहिए.
“चलो आयुर्वेद की ओर” मिशन के तहत लायंस क्लब कोरबा एवरेस्ट, पतंजलि चिकित्सालय और श्री शिव औषधालय द्वारा संयुक्त रूप से “बच्चे रहे स्वस्थ” योजना चलाई जा रही है. इस योजना के अंतर्गत नाड़ी वैद्य डॉ. नागेंद्र नारायण शर्मा पतंजलि चिकित्सालय, श्री शिव औषधालय में आयुर्वेदिक इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम के तहत स्वर्ण बिन्दु प्राशन संस्कार कराते हैं.इस कार्यक्रम से अब तक सैकड़ों बच्चे लाभान्वित हुए हैं.
बढ़ती है याद करने की क्षमता
शिवांश के पिता शिवशंकर सिंह ने बताया कि उनका बेटा पहले बहुत जिद्दी था और किसी की बात नहीं सुनता था. उन्होंने डॉ. नागेंद्र नारायण शर्मा से सलाह ली, जिन्होंने उन्हें पुष्य नक्षत्र में स्वर्ण बिन्दु प्राशन संस्कार कराने की सलाह दी. इस संस्कार के बाद शिवांश का जिद्दीपन कम हुआ और उसकी स्मरण शक्ति भी बेहतर हुई, जिससे वह पढ़ाई में भी मन लगाने लगा.स्वर्ण प्राशन करा रहे बालक शिवांश सिंह ने बताया कि स्वर्ण प्राशन से उसकी याद करने की क्षमता बढ़ी है और इसी कारण उसने अपनी क्लास में टॉप किया है.
हजारों वर्ष पुरानी आयुर्वेदिक टीकाकरण
चिकित्सक नाड़ी वैद्य डॉ. नागेन्द्र नारायण शर्मा बताते हैं कि स्वर्ण बिन्दु प्राशन बच्चों में किए जाने वाले 16 मुख्य संस्कारों में से एक है, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण है. यह हजारों वर्ष पुरानी आयुर्वेदिक टीकाकरण पद्धति है, जिसका उल्लेख आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथ काश्यप संहिता एवं सुश्रुत संहिता में मिलता है.यह प्राचीन समय से चला आ रहा है, लेकिन अब यह संस्कार विलुप्त हो गया है, जिसे पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि स्वस्थ और निरोगी समाज का निर्माण हो सके. स्वर्ण बिन्दु प्राशन बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, स्मरण शक्ति को तेज करता है और उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद करता है.