‘राफेल का बाप…’ रूस ने बनाया धाकड़ फाइटर जेट, भारत पर भी डाल रहा डोरे, फिर कहां अटकी है बात?

रूस के पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर Su-57E को लेकर एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं. रूस भले ही इसे भारत, मलेशिया और अल्जीरिया जैसे देशों को बेचने की लगातार कोशिश कर रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि अब तक इस विमान को लेकर किसी देश ने कोई डील पक्की नहीं की है.

रूसी हथियार कंपनी रोसोबोरोन एक्सपोर्ट ने 19 मई को ऐलान किया था कि वह मलेशिया के LIMA 2025 अंतरराष्ट्रीय समुद्री और एयरोस्पेस प्रदर्शनी में Su-57E को प्रदर्शित करेगा. हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह विमान एयर शो में कभी पहुंचा ही नहीं. सोशल मीडिया पर शेयर की गई तस्वीरों में यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (UAC) के स्टैंड पर इसका केवल एक स्केल मॉडल दिखा, असली विमान नहीं.

LIMA 2025 शो में Su-57E की गैर-मौजूदगी, भारत का पुराने FGFA प्रोजेक्ट से बाहर निकलना, और मलेशिया के MRCA प्रोग्राम में इसकी अनदेखी – सब मिलकर यह संकेत दे रहे हैं कि यह ‘फेलॉन’ शायद रूस के लिए एक ‘फेलियर’ साबित हो रहा है.

क्या है Su-57E?

Su-57E रूस फायर जेट सुखोई-57 का एक्सपोर्ट वर्जन है, जो पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट है. इसे रडार से बचने, मल्टी-रोल ऑपरेशंस, और बेहद हाइटेक मिसाइल सिस्टम के लिए डिजाइन किया गया है. इसमें R-37M जैसी लॉन्ग रेंज एयर-टू-एयर मिसाइलें लगाई जाती हैं, जो 400 किमी तक मार कर सकती है.

रूस ने दावा किया था कि Su-57E का पहला विदेशी ग्राहक 2025 में इसे चलाने लगेगा. हालांकि उसने इस देश का नाम नहीं लिया. अटकलें लगाई जा रही हैं कि यह देश अल्जीरिया हो सकता है. हालांकि अब तक न तो रूस और न ही अल्जीरिया सरकार ने इस समझौते की आधिकारिक पुष्टि की है.

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मलेशिया का लड़ाकू विमान (MRCA) कार्यक्रम सालों से पेंडिंग है और अब तक किसी अंतिम फैसले पर नहीं पहुंचा है. 2009 में शुरू हुए इस कार्यक्रम का मकसद मलेशियन एयरफोर्स के पुराने MiG-29 विमानों को बदलना था. हालांकि शुरुआत में यूरोफाइटर टाइफून, डसॉल्ट राफेल, साब ग्रिपेन और बोइंग एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट जैसे विमान शामिल थे, लेकिन हालिया वर्षों में उसका फोकस बदलकर पांचवीं पीढ़ी या उसके करीब के विमानों पर हो गया है.

रूस भारत के लिए भी Su-57 को प्रमोट कर रहा है. हालांकि भारत ने 2018 में रूस के साथ संयुक्त रूप से चल रही 5th जनरेशन फाइटर एयरक्राफ्ट (FGFA) प्रोजेक्ट से बाहर हो गया था. इसके पीछे इस फायटर के ज्यादा दाम और असंतोषजनक परफॉर्मेंस को वजह बताया गया था. हालांकि रूस फिर से इस विमान को भारत को बेचने की कोशिश में जुटा है.

‘राफेल का भी बाप Su-57’

रूस ने फरवरी 2025 में Aero India शो के दौरान फिर से भारत को ‘Golden Deal’ का प्रस्ताव दिया. इसके तहत उसने Su-57E की जल्द सप्लाई, भारत में ही इसके निर्माण और भारत के अपने 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान कार्यक्रम (AMCA) में मदद का ऑफर दिया था. रूस ने यह भी कहा कि अगर भारत इस सौदे को मंजूरी देता है, तो Su-30MKI बनाने वाली भारतीय कंपनियां जल्द ही Su-57E का उत्पादन शुरू कर सकती हैं.

भारत पर कैसे डाल रहा डोरे?

हाल ही में पाकिस्तान के साथ हुए संघर्ष के बाद रूस एक बार फिर Su-57 को प्रमोट करने लगा. यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी सैन्य विश्लेषक इगोर कोरोचेंको ने Sputnik को दिए बयान में कहा कि भारत को Su-57MKI का ‘मेड इन इंडिया’ वर्जन लेना चाहिए, जो R-37M जैसी लंबी दूरी की मिसाइलों से लैस होगा. वहीं रूसी सोशल मीडिया पर कुछ ब्लॉगर यहां तक कह रहे हैं कि Su-57 राफेल से बेहतर है और भारत को उसी में निवेश करना चाहिए.

हालांकि, भारत की ओर से ऐसी किसी संभावना पर न तो कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया आई है और न ही किसी रूचि का संकेत मिला है. साफ है कि Su-57E की राह आसान नहीं है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले वर्षों में यह विमान वास्तव में अंतरराष्ट्रीय रक्षा बाजार में अपनी जगह बना पाता है या नहीं.

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