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लखीसराय में 3 लाख के इनामी नक्सली रावण कोड़ा ने 15 साल बाद सरेंडर किया. 26 नक्सल कांडों में शामिल रावण ने एसपी और एसटीएफ के सामने आत्मसमर्पण किया. इससे इलाके में शांति और विकास की उम्मीद जगी है.

हाइलाइट्स
- रावण कोड़ा ने 15 साल बाद लखीसराय में किया सरेंडर
- रावण कोड़ा पर 26 नक्सल कांडों के थे गंभीर आरोप
- सरेंडर से इलाके में शांति और विकास की जगी है उम्मीद
लखीसराय: बिहार के लखीसराय जिले में पुलिस और सुरक्षाबलों को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है. 3 लाख रुपये के इनामी नक्सली रावण कोड़ा ने आखिरकार सरेंडर कर दिया है. रावण ने लखीसराय एसपी और स्पेशल टास्क फोर्स के सामने सरेंडर किया. इसे इलाके में शांति और सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.
15 सालों से था फरार
रावण कोड़ा पिछले लगभग 15 सालों से फरार चल रहा था और पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ था. इस दौरान उसने कई नक्सली वारदातों को अंजाम दिया. उसके खिलाफ कुल 26 नक्सल कांड दर्ज थे. इन मामलों में हत्या, अपहरण, रंगदारी और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं. उसके आतंक से लखीसराय और आसपास के क्षेत्रों में लोग भयभीत रहते थे.
पुलिस अधीक्षक ने आत्मसमर्पण के बाद बताया कि रावण कोड़ा पर लंबे समय से दबाव बनाया जा रहा था. एसटीएफ और स्थानीय पुलिस की लगातार कार्रवाई और घेराबंदी के कारण उसे सरेंडर करने पर मजबूर होना पड़ा. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की आत्मसमर्पण नीति का लाभ उठाकर वह समाज की मुख्यधारा में लौट सकता है.
बहाल होगी शांति, होगा क्षेत्र का विकास
रावण कोड़ा के सरेंडर से न केवल सुरक्षाबलों का मनोबल बढ़ा है, बल्कि यह अन्य भटक चुके नक्सलियों के लिए भी एक संदेश है कि हिंसा का रास्ता छोड़कर शांतिपूर्ण जीवन अपनाएं. स्थानीय लोगों ने इस खबर पर राहत की सांस ली है और उम्मीद जताई है कि अब इलाके में शांति और विकास का माहौल बनेगा. पुलिस ने भरोसा दिलाया है कि नक्सलवाद के खिलाफ उनकी कार्रवाई जारी रहेगी और क्षेत्र में कानून-व्यवस्था को और मजबूत किया जाएगा.