Rice bowl Chhattisgarh is ready for farming again – IGKV scientists give special advice to farmers, cultivate these special varieties of crops, you will get bumper yield

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ जिसे देशभर में धान का कटोरा कहा जाता है, अब एक बार फिर खरीफ सीजन की तैयारी में जुट गया है. राज्य के लाखों किसान हर साल की तरह इस बार भी धान की खेती को अपनी आजीविका का मुख्य आधार मानकर खेतों की तैयारी में लगे हैं. ऐसे में उन्नत कृषि और बेहतर पैदावार के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर और इसके अधीनस्थ महाविद्यालयों के कृषि वैज्ञानिक किसानों को विशेष सलाह दे रहे हैं. विशेषकर ठाकुर बैरिस्टर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय, बिलासपुर के कृषि वैज्ञानिक डॉ. दिनेश पांडे ने कुछ महत्वपूर्ण धान की वैरायटी सुझाई हैं, जो कम समय में ज्यादा उत्पादन देने में सक्षम हैं.

छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था की रीढ़

छत्तीसगढ़ की जलवायु और मिट्टी धान की खेती के लिए बेहद अनुकूल मानी जाती है. राज्य में बड़ी संख्या में किसान धान की खेती करते हैं, जिससे यह फसल न केवल उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत बनती है, बल्कि राज्य की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करती है. ऐसे में हर साल नई तकनीक और उन्नत बीजों की खोज बेहद जरूरी हो जाती है.

IGKV वैज्ञानिकों की सलाह, उन्नत वैरायटी अपनाएं

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत ठाकुर बैरिस्टर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय, बिलासपुर के कृषि वैज्ञानिक डॉ. दिनेश पांडे ने खरीफ सीजन के लिए किसानों को कुछ खास वैरायटी के धान लगाने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में ऐसे बीजों को अपनाना जरूरी है जो रोग प्रतिरोधी होने के साथ-साथ कम समय में अधिक उत्पादन दे सकें.

किसानों के लिए सुझाई गई प्रमुख धान की किस्में 

किसानों के लिए सुझाई गई प्रमुख धान की किस्मों में राजेश्वरी (IGKV R-1) शामिल है, जो मध्यम अवधि की किस्म है और स्वादिष्ट चावल देती है. महामाया (IGKV R-2) एक सुगंधित किस्म है, जिसकी बाजार में अच्छी मांग है. छत्तीसगढ़ सादा (IGKV R-3) कम अवधि में तैयार होने वाली किस्म है जो सूखा प्रतिरोधक भी है. वहीं राजेश्री (IGKV R-4) में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक पाई जाती है और यह अधिक लाभकारी मानी जाती है. इसके अलावा IGKV भाटापारा-1 और भाटापारा-2 जैसी किस्में भी क्षेत्रीय जरूरतों के अनुसार विकसित की गई हैं, जो अच्छी गुणवत्ता और उपज के लिए उपयुक्त हैं. ये सभी वैरायटीज़ किसानों की आमदनी बढ़ाने और फसल जोखिम को कम करने में मददगार सिद्ध हो रही हैं.

कृषि वैज्ञानिकों की अपील

डॉ. दिनेश पांडे ने किसानों से अपील की है कि वे खरीफ की बुवाई से पहले उपयुक्त बीज का चयन करें और समय पर खेत की तैयारी करें. उन्होंने यह भी कहा कि वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए बीज न केवल उत्पादन बढ़ाएंगे, बल्कि किसानों की आमदनी को भी बेहतर बनाएंगे.

खेती को बनाएं वैज्ञानिक और स्मार्ट

छत्तीसगढ़ में धान सिर्फ एक फसल नहीं, बल्कि किसानों की जीवनरेखा है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण और उन्नत बीजों के चयन से किसान न सिर्फ कम जोखिम में अधिक उत्पादन पा सकते हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों का भी बेहतर सामना कर सकते हैं.

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