छत्तीसगढ़ में ‘सुशासन तिहार’ पर सियासत: साय सरकार जनता के बीच, विपक्ष ने बताया ‘राजनीतिक शो’

रायपुर: छत्तीसगढ़ में इन दिनों ‘सुशासन तिहार’ को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है. एक तरफ जहां मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार इस आयोजन को जनता से सीधा संवाद और समस्याओं के त्वरित समाधान का माध्यम बता रही है, वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इसे महज एक ‘राजनीतिक शो’ और अपनी नाकामियों को छिपाने का प्रयास करार दे रही है. विष्णु देव साय सरकार ने ‘सुशासन तिहार 2025’ की शुरुआत 8 अप्रैल से की थी, जिसका हाल ही में (1 जून, 2025 को) धमतरी में समापन हुआ है. इस अभियान का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में शासन-प्रशासन को जनता के और करीब लाना है. इसे तीन चरणों में आयोजित किया गया था:

पहला चरण के तहत 8 से 11 अप्रैल तक आम जनता से उनकी समस्याओं, मांगों और सुझावों से संबंधित आवेदन लिए गए. इसके लिए ग्राम पंचायत से लेकर जिला मुख्यालयों तक ‘समाधान पेटियां’ रखी गईं और ऑनलाइन आवेदन की व्यवस्था भी की गई. पहले चरण में 40 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए. दूसरे चरण में प्राप्त आवेदनों का मिशन मोड में निराकरण किया गया. तीसरे चरण में मुख्यमंत्री और अन्य मंत्री-विधायकों ने 33 जिलों का भ्रमण किया, जन चौपालें लगाईं, लोगों से सीधा संवाद किया, उनकी समस्याओं को समझा और समाधान सुनिश्चित किया. जिला मुख्यालयों पर समीक्षा बैठकें भी की गईं.

भ्रष्टाचार के मामले में सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति
सरकार का दावा है कि ‘सुशासन तिहार’ पारदर्शिता, जवाबदेही और जनहित को प्राथमिकता देने वाली सोच को दर्शाता है. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि इस तिहार के माध्यम से सरकार को जनता के द्वार तक ले जाया गया है, जिससे लोगों का यह विश्वास और अधिक दृढ़ हुआ है कि उनकी सरकार हमेशा प्रदेश के विकास और लोक कल्याण के कार्यों में जुटी रहेगी. भ्रष्टाचार के मामले में सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति है.

कांग्रेस का तीखा हमला: ‘सुशासन नहीं, कुशासन’
जहां एक ओर बीजेपी सरकार ‘सुशासन तिहार’ की सफलता के दावे कर रही है, वहीं कांग्रेस ने इसे ‘कुशासन’ का प्रतीक बताते हुए तीखा हमला बोला है. कांग्रेस प्रवक्ताओं और खुद पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज जैसे नेताओं ने सरकार के दावों पर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस का आरोप है कि ‘सुशासन तिहार’ केवल एक दिखावा और राजनीतिक शो है, जिसका उद्देश्य जनता के बीच झूठा प्रभाव पैदा करना है. उनका कहना है कि अगर वास्तव में सुशासन होता तो इतनी बड़ी संख्या में (40 लाख से अधिक) आवेदन आते ही नहीं. ये आवेदन ही इस बात का प्रमाण हैं कि पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार (15 साल के कार्यकाल) में लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ था.

कांग्रेस के आरोप, भाजपा भ्रष्‍टाचार छुपाने के लिए तिहार मना रही
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि बीजेपी अपनी नाकामियों और कथित भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए ऐसे ‘तिहार’ मना रही है. उन्होंने आरोप लगाया है कि पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी ‘बोरे-बासी तिहार’ जैसे आयोजन हुए थे, जिनमें बीजेपी ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, लेकिन अब वे खुद इसी तरह के कार्यक्रमों को भव्यता से आयोजित कर रहे हैं.

भाजपा का पलटवार कांग्रेस केवल ‘कमीशनखोरी’ में मस्त रही
कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी के पूर्व मंत्री राजेश मूणत और प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन जैसे नेताओं ने पलटवार किया है. मूणत ने कहा है कि कांग्रेस अपना अस्तित्व खो चुकी है और वह सिर्फ विपक्ष का धर्म निभा रही है. उन्होंने कांग्रेस पर जनता के मुद्दों से कोई लेना-देना न होने और केवल ‘कमीशनखोरी’ में मस्त रहने का आरोप लगाया. बीजेपी प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन ने कांग्रेस की आलोचनाओं को ‘बेचैनी’ करार दिया है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस नेता इतनी बेचैनी में हैं कि कहीं ऐसा न हो कि उन्हें छत्तीसगढ़ ही छोड़ना पड़े. उन्होंने कहा कि बीजेपी जो भी काम करती है, कांग्रेस बेचैन हो जाती है.

सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच एक नई राजनीतिक तकरार
छत्तीसगढ़ में ‘सुशासन तिहार’ ने सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच एक नई राजनीतिक तकरार को जन्म दिया है. जहां बीजेपी इसे अपनी सरकार की जन-उन्मुख नीतियों और त्वरित समस्या समाधान की पहल के रूप में प्रस्तुत कर रही है, वहीं कांग्रेस इसे केवल एक ‘पब्लिसिटी स्टंट’ और ‘कुशासन’ की लीपापोती बता रही है. आने वाले समय में, यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किसके दावों पर अधिक भरोसा करती है और यह ‘तिहार’ की सियासत आगामी चुनावों में क्या प्रभाव डालती है. दोनों दल जनता को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे ही राज्य के सच्चे हितैषी हैं.

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