South Korea President Challenges: दक्षिण कोरिया के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ली जे-म्यांग ने पदभार संभाला.

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South Korea President Challenges: मध्यावधि चुनाव में जीत हासिल करने के बाद राष्ट्रपति ली जे-म्यांग ने सत्ता संभाल तो ली है, लेकिन उनके लिए ये राह आसान नहीं होने वाली है. उनके लिए बहुत सी चुनौतियां इंतज़ार कर रह…और पढ़ें

म्यूंग ने संभाली सत्ता, पर दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति के सामने कई चुनौतियां!

दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति ली जे-म्यांग. (Credit- Reuters)

हाइलाइट्स

  • ली जे-म्यांग ने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति पद की शपथ ली.
  • उत्तर कोरिया के साथ शांति वार्ता की पहल करेंगे ली.
  • अमेरिका और जापान के साथ त्रिपक्षीय सहयोग को मजबूत करेंगे.

सियोल: दक्षिण कोरिया के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ली जे-म्यांग ने बुधवार को औपचारिक रूप से पदभार ग्रहण कर लिया. उनके लिए अब सामने चुनौती देश के हालात को संभालने की है. आंतरिक स्थिति से लेकर विदेशी मोर्चे तक दक्षिण कोरिया में पिछले दिनों काफी कुछ हो चुका है, ऐसे में ली जे-म्यांग ने पद संभालते ही इस पर काम करना शुरू कर दिया है. उन्होंने उत्तर कोरिया के साथ वार्ता शुरू करने और अमेरिका व जापान के साथ त्रिपक्षीय सहयोग को मजबूत करने का संकल्प लिया है.

उन्होंने अपने पांच साल के कार्यकाल के लिए प्रमुख नीतिगत लक्ष्य भी घोषित किए. मंगलवार को हुए मध्यावधि चुनाव में जीत हासिल करने के बाद राष्ट्रपति ली ने नेशनल असेंबली में अपने पहले भाषण में भ्रष्टाचार और सामाजिक असमानता को खत्म करने का वादा किया. आपको बता दें कि यहां पर मध्यावधि चुनाव पूर्व राष्ट्रपति यून सुक येओल की बर्खास्तगी के बाद हुआ है, जिन्हें पिछले साल मार्शल लॉ लागू करने के कारण अप्रैल, 2025 में पद से हटा दिया गया था.

उत्तर कोरिया के साथ शांति की पहल

राष्ट्रपति ली ने कहा है कि उनकी सरकार दक्षिण कोरिया-अमेरिका सैन्य गठबंधन के आधार पर उत्तर कोरिया के संभावित खतरों का मजबूती से मुकाबला करेगी. उन्होंने उत्तर कोरिया के साथ संवाद का रास्ता खोलने, बातचीत और सहयोग के जरिए कोरियन पेनेंसुला में शांति स्थापित करने की प्रतिबद्धता दोहराई.

अमेरिका से संबंध सुधारने की चुनौती

अमेरिका की ओर से लगाए गए आयात शुल्क की वजह से दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था को झटका लगा है. ऑटो और स्टील जैसे क्षेत्रों पर इसका विशेष असर पड़ा है. ऐसे में चुनौती ये भी है कि उन्हें ट्रंप को मनाकर स्थति काबू में लानी होगी. वॉशिंगटन स्थित सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) का मानना है कि ली जे-म्युंग को राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद सबसे पहले ट्रंप से मिलकर मसले सुलझाने होंगे. इसके अलावा चीन के साथ भी एक संतुलित नीति बनाकर चलना होगा.

दक्षिण कोरिया- अमेरिका- जापान में सहयोग को बढ़ावा

ली ने व्यावहारिक कूटनीति पर जोर देते हुए कहा कि वह दक्षिण कोरिया-अमेरिका गठबंधन को आधार बनाकर सियोल, वाशिंगटन और टोक्यो के बीच त्रिपक्षीय सहयोग को और मजबूत करेंगे. स्थानीय मीडिया के मुताबिक ली ने ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष किम म्युंग-सू के साथ फोन पर बात की और सेना को उत्तर कोरिया की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए. उन्होंने दक्षिण कोरिया और अमेरिका के संयुक्त सैन्य गठबंधन के आधार पर ठोस तैयारी करने के लिए भी कहा.

तख्तापलट का भी डर

पूर्व राष्ट्रपति यून सुक येओल की विदाईक के बाद ली जे-म्यांग की जीत और उनकी नीतियां दक्षिण कोरिया को स्थिरता और क्षेत्रीय शांति की दिशा में ले जाने की उम्मीद जगा रही हैं. हालांकि म्युंग के सामने सबसे बड़ी चुनौती दोबारा तख्तापलट नहीं होने देना है. उन्होंने संसद के बाहर ये बात अपने भाषण में कही भी थी कि हथियारों के दम पर तख्तापलट न हो, ये उनकी प्रतिबद्धता होगी. नवनिर्वाचित राष्ट्रपति से न सिर्फ दक्षिण कोरिया की आंतरिक व्यवस्था में सुधार की उम्मीद है, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

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Prateeti Pandey

News18 में Offbeat डेस्क पर कार्यरत हैं. इससे पहले Zee Media Ltd. में डिजिटल के साथ टीवी पत्रकारिता भी अनुभव रहा है. डिजिटल वीडियो के लेखन और प्रोडक्शन की भी जानकारी . टीवी पत्रकारिता के दौरान कला-साहित्य के सा…और पढ़ें

News18 में Offbeat डेस्क पर कार्यरत हैं. इससे पहले Zee Media Ltd. में डिजिटल के साथ टीवी पत्रकारिता भी अनुभव रहा है. डिजिटल वीडियो के लेखन और प्रोडक्शन की भी जानकारी . टीवी पत्रकारिता के दौरान कला-साहित्य के सा… और पढ़ें

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