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Udaipur State Level Blind Chess Competition: उदयपुर में आयोजित राज्य स्तरीय दृष्टिबाधित शतरंज प्रतियोगिता में 23 खिलाड़ियों ने भाग लिया है, जो राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके हैं. …और पढ़ें
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ब्लाइंड शतरंज
हाइलाइट्स
- उदयपुर में दृष्टिबाधित शतरंज प्रतियोगिता आयोजित हुई.
- 23 खिलाड़ियों ने राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई.
- प्रतियोगिता ने साबित किया कि हौसले के सामने कोई भी कमी बाधा नहीं बनती.
उदयपुर. जरा सोचिए, आंखों से कुछ भी नजर न आए, सामने शतरंज की बिसात बिछी हो और बिना एक भी मोहरा देखे खिलाड़ी ऐसी चालें चले कि सामने वाला चौंक जाए. कुछ ऐसा ही नजारा इन दिनों उदयपुर शहर में देखने को मिल रहा है. यहां राज्य स्तरीय दृष्टिबाधित शतरंज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है, जिसमें करीब 23 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं. ये सभी खिलाड़ी ना सिर्फ राज्य बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना चुके हैं.
शतरंज वैसे भी दिमाग का खेल माना जाता है, लेकिन जब यही खेल दृष्टिबाधित खिलाड़ी खेलते हैं, तो ये अपने आप में एक मिसाल बन जाता है. ना तो ये खिलाड़ी गोटियां देख सकते हैं, ना ही चालें. लेकिन, हर एक चाल उन्हें याद रहती है. कौन-सी गोटी कहां रखी है, किसने कौन-सी चाल चली, इन सबका पूरा हिसाब इनके दिमाग में चलता है.
अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी मिल चुकी पहचान
राजस्थान के भंवरलाल, जो खुद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, उन्होंने बताया कि चेन्नई, दिल्ली, जयपुर और हैदराबाद जैसे शहरों में कई बड़ी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है. उनका कहना है कि ये खेल जितना कठिन है, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी है, और इसी वजह से उन्होंने इसे ही अपना करियर बना लिया. कार्यक्रम के आयोजक चंद्रगुप्त सिंह चौहान ने बताया कि इन खिलाड़ियों की उंगलियों की स्पीड देखकर हर कोई दंग रह जाता है. जब ये खेलते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे कोई अदृश्य बिसात पर शतरंज की चालें बिछा रहा हो. और तो और, अगर आप इनकी सारी गोटियां भी हटा दें, तो भी ये खिलाड़ी बिना एक भी चाल भूले अपनी पूरी बिसात फिर से उसी तरह सजा सकते हैं.
अंधकार में भी ढूंढ ली रोशनी की किरण
दृष्टिबाधित खिलाड़ियों का ये हुनर ना सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि ये भी साबित करता है कि हौसले और मेहनत के सामने कोई भी कमजोरी आड़े नहीं आती है. समाज में शतरंज को लेकर जागरूकता कम है, लेकिन ये खिलाड़ी बता रहे हैं कि अगर लगन हो, तो अंधकार में भी रोशनी की राह मिल ही जाती है.